मधेसियों की मांगों के मद्देनजर संविधान संशोधन का प्रस्ताव

[email protected] । Nov 30 2016 4:27PM

नेपाल सरकार ने संसद में संविधान संशोधन विधेयक सूचीबद्ध करवाया है। यह आंदोलनरत मधेसी समुदाय और अन्य समुदायों की मांगों को पूरा करने के लिए नए प्रांत का गठन करने से संबंधित है।

काठमांडू। नेपाल सरकार ने संसद में संविधान संशोधन विधेयक सूचीबद्ध करवा दिया है। यह आंदोलनरत मधेसी समुदाय और अन्य समुदायों की मांगों को पूरा करने के लिए नए प्रांत का गठन करने से संबंधित है। इन समुदायों ने पिछले साल बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था जिसमें 50 लोगों की मौत हो गई थी। सीपीएन-यूएमएल इस विधेयक का विरोध कर रही है। मंत्री परिषद ने इसका मसौदा मंगलवार को ही पारित किया था जिसके बाद संसद सचिवालय में इस विधेयक को सूचीबद्ध किया गया। विधेयक में तीन अन्य अह्म मुद्दों- नागरिकता, उच्च सदन में प्रतिनिधित्व और देश के विभिन्न हिस्सों में बोली जाने वाली भाषाओं को मान्यता- को भी संबोधित किया जाएगा।

इस बाबत मंगलवार दोपहर बालूवाटर में प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पर मंत्रिमंडल की बैठक भी हुई थी। सरकार ने यह कदम संघीय गठबंधन (फेडरल अलायंस) द्वारा तीन सूत्रीय समझौते को लागू करने के लिए दिए गए 15 दिन के अल्टीमेटम के खत्म होने के बाद उठाया है। संघीय गठबंधन मधेसी पार्टियों और अन्य समुदायों का समूह है जो उपेक्षित लोगों के लिए और अधिक प्रतिनिधित्व और अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन कर रहा है। आंदोलनरत मधेसी पार्टियों ने दो प्रमुख मुद्दे रखे हैं- पहला प्रांतीय सीमा का पुन: सीमांकन और नागरिकता।

मधेसी जिनमें से ज्यादातर भारतीय मूल के हैं उन्होंने पिछले साल सितंबर से इस साल फरवरी माह तक छह महीने तक आंदोलन चलाया था जिसके दौरान 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। आंदोलन के कारण देश की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई थी क्योंकि भारत से होने वाली आपूर्ति को रोक दिया गया था। सरकार ने नवलपारसी, रूपनदेही, कपिलवस्तु, बांके, डांग और बरदिया को अन्य तराई प्रांत में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है जिसे पांचवां प्रांत कहा जाएगा। मंत्रिमंडल ने पांच जिलों- झापा, मोरांग, सुनसेरी, कईलाली और कंचनपुर से जुड़ी समस्याओं के समाधान तलाशने के लिए आयोग गठित करने का फैसला लिया है। उप प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री बिमलेंद्र निधि ने बताया कि सरकार ने सीमा से संबंधित सभी मुद्दों की ओर ध्यान देने के लिए कार्यकारी आदेश के जरिए आयोग गठित करने का फैसला लिया है। भाषा आयोग की अनुशंसा के आधार पर विधेयक में नेपाल की सभी मातृभाषाओं को संविधान की अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव है।

प्रस्तावित विधेयक में नागरिकता के मुद्दे पर कहा गया है कि नेपाली व्यक्ति से विवाह करने वाली विदेशी महिला अपनी नागरिकता को छोड़ने की प्रक्रिया को शुरू करके यहां की नागरिकता हासिल कर सकती है। विधेयक का विरोध कर रही प्रमुख पार्टी सीपीएन-यूएमएल के उपाध्यक्ष भीम रावल ने कहा कि संविधान संशोधन विधेयक देश और यहां की जनता के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके कारण समाज का और ज्यादा ध्रुवीकरण हो जाएगा और विभिन्न सियासी समूहों में विवाद बढ़ेगा।

We're now on WhatsApp. Click to join.

Tags

All the updates here:

अन्य न्यूज़