आतंक की फैक्ट्री फिर से चालू! ऑपरेशन सिंदूर में तबाह किए गए लॉन्च पैडों के पुनर्निर्माण में लगा पाकिस्तान

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अभिनय आकाश । Jun 28 2025 3:29PM

7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए, जिसमें तीन प्रमुख आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक बहावलपुर में जैश का मुख्यालय था, जिसे जैश के संचालन का मुख्य केंद्र माना जाता है।

आपने वो पुरानी कहावत तो सुनी होगी कि चोर चोरी से जाए हेरा फेरी से न जाए। मतलब साफ है कि एक बार जिसे चोरी की लत लग चुकी हो वो लाख चाहकर भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता है। कुछ ऐसा ही हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ भी है। उसे आतंकवाद के एक्सपोर्ट की ऐसी बुरी लत लग गई है कि वो लाख चाहकर भी इस आदत को सुधार नहीं पा रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के जावब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर करते हुए पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंक के अड्डों को तबाह किया। लेकिन अब पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी लॉन्चपैड और प्रशिक्षण शिविरों को फिर से एक्टिव करने की तैयारी चल रही है। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि पाकिस्तानी सेना, उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सरकार कथित तौर पर इन आतंकवादी बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के लिए पर्याप्त धन और पूर्ण समर्थन प्रदान कर रही है, खासकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) और आस-पास के इलाकों में। 

7 मई को भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में नौ आतंकी शिविरों पर सटीक हमले किए, जिसमें तीन प्रमुख आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया। सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्यों में से एक बहावलपुर में जैश का मुख्यालय था, जिसे जैश के संचालन का मुख्य केंद्र माना जाता है।  

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लॉन्चपैड और शिविर फिर से एक्टिवेट 

खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठन आईएसआई के साथ मिलकर नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास घने जंगलों में हाई-टेक, छोटे आतंकी शिविर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस रणनीति का उद्देश्य निगरानी और हवाई हमलों से बचना है। वर्तमान में जिन शिविरों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है, वे लूनी, पुटवाल, ताइपु पोस्ट, जमीला पोस्ट, उमरांवाली, चपरार, फॉरवर्ड कहुटा, छोटा चक और जंगलोरा जैसे क्षेत्रों में स्थित हैं। इन शिविरों को कथित तौर पर थर्मल इमेजर्स, पर्ण-भेदी रडार और उपग्रह निगरानी का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन की गई उन्नत तकनीकों से लैस किया जा रहा है। सूत्रों ने आगे बताया कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई पीओके में 13 लॉन्चिंग पैड को फिर से विकसित कर रहे हैं, जिनमें केल, शारदी, दुधनियाल, अथमुकाम, जुरा, लीपा वैली, पचीबन चमन, टंडपानी, नैय्यली, जनकोट, चकोटी, निकेल और फॉरवर्ड कहुटा जैसे इलाके शामिल हैं। इसके अलावा, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नष्ट किए गए अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चार आतंकी लॉन्चपैड को भी फिर से सक्रिय किया जा रहा है। इनमें पाकिस्तान रेंजर्स की नियमित चौकियां भी शामिल हैं। 

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अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर आईएसआई की नई रणनीति

आईएसआई कथित तौर पर जम्मू सेक्टर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर चार लॉन्चपैड का पुनर्विकास कर रही है। पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी एक ही स्थान पर आतंकवादियों के जमावड़े को कम करने के लिए बड़े शिविरों को छोटे शिविरों में विभाजित करने की नई रणनीति अपना रही है, जिससे हमले की स्थिति में संभावित नुकसान को कम किया जा सके। प्रत्येक मिनी-कैंप की अपनी परिधि सुरक्षा होगी, जिसकी निगरानी विशेष रूप से प्रशिक्षित पाकिस्तानी सेना के जवान करेंगे। सूत्रों ने बताया कि ये गार्ड थर्मल सेंसर, कम आवृत्ति वाले रडार सिस्टम और एंटी-ड्रोन तकनीक से लैस होंगे।

हाई लेवल मीटिंग

भारतीय खुफिया एजेंसियों ने बहावलपुर में हाल ही में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक के बारे में संकेत देने वाले संचार को भी पकड़ा है। इस बैठक में कथित तौर पर जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के वरिष्ठ कमांडरों के साथ-साथ आईएसआई के अधिकारी भी शामिल थे। टीआरएफ 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के पीछे था, जिसमें जम्मू-कश्मीर में 26 लोग मारे गए थे।

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