हथियारों-गोला-बारूद की भाषा समझने वाले तालिबान की रूस-यूक्रेन से शांति की अपील, जारी किया बयान

Taliban
रेनू तिवारी । Feb 26 2022 12:42PM

पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के महीनों बाद, तालिबान ने रूस और यूक्रेन से 'संयम' दिखाने और शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से चल रहे संकट को हल करने का आग्रह किया है। तालिबान ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर नागरिकों के हताहत होने की वास्तविक संभावना पर चिंता व्यक्त की।

विश्व उस दिन को कभी नहीं भूल सकता जब 2021 में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाने की घोषणा की थी। बाइडेन की इस घोषणा ने पूरे विश्व में हलचल पैदा कर दी थी वहीं उनके इस निर्णय ने एक मुल्क (अफगानिस्तान) का अस्तित्व ही खत्म कर दिया था। एक देश जहां 20 सालों से अमेरिका की सेना ने तालिबानियों को कंट्रोल में रखा था अचानक सेना देश छोड़कर वापस चली जाती है और देश की सरकार तालिबानियों के आगे हथियार डाल देते ही। देश का राष्ट्रपति रातों रात जनता को छोड़कर देश छोड़कर भाग जाता है। तालिबानी देश में आतंक मचाते हैं खुलेआम मारकाट करते हैं और जबरत देश पर कब्जा कर लेते हैं। हिसां से अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला देश तालिबान में रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी चिंता प्रकट की हैं और हालात पर अपना राय दी हैं। 

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ताबिलान ने की शांति और संयम बनाये रखने की बात

पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा करने के महीनों बाद, तालिबान ने रूस और यूक्रेन से 'संयम' दिखाने और शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से चल रहे संकट को हल करने का आग्रह किया है। तालिबान ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर नागरिकों के हताहत होने की वास्तविक संभावना पर चिंता व्यक्त की और रूस और यूक्रेन को हिंसा से दूर रहने को कहा।

 

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तालिबान ने बयान में क्या कहा?

बयान में कहा गया है, अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात यूक्रेन में स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है और नागरिकों के हताहत होने की वास्तविक संभावना के बारे में चिंता व्यक्त करता है। इस्लामिक अमीरात दोनों पक्षों से संयम बरतने का आह्वान करता है। सभी पक्षों को ऐसी स्थिति लेने से बचना चाहिए जो हिंसा को तेज कर रही है।

तालिबान ने युद्ध के दम पर किया था अफगानिस्तान पर कब्जा

तालिबान ने 15 अगस्त, 2021 को इसी तरह के सैन्य हमले के माध्यम से अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया - कंधार, हेरात, मजार-ए-शरीफ, जलालाबाद और लश्कर गाह जैसे प्रमुख शहरों के बिना प्रतिरोध के गिर गए क्योंकि अमेरिकी सेना युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से 20 साल बाद पीछे हट गई। रिपोर्टों के अनुसार, जब तालिबान ने अपना आक्रामक अभियान शुरू किया, तो 1,000 से अधिक नागरिक मारे गए और 2,000 से अधिक घायल हो गए। तालिबान के बयान में कहा गया "अफगानिस्तान का इस्लामी अमीरात, तटस्थता की अपनी विदेश नीति के अनुरूप, संघर्ष के दोनों पक्षों से बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से संकट को हल करने का आह्वान करता है। इस्लामिक अमीरात संघर्ष के पक्षों से जीवन की सुरक्षा पर ध्यान देने का भी आह्वान करता है। इस बीच, यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि संघर्ष में अब तक 1,000 से अधिक रूसी सैनिक मारे गए हैं।

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