यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों का रूस ने दिया जवाब, पुतिन ने इन 2 देशों की गैस सप्लाई रोकी

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अभिनय आकाश । Apr 28 2022 1:15PM

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रूस की गैस कंपनी ग्रैजप्रोम ने इन दोनों देशों से कहा है कि वे बुधवार से गैस की आपूर्ति नहीं करेगी। इस फैसले के बाद यमन-यूरोप पाइपलाइन के जरिये पोलैंड को होने वाली सप्लाई बुधवार सुबह आठ बजे से हो गई है। इसी तरह की सूचना बुल्गारिया को भी दी गई है।

यूक्रेन से युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए। कई देश अपने प्रतिबंधों में बढ़ोतररी कर रहे हैं। इन सब के बीच युद्ध के करीब दो महीने बाद रूस ने इन प्रतिबंधों के जवाब में कई बड़े फैसले लिए हैं। इसके तहत रूस ने पोलैंड और बुल्गारिया को गैस सप्लाई रोकने का ऐलान किया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रूस की गैस कंपनी ग्रैजप्रोम ने इन दोनों देशों से कहा है कि वे बुधवार से गैस की आपूर्ति नहीं करेगी। इस फैसले के बाद यमन-यूरोप पाइपलाइन के जरिये पोलैंड को होने वाली सप्लाई बुधवार सुबह आठ बजे से हो गई है। इसी तरह की सूचना बुल्गारिया को भी दी गई है। बुल्गारिया के ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि तुर्क स्ट्रीट पाइपलाइन के जरिये बुल्गारिया को जो गैस की आपूर्ति रूस के तरफ से होती थी वो बुधवार से बंद हो जाएगी। 

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दोनों देशों पर क्या होगा असर

रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद पोलैंड शुरू से ही यूक्रेन का खुलकर समर्थन करता रहा है। पोलैंड ने जंग लड़ने के लिए यूक्रेन को कई हथियार भी मुहैया कराए हैं। पोलैंड की सरकार ने इस सप्ताह कहा था कि वो यूक्रेन की सेना को टैंक भेज रही है। यूरोप में घरों को गर्म करने, बिजली बनाने और ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए बड़ी मात्रा में रूस से आने वाले प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल किया जाता है। पोलैंड सालाना करीब 9 बिलियन क्यूबिक मीटर रूसी गैस आयात करता है। इससे देश की लगभग 45 प्रतिशत जरूरतें पूरी होती है। हालांकि अभी 76 प्रतिशत गैस का रिजर्व शेष है इसलिए इसका तुरंत प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन सप्लाई के ज्यादा दिनों तक बाधित होने की स्थिति में पोलैंड गंभीर संकट से गुजर सकता है। ऐसे ही बुल्गेरिया को मिलने वाली गैस का 90 प्रतिशत हिस्सा रूसी कंपनी गैजप्रोम से प्राप्त होता है।  

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प्रतिबंधों की धार पर लगाम के लिए पुतिन की प्रेशर पॉलिटिक्स 

यूरोपीय देश गैस के लिए रूस पर काफी हद तक निर्भर हैं। रूस से ये देश करीब 40 फीसदी गैस लेते हैं। युद्ध के दो महीने बाद भी यूरोपीय देश रूस से गैस आयात कर रहे थे। जिसके लिए यूरोपीय देश 60 प्रतिशत राशी का भुगतान यूरो में और बाकी का डॉलर में कर रहे थे।  यूक्रेन से युद्ध के बाद पुतिन ने इस भुगतान को पूरी तरह से रूबल में करने की मांग की थी। इस पर यूरोपीय देशों के नेताओं ने कहा था कि यह पूर्व निर्धारित शर्त का उल्लंघन है। इसलिए वे रूबल के जरिए पैमेंट नहीं करेंगे। गैस की आपूर्ति कोई पेस्ट, टमैटो सॉस या किसी अन्य सामान की आपूर्ति करने जैसा सरल नहीं है। इसके लिए पाइपलाइन और अन्य चीजों की आवश्यकता होती है, कुल मिलाकर कहें कि ये एक लंबी प्रक्रिया है जो दो-चार दिनों में संभव नहीं है। पुतिन इस बात को भलि-भांति जानते हैं। इसलिए उन्होंने एक प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत ये कदम उठाया है। जिससे यूरोपीय देशों के लगातार तेज होते प्रतिबंधों की धार पर लगाम लगाई जा सके। 

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