क्या है हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल, जिसके जरिये चीन ने बढ़ाई अमेरिका की टेंशन, भारत कर रहा दोगुनी क्षमता के हथियार पर काम

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अभिनय आकाश । Oct 22 2021 3:48PM

दुनिया पर बादशाहत साबित करने की होड़ में चीन ने अंतरिक्ष में महाविनाशक प्रयोग किया है। चीन ने अंतरिक्ष में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ये परीक्षण अगस्त के महीने में ही किया था।

चीन और अमेरिका के बीच रिश्तों में तनातनी के बीच एक ऐसी खबर सामने आई जिसने अमेरिका की खुफिया एजेंसियों को भी हैरान कर दिया। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन परमाणु क्षमता से लैस पावरफुल हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण कर चुका है। खास बात ये है कि चीन ने इस खतरनाक मिसाइल को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा है। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक इस मिसाइल टेस्टिंग को काफी सीक्रेट रखा गया था। हाइपरसोनिक मिसाइल के मामले में चीन की तरक्की से अमेरिका की एजेंसियां भी हैरत में हैं।

क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल

सबसे पहले आपको हाइपरसोनिक मिसाइल के बारे में बताते हैं। दरअसल, दुनिया पर बादशाहत साबित करने की होड़ में चीन ने अंतरिक्ष में महाविनाशक प्रयोग किया है। चीन ने अंतरिक्ष में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ये परीक्षण अगस्त के महीने में ही किया था लेकिन इसका खुलासा अब हुआ है। मिसाइल ने पहले धरती का चक्कर लगाया फिर टारगेट पर हाइपरसोनिक स्पीड से दौड़ पड़ी। चीन की तरह अंतरिक्ष से मिसाइल दागने की क्षमता अभी किसी अन्य देश के पास नहीं है।हाइपरसोनिक तकनीक में अमेरिका की बढ़त को देखते हुए चीन ने आक्रामक तरीके से इस मिसाइल की तकनीक पर काम करना शुरु किया है। 

अंतरिक्ष में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम

 चीन ने अंतरिक्ष में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने ये परीक्षण अगस्त के महीने में ही किया था लेकिन इसका खुलासा अब हुआ है। मिसाइल ने पहले धरती का चक्कर लगाया फिर टारगेट पर हाइपरसोनिक स्पीड से दौड़ पड़ी। चीन की तरह अंतरिक्ष से मिसाइल दागने की क्षमता अभी किसी अन्य देश के पास नहीं है। हाइपरसोनिक तकनीक में अमेरिका की बढ़त को देखते हुए चीन ने आक्रामक तरीके से इस मिसाइल की तकनीक पर काम करना शुरु किया है। रिपोर्ट के अनुसार परीक्षण से पता चला है कि चीन ने हाइपरसोनिक हथियारों पर आश्चर्यजनक प्रगति की है और अमेरिकी अधिकारियों की तुलना में कहीं अधिक उन्नत है। रिपोर्ट में लिखा है कि परीक्षण ने नए सवाल खड़े किए हैं कि क्यों अमेरिका अक्सर चीन के सैन्य आधुनिकीकरण को कम करके आंका जाता है? खुलासा हुआ है कि चीन ने पहला परीक्षण 27 जुलाई को किया था और दूसरा 13 अगस्‍त को किया था। विश्‍लेषकों का कहना है कि चीन का यह नया हथियार कोल्‍ड वार के दौरान का 'Fractional Orbital Bombardment System' है।

कितनी खतरनाक है ड्रैगन की स्पेस मिसाइल ?

  • दुनिया के बड़े से बड़े एयर डिफेंस सिस्टम इस स्पेस मिसाइल के सामने बेकार हैं।
  • रूस के एस-500 डिफेंस सिस्टम के अलावा कोई इस मिसाइल को नहीं रोक सकता है। 
  • एटम बम ले जाने में सक्षम ये मिसाइल दुनिया की दूसरी मिसाइलों की तुलना में बेहद खतरनाक है।
  • चीन की इस हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम को दुनिया के बड़े से बड़े रडार नहीं पकड़ सकते हैं।   

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उत्तर कोरिया भी मिसाइल लांच को लेकर सुर्खियों में था

 ये रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब चीन ने ताइवान के नजदीक सैन्य गतिविधियों को तेज किया है। इसके अलावा अमेरिका चीन के बीच तनाव भी बरकरार है। कुछ समय पहले ही उत्तर कोरिया भी हाइपरसोनिक मिसाइल लांच के साथ ही जबरदस्त सुर्खियों में था। यूएन से प्रतिबंध झेल रहे उत्तर कोरिया में हालांकि खराब अर्थव्यवस्था और कोरोना की मार की वजह से झुखमरी के हालात हैं। लेकिन किम जोंग उन का पूरा जोर हथियारों का जखीरा बढ़ाने को लेकर है। 

भारत के लिए निहितार्थ

चीन द्वारा इस परीक्षण को निश्चित रूप से दुनिया को करीब से देखने की जरूरत है, विशेष रूप से भारत हाल के दिनों में चीन के साथ संबंधों को देखते हुए। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पूर्व वायु सेना प्रमुख भूषण गोखले (सेवानिवृत्त) ने कहा कि “इस तरह की क्षमताएं जमीन के साथ-साथ हमारी अंतरिक्ष के खतरे को भी उजागर करती हैं। ध्वनि से भी तेज गतियों पर चलने वाली प्रणाली का अर्थ होगा इन गतियों पर रक्षा प्रणालियों को विकसित करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'भारत भी हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहा है। जहां तक ​​अंतरिक्ष परिसम्पत्तियों का संबंध है, भारत पहले ही एएसएटी के परीक्षण के माध्यम से अपनी क्षमताओं को साबित कर चुका है। 

भारत बना रहा दोगुनी क्षमता की स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल 

सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और भारत ने रूस के साथ इस संबंध में गठजोड़ किया है। सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मैक 7 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस 2 को विकसित के लिए रूस के साथ गठजोड़ किया है। कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल प्रोग्राम के तहत दोगुनी क्षमता की स्वदेशी हाइपरसोनिक मिसाइल विकसित कर रहा है और जून 2019 व सितंबर 2020 में मैक 6 का सफल परीक्षण भी कर लिया है।

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