ईशनिंदा कानून क्या है? कौन-सा गुनाह करने पर सरेआम इंसान को उतार दिया जाता है मौत के घाट?

What is blasphemy law
रेनू तिवारी । Dec 4 2021 10:55AM

पाकिस्तान में भीड़ ने शुक्रवार को श्रीलंका के एक नागरिक की कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी और फिर उसके शव को जला दिया। पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यहां से करीब सौ किलोमीटर दूर सियालकोट जिले की एक कपड़ा फैक्टरी में प्रियंता कुमारा महाप्रबंधक के तौर पर काम करते थे।

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भीड़ ने शुक्रवार को श्रीलंका के एक नागरिक की कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी और फिर उसके शव को जला दिया। पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यहां से करीब सौ किलोमीटर दूर सियालकोट जिले की एक कपड़ा फैक्टरी में प्रियंता कुमारा महाप्रबंधक के तौर पर काम करते थे। आइये आपको बताते हैं कि आखिर ईशनिंदा कानून क्या है और ये किन-किन देशों द्वारा अपनाया गया है।

ईशनिंदा कानून क्या है?

हम सभी किसी न किसी धर्म से जुड़े होते हैं। भगवान में आस्था हमारा व्यक्तिगत अधिकार माना जाता हैं। अस्था जब हद से गुजर जाती है तो वह अंधविश्वास बन जाती हैं। कट्टर आस्था कई बार अपराध को भी जन्म देती हैं। विश्व के कई इस्लामिक देशों में धर्म को लेकर ईशनिंदा कानून बना हुई है। जहां कई बार इसका बड़ा ही कड़े तौर पर पालन किया जाता हैं। ईशनिंदा कानून ईशनिंदा को प्रतिबंधित करने वाला कानून है, जहां ईशनिंदा किसी देवता, पवित्र वस्तुओं का अपमान, धर्म की अवमानना, भगवान के सम्मान की कमी, या पवित्र या अदृश्य मानी जाने वाली किसी चीज़ के प्रति अपमान करने का कार्य है। प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 2014 तक दुनिया के लगभग एक चौथाई देशों और क्षेत्रों (26%) में ईशनिंदा विरोधी कानून या नीतियां थीं।

ईशनिंदा कानून को लेकर दुनियाभर में विरोध होता रहा है। इस कानून के तहत मानवता को कई बार शर्मशार किया गया है। कानून की कट्टरता इस कदर है कि इसमें महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ा जाता। गलती से भी कोई धर्म के प्रति सामान विचार नहीं रखता तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। ईशनिंदा कानून के तहत पर दुनिया भर में लोगों को उन विश्वासों और गतिविधियों के लिए सताया जाता है जो धार्मिक और संवेदनशील विषयों पर बहुमत की राय के अनुरूप नहीं होते हैं। इस कानून को धर्म की आलोचना को दबाने के लिए उपयोग किया जाता है।

आलोचना और ईशनिंदा में अंतर

धर्म या आस्था की आलोचना और ईशनिंदा में अंतर होता है। आलोचना बोलने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अंतर्गत आ सकती है- जहां लोग तर्क और तर्कसंगतता के आधार पर उस धर्म के खिलाफ बुरे शब्दों का इस्तेमाल किए बिना किसी धर्म की आलोचना कर सकते हैं, जबकि ईशनिंदा शब्द या कर्म से किसी धर्म को बदनाम करने की कोशिश करने वालों के प्रति होती है। इसकी मानवाधिकार संगठनों और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के प्रस्तावों द्वारा बार-बार निंदा की जाती रही है। दुनिया के कुछ हिस्सों में, क़ानून की किताबों पर ईशनिंदा कानूनों को कई सालों से लागू नहीं किया गया है, लेकिन 2015 के बाद से एक ठोस अंतरराष्ट्रीय अभियान ने इन कानूनों को रद्द करने की उम्मीद के साथ इन कानूनों का इस्तेमाल करने के तरीके पर ध्यान आकर्षित करने की मांग की है। पाकिस्तान जैसे देश धार्मिक और राजनीतिक अल्पसंख्यकों को सताने के लिए इस कानून का प्रयोग करते हैं। कुछ राज्य ईशनिंदा कानूनों को बहुमत के धार्मिक विश्वासों की "रक्षा" के रूप में उचित ठहराते हैं, जबकि अन्य देशों में, उन्हें अल्पसंख्यकों के धार्मिक विश्वासों की सुरक्षा प्रदान करने के लिए माना जाता है।

ईशनिंदा कानूनों का इस्तेमान किन परिस्थितियों में किया जाता है

धर्म और धार्मिक समूहों की बदनामी,

धर्म और उसके अनुयायियों की मानहानि

धर्म और उसके अनुयायियों की बदनामी

धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना

धर्म की अवमानना

ईशनिंदा का मिलताजुलता स्वरूप

कुछ न्यायालयों में, ईशनिंदा कानूनों में घृणास्पद भाषण कानून शामिल हैं जो नफरत और हिंसा के आसन्न उत्तेजना को प्रतिबंधित करने से परे हैं, जिनमें कई यूरोपीय देश शामिल हैं जो देश द्वारा भाषण की स्वतंत्रता में शामिल हैं लेकिन अभी तक इस कानून में नहीं हैं। कुछ ईशनिंदा कानून, जैसे कि पहले डेनमार्क में मौजूद थे, "आलोचना व्यक्त करने वाले भाषण" का अपराधीकरण नहीं करते हैं, बल्कि "अपमानजनक भाषण को प्रतिबंधित करते हैं।"


‘ईशनिंदा’ को लेकर पाकिस्तान में श्रीलंका के नागरिक की पीट-पीटकर हत्या

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भीड़ ने शुक्रवार को श्रीलंका के एक नागरिक की कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी और फिर उसके शव को जला दिया। पंजाब पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यहां से करीब सौ किलोमीटर दूर सियालकोट जिले की एक कपड़ा फैक्टरी में प्रियंता कुमारा महाप्रबंधक के तौर पर काम करते थे। अधिकारी ने बताया, ‘‘कुमारा ने कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के एक पोस्टर को कथित तौर पर फाड़ दिया था जिसमें कुरान की आयतें लिखी थीं और फिर उसे कचरे के डिब्बे में फेंक दिया। इस्लामी पार्टी का पोस्टर कुमारा के कार्यालय के पास की दीवार पर चिपकाया गया था। फैक्टरी के कुछ कर्मियों ने उन्हें पोस्टर हटाते हुए देखा और फैक्टरी में यह बात बताई।’’ ‘‘ईशनिंदा’’ की घटना को लेकर आसपास के सैकड़ों लोग फैक्टरी के बाहर इकट्ठा होने लगे। उनमें से अधिकतर टीएलपी के कार्यकर्ता एवं समर्थक थे। अधिकारी ने बताया, ‘‘भीड़ ने संदिग्ध (श्रीलंकाई नागरिक) को फैक्टरी से बाहर खींचा और उससे बुरी तरह मारपीट की। मारपीट के बाद जब उसकी मौत हो गई तो भीड़ ने पुलिस के पहुंचने से पहले उसके शव को जला दिया।’’ सोशल मीडिया पर कई वीडियो जारी हुए जिसमें दिख रहा है कि श्रीलंकाई नागरिक के शव को घेरे सैकड़ों लोग खड़े हैं। वे टीएलपी के समर्थन में नारे लगा रहे थे। 

इमरान खान का क्या रहा एक्शन?

इमरान खान की सरकार ने हाल में टीएलपी के साथ गुप्त समझौता करने के बाद इस कट्टरपंथी संगठन से प्रतिबंध हटा लिया था। समझौते के बाद संगठन के प्रमुख साद रिजवी और 1500 से अधिक कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा कर दिया गया जो आतंकवाद के आरोपों में बंद थे। शुक्रवार देर शाम, पंजाब पुलिस ने कहा कि उन्होंने वीडियो फुटेज के जरिये 100 संदिग्धों की पहचान करने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) राव सरदार अली खान ने एक बयान में कहा, “ हमने श्रीलंकाई नागरिक की हत्या में कथित रूप से शामिल 100 संदिग्धों को आतंकवाद और अन्य आरोपों के तहत गिरफ्तार किया है।” उन्होंने कहा, “ और गिरफ्तारियां की जा रही हैं और इस घटना में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।” सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री फारुख हबीब ने एक ट्वीट में कहा, “हम जांच कर रहे हैं। फरहान इदरीस नाम के मुख्य अपराधी को गिरफ्तार कर लिया गया है। 100 अन्य हिरासत में हैं।” इस घटना की सभी वर्गों ने व्यापक निंदा की है। प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक ट्वीट में कहा, सियालकोट में एक फैक्टरी पर भीषण हमला और श्रीलंकाई प्रबंधक को जिंदा जलाना पाकिस्तान के लिए शर्म का दिन है। मैं जांच की निगरानी कर रहा हूं और सभी जिम्मेदार लोगों को कानून के तहत सख्त सज़ा दी जाएगी। गिरफ्तारियां जारी हैं। इस बीच, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने ट्वीट किया, “सियालकोट की घटना निश्चित रूप से बहुत दुखद और शर्मनाक है, और किसी भी तरह से धार्मिक नहीं है।” 

श्रीलंका का कड़ा रूख

कोलंबो में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सुगेश्वर गुणरत्ने ने बताया कि इस्लामाबाद में उनका दूतावास पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ घटना के विवरण की पुष्टि कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका को उम्मीद है कि पाकिस्तान के अधिकारी जांच और न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे। धार्मिक सौहार्द पर प्रधानमंत्री खान के विशेष प्रतिनिधि मौलाना ताहिर अशरफी ने कहा कि ईशनिंदा के आरोप में फैक्टरी प्रबंधक की हत्या ‘‘दुखद’’ एवं ‘‘निंदनीय’’ है। अशरफी ने कहा, ‘‘सियालकोट में जिन लोगों ने श्रीलंकाई प्रबंधक की हत्या की उन्होंने गैर इस्लामी, अमानवीय कृत्य किया है।’’ घटना की निंदा करते हुए वैश्विक मानवाधिकार निगरानी संस्था एम्नेस्टी इंटरनेशनल ने इसकी निष्पक्ष जांच की मांग की है।

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