अफगानिस्तान में स्थायी शांति के लिए देश में और इसके आस-पास शांति होना आवश्यक है: जयशंकर
जयशंकर ने कहा कि भारत अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी तरह के प्रयासों का समर्थक रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थायी एवं समग्र संघर्ष विराम तथा सच्चे अर्थो में राजनीतिक समाधान की दिशा में किसी भी कदम का स्वागत करता है।
इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी भाग लिया। जयशंकर ने ‘हार्ट आफ एशिया-इस्तांबुल’ प्रक्रिया के नौवें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कहा, ‘‘हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जो न केवल अफगानिस्तान के लोगों के लिये बल्कि हमारे वृहद क्षेत्र के लिये भी महत्वपूर्ण है। अफगानिस्तान और इस वृहद क्षेत्र में जो कुछ घटित हो रहा है, उसे देखते हुए हमें ‘हार्ट आफ एशिया’ शब्दावली को हल्के में नहीं लेना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ एक स्थिर, सम्प्रभु और शांतिपूर्ण अफगानिस्तान वास्तव में हमारे क्षेत्र में शांति एवं प्रगति का आधार है।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि इसलिये सामूहिक रूप से यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यह आतंकवाद, हिंसक कट्टरपंथ, मादक पदार्थों एवं आपराधिक गिरोहों से मुक्त हो। उन्होंने अफगानिस्तान में स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि वादे चाहे जो भी किये गए हों, लेकिन हिंसा एवं खून-खराबा दैनिक वास्तविकता हैं और संघर्ष में कमी के काफी कम संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में आम लोगों को निशाना बनाकर उनकी हत्या किए जाने की घटनाएं बढ़ी हैं और 2019 की तुलना में 2020 में नागरिकों की मौत के मामलों में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘2021 में भी स्थिति बेहतर नहीं हुई है। अफगानिस्तान में विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी खास तौर पर परेशान करने वाली है।’’1. For a durable peace in Afghanistan, what we need is a genuine ‘double peace’, that is, peace within Afghanistan and peace around Afghanistan. It requires harmonizing the interests of all, both within and around that country.
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) March 30, 2021
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उन्होंने कहा कि ऐसे में हार्ट आफ एशिया के सदस्यों एवं इसका समर्थन करने वाले देशों को हिंसा में तत्काल कमी लाने के लिये दबाव बनाने को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि स्थायी और समग्र संघर्षविराम हो सके। जयशंकर ने कहा कि भारत अंतर अफगान वार्ता सहित अफगानिस्तान सरकार और तालिबान के बीच बातचीत को आगे बढ़ाने की दिशा में सभी तरह के प्रयासों का समर्थक रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में स्थायी एवं समग्र संघर्ष विराम तथा सच्चे अर्थो में राजनीतिक समाधान की दिशा में किसी भी कदम का स्वागत करता है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत परिवर्तन के इस दौर में अफगानिस्तान का पूरी तरह से समर्थन करने को प्रतिबद्ध है। अफगानिस्तान के विकास में हमने तीन अरब डॉलर का योगदान दिया है।’’ जयशंकर ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत स्पष्ट रूप से ऐसा सम्प्रभु, लोकतांत्रिक और समावेशी अफगानिस्तान देखना चाहता है जो अपने देश के अल्पसंख्यकों का ख्याल रखता हो। उन्होंने कहा था, ‘‘शांति और मेल-मिलाप की एक प्रक्रिया होती है और सभी यह कह रहे हैं कि तालिबान प्रयास कर रहा है और बदल रहा है। फिलहाल इंतजार करते हैं, फिर देखते हैं।’’ जयशंकर के, यात्रा के दौरान सम्मेलन से इतर अन्य देशों के नेताओं से मिलने की संभावना है। तालिबान और अफगानिस्तान सरकार 19 साल से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए सीधे वार्ता कर रहे हैं। इस युद्ध में हजारों लोगों की जान चली गई और देश के कई हिस्से तबाह हो गए। भारत अफगानिस्ताान में शांति एवं स्थिरता के प्रयासों में बड़ा भागीदार रहा है।
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