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व्हाइट हाउस का बयान, रूस के साथ परमाणु समझौते में पांच साल विस्तार देना चाहता है अमेरिका
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 22, 2021 11:30
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व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिका ‘न्यू स्टार्ट’ समझौते में पांच साल का विस्तार चाहता है। राष्ट्रपति लंबे समय से यह मानते आए हैं कि ‘न्यू स्टार्ट’ समझौता अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है।’
वाशिंगटन। अमेरिका रूस के साथ परमाणु हथियार एवं रोकथाम से संबंधित ‘न्यू स्टार्ट’ समझौते को पांच वर्ष के लिए बढ़ाना चाहता है। राष्ट्रपति जो बाइडन का लंबे समय से यह मानना है कि यह अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में होगा। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘अमेरिका ‘न्यू स्टार्ट’ समझौते में पांच साल का विस्तार चाहता है। राष्ट्रपति लंबे समय से यह मानते आए हैं कि ‘न्यू स्टार्ट’ समझौता अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है।’’ उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में इस विस्तार का और अधिक महत्व हो जाता है जब रूस के साथ अमेरिका के प्रतिकूल संबंध हैं। ‘न्यू स्टार्ट’ समझौता अमेरिका और रूस के बीच अब कायम एकमात्र समझौता है।
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यह समझौता रूस के परमाणु बलों पर लगाम लगाने वाला और दोनों देशों के बीच रणनीतिक स्थिरता में महत्वपूर्ण रहा है। साकी ने कहा, ‘‘हमलोग अमेरिका के हित में रूस के साथ काम करेंगे और उसके दुस्साहसी एवं प्रतिकूल कार्रवाइयों पर उसे जिम्मेदार ठहराने के लिए भी काम करेंगे।’’ प्रेस सचिव ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन खुफिया विभाग को ‘सोलर विंड्स’ साइबर घुसपैठ, 2020 के चुनाव में रूसी दखल और अपने विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी के खिलाफ रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल आदि मामलों की जांच का जिम्मा सौंप रहे हैं।
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पेंटागन के नए प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि रूस के साथ इस संधि से अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के हित बेहतर हुए हैं और ‘न्यू स्टार्ट’ समझौता तथा इसमें विस्तार अमेरिकी लोगों की सुरक्षा से जुड़ा है। सीनेटर डायने फीनस्टीन ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ‘न्यू स्टार्ट’ समझौते में पांच साल का विस्तार चाहते हैं। यह रूस के साथ परमाणु हथियार एवं नियंत्रण से संबंधित हमारा मौजूदा एकमात्र द्विपक्षीय समझौता है।
म्यांमा में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करना सभी हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए: भारत
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 14:55
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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने म्यांमा की स्थिति पर महासभा की अनौपचारिक बैठक में शुक्रवार को उक्त टिप्पणी की। म्यांमा में इस महीने के शुरू में सेना ने तख्तापलट कर दिया था।
संयुक्त राष्ट्र। भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में कहा कि म्यांमा में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल करना सभी हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए और हिरासत में लिए गए नेताओं को रिहा किया जाना चाहिए। साथ में उसने दक्षिण पूर्व एशियाई देश के नेतृत्व से शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से अपने मतभेदों को हल करने के लिए मिलजुलकर काम करने का आह्वान किया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने म्यांमा की स्थिति पर महासभा की अनौपचारिक बैठक में शुक्रवार को उक्त टिप्पणी की। म्यांमा में इस महीने के शुरू में सेना ने तख्तापलट कर दिया था।
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उन्होंने कहा, “भारत म्यांमा के साथ जमीन और समुद्री सीमा साझा करता है और उसका शांति और स्थिरता बनाए रखने में सीधा हित है। इसलिए म्यांमा के हालिया घटनाक्रम पर भारत करीब से निगाह रख रहा है। हम इस बात पर चिंतित हैं कि लोकतंत्र की दिशा में म्यांमा में पिछले दशकों में हासिल की गई बढ़त को कमतर नहीं किया जाना चाहिए।“ तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत का मानना है कि कानून का शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखा जाना चाहिए, हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाना चाहिए तथा शांति कायम रहनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हम म्यांमा के नेतृत्व से आह्वान करते हैं कि वे अपने मतभेदों को शांतिपूर्ण और रचनात्मक तरीके से सुलझाने के लिए मिलकर काम करें। एक फरवरी को सेना ने म्यांमा की लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को बर्खास्त कर दिया था और सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। इसी के साथ स्टेट काउंसलर आंग सांग सू ची, राष्ट्रपति यू विन मिन्त और अन्य शीर्ष राजनीतिक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था। तिरुमूर्ति ने कहा, लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करना म्यांमा में सभी हितधारकों की प्राथमिकता होनी चाहिए।
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उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस महत्वपूर्ण मोड़ पर म्यांमा के लोगों को अपना रचनात्मक समर्थन देना चाहिए। इस बीच संयुक्त राष्ट्र में म्यांमा के राजदूत ने देश की सेना की अवहेलना करते हुए शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा से सैन्य तख्तापलट को खत्म करने में मदद के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की गुहार लगाई। के एम तुन बेदखल कर दी गई असैन्य सरकार के प्रति वफादार रहे। उन्होंने कहा कि वह एनएलडी नीत असैन्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। तुन ने तख्तापलट की निंदा की और सभी सदस्य राष्ट्रों और संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि वे सैन्य तख्तापलट की निंदा करें और सैन्य शासन को किसी भी माध्यम से मान्यता न दें।
उन्होंने तीन उंगलियों से सलाम किया जो सैन्य शासन के खिलाफ म्यांमा में प्रदर्शनकारी कर रहे है और कहा, “ हम उस सरकार के लिए लड़ाई जारी रखेंगे जो जनता की, जनता द्वारा और जनता के लिए हो।“ म्यांमा पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की विशेष दूत क्रिस्टीन एस बर्गनर ने महासभा से सामूहिक रूप से म्यांमा में लोकतंत्र के समर्थन में एक स्पष्ट संकेत भेजने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “इस समय, लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को किनारे कर दिया गया है और स्टेट काउंसेलर तथा संघीय गणराज्य के राष्ट्रपति सहित निर्वाचित नेताओं को हिरासत में रखा गया है।“
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म्यांमा के रखाइन राज्य में विस्थापित लोगों के मुद्दे पर अपने संबोधन में तिरूमूर्ति ने कहा कि विस्थापित लोगों की देश वापसी के मुद्दे को हल करने में भारत का सबसे ज्यादा हित है, क्योंकि वह एकमात्र ऐसा देश है जिसकी बांग्लादेश और म्यांमा, दोनों के साथ एक लंबी सरहद है।
सीरिया हवाई हमले पर सामने आया व्हाइट हाउस का बयान, अमेरिकी कर्मियों को लेकर कही यह अहम बात
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 14:46
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व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा, ‘‘ राष्ट्रपति स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि वह अमेरिकियों के हितों की रक्षा करने के लिए कदम उठाने जा रहे हैं और जब खतरा होगा तो वह सही समय पर अपने हिसाब से कदम उठाएंगे।’’
वाशिंगटन। व्हाइट हाउस ने कहा है कि सीरिया में हवाई हमले कर राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अमेरिकी कर्मियों एवं ठिकानों की रक्षा की तथा ‘आने वाले हफ्तों में’ सभांवित और हमलों के खतरों को टाला है। उल्लेखनीय है कि बृहस्पतिवार को अमेरिका ने हवाई हमले में ताकतवर ईरान समर्थित इराकी सैन्य समूहों के सीरिया स्थित ठिकानों को निशाना बनाया जिसमें एक लड़ाके के मारे जाने एवं कई के घायल होने की खबर है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ राष्ट्रपति स्पष्ट संदेश दे रहे हैं कि वह अमेरिकियों के हितों की रक्षा करने के लिए कदम उठाने जा रहे हैं और जब खतरा होगा तो वह सही समय पर अपने हिसाब से कदम उठाएंगे।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘वह (बाइडेन) इन कदमों को विचारशील तरीके से उठाएंगे और इसका उद्देश्य सीरिया और इराक के बीच तनाव कम करना है।’’ इस हवाई हमले के, ईरान के साथ दोबारा शुरू होने वाली वार्ता पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर साकी ने कहा कि इस समय स्थिति यह है कि अमेरिका इन कूटनीतिक वार्ताओं के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि इस समय यूरोप ने आमंत्रण दिया है और ‘हम जवाब का इंतजार कर रहे हैं।’’ सीरिया पर हवाई हमले की वैधानिकता के सवाल पर साकी ने कहा कि यह घरेलू कानून का मामला है जिसके तहत राष्ट्रपति अमेरिकी कर्मियों की रक्षा के लिए ऐसा कदम उठा सकते हैं।
सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पत्रकार खशोगी की हत्या की दी थी मंजूरी: अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- फरवरी 27, 2021 11:38
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राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय कार्यालय ने रिपोर्ट में कहा कि मोहम्मद बिन सलमान ने शायद ऐसा माहौल बनाया जिसमें उनके सहयोगियों में इस बात का डर पैदा हुआ कि सौंपा गया काम पूरा नहीं करने पर उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है या उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है।
वाशिंगटन। अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सऊदी अरब के वलीअहद (क्राउन प्रिंस) मोहम्मद बिन सलमान ने इस्तांबुल में पत्रकार जमाल खशोगी को पकड़ने या मारने के एक अभियान को मंजूरी दी थी। खशोगी की दो अक्टूबर 2018 को तुर्की के इस्तांबुल शहर में सऊदी अरब के वाणिज्य दूतावास में हत्या कर दी गई थी। वह अमेरिका के वैध स्थायी निवासी थे और वाशिंगटन पोस्ट अखबार में लेख लिखते थे और वलीअहद की नीतिओं के कटु आलोचक थे।
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राष्ट्रीय खुफिया निदेशालय कार्यालय (ओडीएनआई) ने रिपोर्ट में कहा कि मोहम्मद बिन सलमान ने शायद ऐसा माहौल बनाया जिसमें उनके सहयोगियों में इस बात का डर पैदा हुआ कि सौंपा गया काम पूरा नहीं करने पर उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है या उनकी गिरफ्तारी की जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस बात की संभावना नहीं है कि उनके सहयोगी वहलीअहद के आदेश पर सवाल कर सकते थे या फिर संवेदनशील अभियान बिना उनकी मंजूरी के चला सकते थे। यह रिपोर्ट 11 फरवरी की है और रिपोर्ट के एक हिस्से को गोपनीयता के दायरे से बाहर किया गया है जिसे शुक्रवार को कांग्रेस (अमेरिकी संसद) में दाखिल किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, हमारा आकलन है कि सऊदी अरब के वलीअहदमोहम्मद बिन सलमान ने तुर्की के इस्तांबुल में सऊदी पत्रकार खशोगी को पकड़ने या मारने के अभियान को मंजूरी दी थी। ओडीएनआई ने कहा कि उसका आकलन इस पर आधारित है कि सऊदी अरब में मोहम्मद बिन सलमान के बिना फैसले नहीं होते हैं और अभियान में उनके प्रमुख सलाहकार और उनके सुरक्षा दस्ते के एक सदस्य की सीधी संलिप्तता है।
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रिपोर्ट कहती है, 2017 से वलीअहद का देश की सुरक्षा एवं खुफिया संगठनों पर पूर्ण नियंत्रण है। इस बात की संभावना नहीं है कि सऊदी अधिकारी इस प्रकृति का अभियान बिना वलीअहद की इजाजत के चलाएं। कांग्रेस को रिपोर्ट मिलने के कुछ देर बाद, अमेरिका विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने खशोगी प्रतिबंध की घोषणा की, जिसमें सऊदी अरब के 76 ऐसे व्यक्तियों पर वीजा प्रतिबंध लगाए गए हैं जिनके बारे में माना जाता है कि वे विदेशों में असहमति के स्वरों को डराने-धमकाने में शामिल हैं। यह सिर्फ खशोगी हत्याकांड तक सीमित नहीं है।

