यूक्रेन के विशिष्ट इतिहास को मिटाना पुतिन की साम्राज्यवादी आकांक्षा का हिस्सा

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व्लादिमीर पुतिन लंबे समय से इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यूक्रेन उस देश का हिस्सा है जिस पर वह शासन करते हैं। ‘‘कीव रूसी शहरों की जननी है। प्राचीन रूस हमारा साझा स्रोत है और हम एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते,’’ उन्होंने मार्च 2014 में लिखा - क्रीमिया पर कब्जा करने से कुछ दिन पहले।

ओलिविया डूरंड, इतिहास में पोस्टडॉक्टरल सहयोगी, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ऑक्सफोर्ड। व्लादिमीर पुतिन लंबे समय से इस बात पर जोर दे रहे हैं कि यूक्रेन उस देश का हिस्सा है जिस पर वह शासन करते हैं। ‘‘कीव रूसी शहरों की जननी है। प्राचीन रूस हमारा साझा स्रोत है और हम एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते,’’ उन्होंने मार्च 2014 में लिखा - क्रीमिया पर कब्जा करने से कुछ दिन पहले। रूसी राष्ट्रपति जुलाई 2020 में क्रेमलिन की वेबसाइट पर एक लेख में इस विषय पर लिखते हैं, ‘‘यूक्रेन की सच्ची संप्रभुता केवल रूस के साथ साझेदारी में ही संभव है।’’ सात महीने बाद पुतिन ने इस विचार को दोहराया।

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21 फरवरी को एक घंटे के अपने काफी व्यापक भाषण में, उन्होंने दोहराया कि “यूक्रेन हमारे लिए सिर्फ एक पड़ोसी देश नहीं है। यह हमारे अपने इतिहास, संस्कृति और आध्यात्मिक स्वरूप का एक अविभाज्य हिस्सा है।’’ उन्होंने इस दौरान बार-बार यूक्रेन के स्वतंत्र अस्तित्व के अधिकार - और, कई बार, देश एक स्वतंत्र इकाई के रूप में मौजूद है, से इंकार किया। इसके बजाय वह दोनों देशों की एकता को ऐतिहासिक तथ्य के रूप में स्वीकार करते दिखाई दिए। ऐसा करने में, उन्होंने एक कालक्रम और महत्वाकांक्षा के साथ एक साम्राज्यवादी विचारधारा की संरचनाओं का खुलासा किया जो सोवियत काल के बाद से मध्यकालीन युग तक जाती है। यूक्रेन के बारे में पुतिन के नवीनतम भाषण के ध्यान देने लायक तत्वों में से एक, जिसमें डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र देशों के रूप में मान्यता दी गई, उनका आग्रह था कि यूक्रेन रूसी इतिहास के उप-उत्पाद के रूप में मौजूद है, इस बात पर जोर देते हुए कि ‘‘प्राचीन काल से, दक्षिण-पश्चिम में रहने वाले लोगों ने, जो ऐतिहासिक रूप से रूसी भूमि का हिस्सा है, खुद को रूसी और परंपरागत ईसाई कहा है।’’

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लेकिन बाद में उन्होंने इस साझा मूल के अपने आग्रह को यह कहते हुए कम कर दिया, कि ‘‘आधुनिक यूक्रेन पूरी तरह से रूस द्वारा बनाया गया था या, अधिक सटीक रूप से, बोल्शेविक, कम्युनिस्ट रूस द्वारा।’’ उनके लिए, आधुनिक यूक्रेन का निर्माण केवल ‘‘1917 की क्रांति के बाद’’ शुरू हुआ, और यूक्रेनियन को अपने राज्य के लिए ‘‘लेनिन और उनके सहयोगियों को धन्यवाद देना चाहिए।’’ यह लेनिन द्वारा पूर्व रूसी साम्राज्य की जातीय विविधता के आधार पर सोवियत राज्यों के संघ, यूएसएसआर के निर्माण का संदर्भ था। वास्तव में, राज्य के लिए यूक्रेन की आकांक्षाएं कम से कम दो शताब्दियों से पहले की क्रांति से थीं।

यूक्रेनी हेटमैनेट के 1710 के बेंडरी संविधान से लेकर 1917 तक पश्चिम और यूक्रेनी पीपुल्स रिपब्लिक के स्थापना और पेरिस शांति सम्मेलन में अपने दर्जे के लिए अपील करने तक, यूक्रेनियन ने लगातार खुद के विशिष्ट होने पर जोर दिया है। यूएसएसआर का गठन, आंशिक रूप से, क्रांति के बाद और ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के विघटन के बाद इन दो स्वतंत्र यूक्रेनी गणराज्यों के पिछले निर्माण का अनुकूलन था। ये गणराज्य सीधे 19वीं सदी के यूक्रेनी राष्ट्रीय आंदोलन से उपजे थे, जिसने कोसैक अतीत के प्रभाव का पुनर्मूल्यांकन किया, एक विशिष्ट भाषा, संस्कृति और इतिहास पर केंद्रित एक पहचान के विकास को बढ़ावा दिया।

जब बोल्शेविकों ने यूक्रेनी क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया, तो यूक्रेन के एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में विचार को नजरअंदाज नहीं किया जा सका, और यह 1922 में यूक्रेनी सोवियत गणराज्य के रूप में स्वतंत्र दर्जा - कागज पर - हासिल करने में सफल रहा। पुतिन के संबोधन से पता चलता है कि वह रूसी और यूक्रेनी इतिहास को साम्राज्यवाद के चश्मे से देखने की साजिश रच रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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