पाकिस्तान के विदेश मंत्री जरदारी ने कश्मीर की स्थिति पर संरा मानवाधिकार प्रमुख को पत्र लिखा

Bilawal Bhutto
ANI Twitter.

उन्होंने उच्चायुक्त से भारत से अपील करने का अनुरोध किया कि वह मलिक को ‘‘सभी निराधार आरोपों से बरी’’ कर दे और उसकी जेल से तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से पुन: मिल सके, उसके स्वास्थ्य में सुधार हो सके और वह फिर से सामान्य जीवन जी सके।

इस्लामाबाद| पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट को पत्र लिखकर भारत से यह अपील करने का अनुरोध किया है कि वह कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी करे और जेल से उसकी तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से मिल सके।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने एक बयान में कहा कि कश्मीर में स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान खींचने के पाकिस्तान के जारी प्रयासों के तहत विदेश मंत्री ने 24 मई को बैश्लेट को एक पत्र भेजा। कार्यालय के अनुसार, ‘‘पत्र में कश्मीरियों और उनके नेतृत्व को परेशान करने एवं दबाने तथा झूठे एवं किसी अन्य मकसद से प्रेरित मामलों में उन्हें फंसाने की भारत सरकार की जारी कोशिशों से उच्चायुक्त को अवगत कराया गया।’’

मंत्री ने उच्चायुक्त और मानवाधिकार परिषद से अपील की कि वह ‘‘किसी अन्य मकसद से प्रेरित मामलों में कश्मीरी नेतृत्व को भारत द्वारा निशाना बनाए जाने और खासकर मलिक के साथ हो रहे व्यवहार’’ का तत्काल संज्ञान ले।

उन्होंने उच्चायुक्त से भारत से अपील करने का अनुरोध किया कि वह मलिक को ‘‘सभी निराधार आरोपों से बरी’’ कर दे और उसकी जेल से तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से पुन: मिल सके, उसके स्वास्थ्य में सुधार हो सके और वह फिर से सामान्य जीवन जी सके।

इसके अलावा, बिलावल ने ओआईसी (इस्लामी सहयोग संगठन) के महासचिव हिसेन ब्राहिम ताहा को एक पत्र लिखकर उन्हें ‘‘कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन और मानवीय स्थिति’’ से अवगत कराया। भारत पाकिस्तान से बार-बार कहता रहा है कि जम्मू कश्मीर उसका अहम हिस्सा ‘‘था, है और रहेगा।’’ उसने पाकिस्तान को वास्तविकता स्वीकार करने और भारत विरोधी सभी दुष्प्रचार रोकने की सलाह भी दी है। भारत ने पाकिस्तान से यह भी कहा है कि वह आतंकवाद, शत्रुता और हिंसा रहित माहौल में उसके साथ पड़ोसियों जैसे सामान्य संबंध चाहता है। भारत की एक अदालत ने प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 19 मई को दोषी करार दिया था। उसने एनआईए के अधिकारियों को मलिक पर जुर्माना लगाए जाने के लिए उसकी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के निर्देश दिए थे।

मलिक ने अदालत में कहा था कि वह खुद के खिलाफ लगाए आरोपों का विरोध नहीं करता। इन आरोपों में यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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