35 एकड़ की जमीन को लेकर पूरी दुनिया में तनाव, इजरायल-फिलिस्तीन की लड़ाई का क्या है इतिहास?

land
AI Image
अभिनय आकाश । Nov 15 2025 6:33PM

अंग्रेजी संस्करण टेंपल माउंट है। इसी परिसर को मुस्लिम हरम अल शरीफ बुलाते हैं। एक ही जगह के अलग अलग नाम होने की वजह दोनों धर्मों की मान्यताएं हैं। यहूदी मानते हैं कि इसी जगह पर उनके ईश्वर ने वो मिट्टी संजोई थी जिससे एडम का सृजन हुआ। जिससे इंसानों की भावी पीढ़ियां अस्थित्व में आई।

हमारी ये धरती बहुत बड़ी है। तकरीबन 51 करोड़ स्क्वायर किलोमीटर में फैली हुई। इसमें केवल 29 फीसदी हिस्से में जमीन है। धरती पर जमीन का कुल क्षेत्रफल 15 करोड़ स्क्वायर किलोमीटर है। ये आंकड़े सुनकर पहली नजर में आपको लगेगा कि आज का हम जियोग्रॉफी से जुड़ी बात क्यों कर रहे हैं। लेकिन आज तो बात ऐसे फसाद की करेंगे जिसका मूल जमीन है। वो भी महज 35 एकड़ का एक प्लॉट यानी कि इतनी विशाल दुनिया का एक दशवलव से भी कम हिस्सा। लेकिन ये छोटा सा प्सट दुनिया की सबसे विवादित जगहों में से एक है। इसलिए कि दुनिया के तीन बड़े धर्म इस प्लॉट पर अपना दावा करते हैं। इस विवादित दावेदारी के चलते कई युद्ध हुए। ये मामला येरूशलम का है। वहां शहर के पुराने हिस्से में पहाड़ी के ऊपर फैला एक आयातकार प्लेटफॉर्म है। इस कंपायउंड को यहूदी हर हवाई अल, ये ब्रू भाषा का शब्द है। इस नाम का प्रचलित अंग्रेजी संस्करण टेंपल माउंट है। इसी परिसर को मुस्लिम हरम अल शरीफ बुलाते हैं। एक ही जगह के अलग अलग नाम होने की वजह दोनों धर्मों की मान्यताएं हैं। यहूदी मानते हैं कि इसी जगह पर उनके ईश्वर ने वो मिट्टी संजोई थी जिससे एडम का सृजन हुआ। जिससे इंसानों की भावी पीढ़ियां अस्थित्व में आई।

इसे भी पढ़ें: गाजा में फिर हमास के लड़ाकों का कब्जा, इजरायली फौज के लौटते ही पलटी बाजी, ट्रंप की फिस्ड्डी निकली शांति संधि!

यहूदियों की टेंपल माउंट से एक और मान्यता जुड़ी हैं। उनके पैगंबर अब्राहम के इस्माइल और इसाक दो बेटे थे। एक बार ईश्नर ने अब्राहम से उनके बेटे इसाक की बलि मांगी। अल्लाह ने हस्तक्षेप किया और एक मेढ़े को इसहाक की जगह पर कुर्बान करने के लिए भेजा, जिससे यहूदी, ईसाई और इस्लामी परंपराओं में पैगंबर अब्राहम के विश्वास और आज्ञाकारिता का प्रतीक बन गया। बलिदान की घटना इसी टेंपल माउंट पर हुई थी इसीलिए इजरायल के राजा किंग सोलमॉन ने 1000 ईसा पूर्व में यहां में एक भव्य मंदिर बनवाया जिसे यहूदी फर्स्ट टेंपल कहते हैं। आगे चलकर बेबिलोनियन सभ्यता के लोगों ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया। पांच सदी बाद 516 ईसा पूर्व में यहूदियों ने दोबारा इसी जगह पर एक मंदिर बनाया। वो मंदिर सेंकेड टेंपल कहलाया। इस मंदिर के अंदरूनी हिस्से को यहूदी होली ऑफ होलिज यानी पवित्र से भी पवित्र कहते हैं।

इसे भी पढ़ें: गाजा में बचे चार बंधकों में से एक का शव लौटाया गया: इजराइल

ऐसी जगह जहां आम यहूदियों को भी पांव रखने की इजाजत नहीं थी केवल से पुजारी इसमें प्रवेश पाते थे। ये सेकेंड टेंपल करीब 600 साल तक अस्तित्व में रहा। सन 70 में रोमन ने इसे भी तोड़ दिया। लेकिन इस मंदिर की एक दीवार आज भी मौजूद है और जिसे वेस्टर्न वॉल कहते हैं। ये दीवार उस सेकेंड टेंपल के बाहरी आहाते का हिस्सा मानी जाती है। यहूदी अपनी ये मान्यताएं जानते हैं, लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि मंदिर का भीतरी हिस्सा यानी होली ऑफ होलिज टेंपल माउंट के किस हिस्से में स्थित है। क्योंकि प्राचीन समय में आम यहूदियों को वहां जाने की छूट नहीं थी तो कई धार्मिक यहूदी आज भी ऊपरी अहाते में पांव नहीं रखते वह वेस्टर्न वॉल के पास ही प्रार्थना करते हैं। 

All the updates here:

अन्य न्यूज़