कभी यूक्रेन के पास था चीन और फ्रांस से भी बड़ा परमाणु जखीरा, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस ने इंटरनेशनल धोखे के जरिये किया छल

दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये पहली बार हो रहा है कि एक जंग न्यूक्लियर वॉर की ओर बढ़ती नजर आ रही है। ऐसे वक्त में यूक्रेन को अपनी वो गलती याद आ रही होग जो उसने आज से तीस साल पहले की थी। वो गलती इतनी बड़ी थी कि जिसका खामियाजा यूक्रेन की जनता आज भुगत रही है।
यूक्रेन में जारी जंग के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक ऐसा बयान दिया है जिससे पूरी दुनिया में डर की लहर फैल गई है। पुतिन ने कहा है कि उन्होंने रूस की न्यूक्लियर फोर्स को एक्टिव रहने का निर्देश दिया है। कोल्ड वॉर खत्म होने के बाद ये पहला मौका है जब रूस के किसी राष्ट्रपति ने इस तरह का बयान दिया हो। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध को पहला हफ्ता बीतने को है। रूसी सेना अब तक यूक्रेन का हौसला तोड़ नहीं सकी है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश की न्यूक्लियर फोर्स को भी एक्टिव कर दिया है। यानी अब इस युद्ध के परमाणु युद्ध में बदलने की आशंका भी बढ़ गई है।
यूक्रेन के 5 हजार परमाणु हथियार कहां गए?
दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये पहली बार हो रहा है कि एक जंग न्यूक्लियर वॉर की ओर बढ़ती नजर आ रही है। ऐसे वक्त में यूक्रेन को अपनी वो गलती याद आ रही होग जो उसने आज से तीस साल पहले की थी। वो गलती इतनी बड़ी थी कि जिसका खामियाजा यूक्रेन की जनता आज भुगत रही है। दरअसल यूक्रेन भी एक परमाणु संपन्न देश हुआ करता था और उसके पास परमाणु हथियारों का इतना बड़ा जखीरा था जो चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास भी नहीं था। लेकिन एक बहुत बड़े इंटरनेशनल धोखे ने यूक्रेन के 5 हजार परमाणु हथियारों को लूट लिया। आज यूक्रेन को खुद से बड़ी शक्ति यानी यूक्रेन के हमले का सामना करना पड़ रहा है।
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1994 का बुडापोस्ट समझौता
आपको बताते हैं तीस साल पुराने अंतरराष्ट्रीय धोखे की दास्तां जिसने यूक्रेन से उसके परमाणु हथियार ठग लिए गए। यूक्रेन सोवियत संघ में रूस के बाद सबसे शक्तिशाली देश था। आबादी में फ्रांस के बराबर और क्षेत्रफल में रूस के बाद पूरे यूरोप में दूसरे नंबर के देश यूक्रेन में बड़े-बड़े परमाणु हथियार मौजूद थे जो सोवियत संघ के परमाणु जखीरे का हिस्सा थे। 1991 में सोवियत के विघटन के बाद करीब 5 हजार परमाणु हथियार यूक्रेन के हिस्से में आए। लेकिन 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने 1994 के बुडापेस्ट मेमोरेंडम के तहत स्वतंत्रता और संप्रभुता और यूक्रेन की मौजूदा सीमाओं का सम्मान करने की रूस की प्रतिबद्धता के बदले में यूक्रेन को अपने परमाणु हथियार छोड़ने के लिए राजी कर लिया। सौदे के अनुसार मास्को ने यूक्रेन के खिलाफ "धमकी या बल प्रयोग से बचने" का भी वचन दिया। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि यूक्रेन के मौजूदा आक्रमण के साथ, रूस स्पष्ट रूप से 1994 के परमाणु सौदे का उल्लंघन कर रहा है। अज़रबैजान में पूर्व अमेरिकी राजदूत मैथ्यू ब्रेज़ा का कहना है कि रूस 1994 के बुडापेस्ट ज्ञापन का उल्लंघन कर रहा है, जब उसने अमेरिका और ब्रिटेन के साथ मिलकर यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने का वादा किया था, अगर यूक्रेन ने अपने परमाणु हथियार छोड़ दिए।
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