अमेरिकी सेना की योजना अगले दो साल में हजारों स्वायत्त युद्ध-रोबोट तैयार करने की

Minister Kathleen Hicks
Creative Common

ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल आज एमक्यू-28 घोस्टबैट स्वायत्त फास्ट जेट एयर वाहन, रोबोट प्रणाली वाले बख्तरबंद वाहन, रोबोट लॉजिस्टिक ट्रक और रोबोट पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। वह तिमोर सागर में समुद्री सीमा निगरानी के लिए ब्लूबॉटल रोबोट सेलबोट का उपयोग कर रहा है। एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ‘एसवाईपीएक्यू’ यूक्रेन के लिए अपने कई सस्ते, कार्डबोर्ड से बने ड्रोन भेज रही है।

अमेरिका की उप रक्षा मंत्री कैथलीन हिक्स ने सोमवार को अपने एक भाषण में घोषणा की कि उनके देश की सेना चीन की बढ़ती ताकत को देखते हुए अगले दो वर्षों में हजारों स्वायत्त हथियार प्रणालियों का उपयोग शुरू करने की योजना बना रही है। अमेरिका की रेप्लिकेटर पहल का उद्देश्य सेना की सभी शाखाओं के लिए अत्यधिक संख्या में किफायती प्रणालियों का उत्पादन करने के वास्ते रक्षा और अन्य तकनीकी कंपनियों के साथ समन्वय करना है। पिछले करीब एक दशक के आसपास विभिन्न स्तरों में स्वतंत्र संचालन के लिए सक्षम सैन्य प्रणालियाँ तेजी से सामान्य हुई हैं। लेकिन अमेरिकी घोषणा स्पष्ट करती है कि युद्ध का भविष्य बदल गया है : लड़ाके रोबोट का दौर आ गया है। विचार को हकीकत में बदलने का समय आ गया है बीते दशक में, सैन्य उद्देश्यों के लिए उन्नत रोबोटिक प्रणालियों का खासा विकास हुआ है। इनमें से कई तो परिवर्तित वाणिज्यिक प्रौद्योगिकी पर आधारित हैं, जो स्वयं अधिक सक्षम, सस्ती और व्यापक रूप से उपलब्ध हो गई है।

हाल ही में, ध्यान इस बात पर प्रयोग करने पर केंद्रित हो गया है कि युद्ध में इनका सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए। यूक्रेन में रूस के युद्ध ने दिखा दिया है कि वास्तविक दुनिया में तैनाती के लिए प्रौद्योगिकी तैयार है। बख्तरबंद वाहनों और तोपखाने का पता लगाने और उन पर हमला करने के लिए रोबोट हवाई वाहन का व्यापक रूप से उपयोग किया गया है। यूक्रेनी नौसेना के हमलावर ड्रोनों ने रूस के काला सागर बेड़े को पंगु बना दिया है, जिससे उनके युद्धपोत बंदरगाह से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। कभी सैन्य रोबोट के बारे में सोच विचार होता था लेकिन अब इनका समय आ गया है। हर जगह रोबोट अपने भाषण में, अमेरिका की उप रक्षा मंत्री हिक्स ने युद्ध लड़ने के तरीके बदलने की तत्काल आवश्यकता रेखांकित की। उन्होंने घोषणा की कि नया रेप्लिकेटर प्रोग्राम अगले 18 से 24 महीनों के भीतर कई डोमेन में हजारों की संख्या में जिम्मेदार स्वायत्त प्रणालियों को पेश करेगा। ‘स्वायत्त’ का अर्थ एक ऐसा रोबोट है जो मानव हस्तक्षेप के बिना जटिल सैन्य अभियानों को अंजाम दे सकता है।

‘एट्रिटेबल’ का अर्थ है कि रोबोट इतना सस्ता है कि उच्च प्राथमिकता वाले मिशन में इसे जोखिम में डालने तथा खोने का खतरा मोल लिया जा सकता है। ऐसा रोबोट पूरी तरह से अपघटीय (डिस्पोजेबल) होने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया है, लेकिन यह बहुत किफायती होगा इसलिए इन्हें बड़ी संख्या में खरीदा जा सकता है और युद्ध के नुकसान की भरपाई की जा सकती है। ‘एक से अधिक डोमेन’ से तात्पर्य ज़मीन पर, समुद्र में, हवा में और अंतरिक्ष में रोबोट की तैनाती से है। संक्षेप में कहा जाए तो सभी प्रकार के कार्यों के लिए हर जगह रोबोट तैनात किए जा सकते हैं। रोबोट मिशन अमेरिकी सेना के लिए, रूस एक ‘गंभीर खतरा’ है, लेकिन चीन ‘लगातार तेज होती चुनौती’ भी है जिसके खिलाफ उसे अपनी सैन्य क्षमताओं को मजबूत बनाना है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में अधिक लोग, अधिक टैंक, अधिक जहाज, अधिक मिसाइलें इत्यादि हैं।

अमेरिका के पास भले ही बेहतर गुणवत्ता वाले उपकरण हो सकते हैं, लेकिन चीन संख्या के मामले में बाजी मार ले जाता है। रेप्लिकेटर प्रोग्राम अब हजारों ‘एट्रिटेबल ऑटोनॉमस सिस्टम’ का त्वरित निर्माण कर, अमेरिका को भविष्य के प्रमुख युद्ध जीतने के महत्वपूर्ण मदद देगा। चीन का ताइवान को लेकर जो रुख है उससे तनाव के संघर्ष में तब्दील होने की आशंका है। ऐसे में रोबोट किसी भी बड़े चीनी आक्रमण को बेदम करने में अमेरिका के लिए निर्णायक हो सकते हैं। रेप्लिकेटर भी आगे देख रहा है, और उसका लक्ष्य लंबी अवधि के लिए रोबोट के बड़े पैमाने पर उत्पादन को संस्थागत बनाना है। एक साहसी नयी दुनिया? स्वायत्त प्रणालियों के बारे में एक बड़ी चिंता यह है कि क्या उनका उपयोग सशस्त्र संघर्ष के कानूनों के अनुरूप हो सकता है? आशावादियों का तर्क है कि रोबोटों का प्रोग्राम सावधानीपूर्वक इस तरह तैयार किया जा सकता है कि वे नियमों का पालन करें क्योंकि गर्मी और लड़ाई के दौरान भ्रम की स्थिति में वे नियमों का मनुष्यों से बेहतर पालन कर सकते हैं।

निराशावादी यह कहते हुए विरोध करते हैं कि सभी स्थितियों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता और रोबोट से समझने तथा हमला करने में भूल हो सकती है जो नहीं होना चाहिए। यह महत्वपूर्ण है। पहले की स्वायत्त सैन्य प्रणालियों में, फालैंक्स क्लोज-इन पॉइंट डिफेंस गन और सतह से हवा में मार करने वाली पैट्रियट मिसाइल दोनों ने खराब प्रदर्शन किया जो नुकसानदेह था। एक वैश्विक परिवर्तन अमेरिका बड़ी संख्या में स्वायत्त प्रणालियां तैनात करने वाला पहला देश हो सकता है, लेकिन अन्य देश उससे बहुत पीछे होंगे। चीन को कम नहीं आंका जा सकता, जिसके पास कृत्रिम बुद्धिमत्ता और लड़ाकू ड्रोन उत्पादन में महारत है। स्वायत्त सैन्य ड्रोन की अधिकतर तकनीक नागरिक उद्देश्यों के लिए विकसित की गई है, अत: यह व्यापक रूप से उपलब्ध है और अपेक्षाकृत सस्ती है। स्वायत्त सैन्य प्रणालियाँ केवल महाशक्तियों के लिए ही नहीं हैं, बल्कि जल्द ही कई मध्यम और छोटी शक्तियां भी इन्हें मैदान में उतार सकती हैं।

लीबिया और इज़राइल तथा कुछ अन्य देशों द्वारा स्वायत्त हथियार प्रणालियां तैनात किए जाने की खबरें हैं। तुर्की निर्मित ड्रोन यूक्रेन युद्ध में महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया भी स्वायत्त हथियारों की संभावनाओं में गहरी दिलचस्पी रखता है। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल आज एमक्यू-28 घोस्टबैट स्वायत्त फास्ट जेट एयर वाहन, रोबोट प्रणाली वाले बख्तरबंद वाहन, रोबोट लॉजिस्टिक ट्रक और रोबोट पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। वह तिमोर सागर में समुद्री सीमा निगरानी के लिए ब्लूबॉटल रोबोट सेलबोट का उपयोग कर रहा है। एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी ‘एसवाईपीएक्यू’ यूक्रेन के लिए अपने कई सस्ते, कार्डबोर्ड से बने ड्रोन भेज रही है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़