विदेशी श्रमिकों के आवास स्थलों के मानकों में सुधार करेगा सिंगापुर

accommodation for foreign workers
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कोविड-19 के दौरान महामारी का केंद्र बने विदेशी श्रमिकों के रहने के डॉर्मेटरी वाले क्षेत्रों को अब एकल नियामक प्रारूप के तहत लाइसेंस दिया जा रहा है। इससे अधिकारियों को उनके संचालन मापदंड को उन्नत करने एवं किसी महामारी के फैलने पर उसका प्रबंधन करने के लिए वहां अतिरिक्त प्रावधान लागू के अधिकार मिल जाएंगे।

कोविड-19 के दौरान महामारी का केंद्र बने विदेशी श्रमिकों के रहने के डॉर्मेटरी वाले क्षेत्रों को अब एकल नियामक प्रारूप के तहत लाइसेंस दिया जा रहा है। इससे अधिकारियों को उनके संचालन मापदंड को उन्नत करने एवं किसी महामारी के फैलने पर उसका प्रबंधन करने के लिए वहां अतिरिक्त प्रावधान लागू के अधिकार मिल जाएंगे। मंगलवार में मीडिया में आयी खबरों के अनुसार इस बदलाव के बाद विदेशी कर्मी डॉर्मेटरी कानून (फेडा) के तहत लाइसेंसशुदा डॉर्मेटरी की संख्या 53 से बढ़कर 1600 हो जाएंगी। इसके कारण इनके दायरे में कुल 4,39,00 बिस्तर आ जाएंगे जहां अन्य श्रमिकों के साथ भारतीय श्रमिक भी रहते हैं।

कार्य बल मंत्रालय (एमओएम) ने मंगलवार को घोषणा की कि अगले साल एक अप्रैल से फेडा के दायरे के तहत उन डॉर्मेटरी को लाया जाएगा जहां सात से लेकर 1000 से नीचे तक बिस्तरे हों। चैनल न्यूज एशिया के अनुसार फिलहाल सभी डॉर्मेटरी को अग्नि सुरक्षा, जीवन परिस्थितयों, स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य आवश्यकताओं के जैसे विषयों में विभिन्न कानूनों के तहत अलग अलग मानक पूरे करने पड़ते हैं।

सिंगापुर में 1000 या उससे अधिक बिस्तर वाले डॉर्मेटरी ही फेडा के तहत लाइसेंसशुदा हैं और उन्हें वहां रहने वालों के लिए जनस्वास्थ्य, सुरक्षा तथा मनोरंजन एवं वाणिज्यिक सुविधाओं की शर्तें पूरी करनी होती है। वर्ष 2020 में इन डॉर्मेटरी में रहने वाले हजारों प्रवासी कोविड-19 से संक्रमित हो गये थे। पिछले साल एमओएम ने घोषणा कि वह फेडा के दायरे का विस्तार करने के लिए उसकी समीक्षा करेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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