Jimmy Carter को क्यों कहा जाता है भारत का 'दोस्त', हरियाणा के इस गांव से क्या है कनेक्शन, क्या है 'कार्टरपुरी' की कहानी?

Jimmy Carter
@CarterLibrary
अभिनय आकाश । Dec 30 2024 12:20PM

जब वो 1978 में भारत दौरे पर आए तो उन्होंने हरियाणा के दौलतपुर नशीराबद गांव जाने की इच्छा जाहिर की। वो अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति के तौर पर वहां गए भी। लोग हैरान थे कि भाई ऐसी क्या बात है इस गांव के अंदर कि अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर इस गांव के बारे में जानते हैं। खैर, उनके वहां जाने का इंतजाम किया गया। वहां के लोगों ने उनका खूब जोर-शोर से स्वागत किया।

नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित एवं अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति जिमी कार्टर का निधन हो गया। वो 100 वर्ष के थे। कार्टर भारत की यात्रा करने वाले तीसरे अमेरिकी नेता थे और उनकी यात्रा के दौरान उनके सम्मान में हरियाणा के एक गांव का नाम उनके नाम पर कार्टरपुरी रखा गया था। ये तब की बात है जब जिमी कार्टर अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। उनका कार्यकाल 1977 से 1981 का रहा। इस दौरान जब वो 1978 में भारत दौरे पर आए तो उन्होंने हरियाणा के दौलतपुर नशीराबद गांव जाने की इच्छा जाहिर की। वो अमेरिका के 39वें राष्ट्रपति के तौर पर वहां गए भी। लोग हैरान थे कि भाई ऐसी क्या बात है इस गांव के अंदर कि अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर इस गांव के बारे में जानते हैं। खैर, उनके वहां जाने का इंतजाम किया गया। वहां के लोगों ने उनका खूब जोर-शोर से स्वागत किया। आपको बताते चले कि ये गांव उस समय गुरुग्राम जिले में पड़ता था। वहां पर लोगों ने हरियाणा की पोशाकें उन्हें दी। खूब नाच गाने से स्वागत हुआ। वो लोगों में घुल मिल गए। हरियाणा की पोशाकें भी पहनी और बहुत अच्छा समय उनका वहां पर बीता था। 

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नशीराबाद गांव से जिमी कार्टर का नाता

सबसे बड़ा और अहम सवाल ये है कि आखिर जिमी कार्टर का नशीराबाद गांव से क्या कनेक्शन है? दरअसल, जिमी कार्टर की मां एक नर्स थी। वर्ल्ड वॉर के दौरान वो भारत आई थीं। उस समय दौलतपुर नशीराबाद गांव में उनका आना जाना था। अक्सर जेलदार शरफराज की हवेली पर वो आती थी। इस दौरान उनके गर्भ में जिमी थे। कुछ साल भारत रहने के दौरान वो वापस अमेरिका चली गईं। यह यात्रा इतनी सफल रही कि कुछ ही समय बाद गांव के निवासियों ने उस क्षेत्र का नाम बदलकर कार्टरपुरी रख दिया।

भारतीय गाँव का नाम कार्टर के नाम पर क्यों रखा गया?

कार्टर को भारत का मित्र माना जाता था। 1977 में आपातकाल हटने और जनता पार्टी की जीत के बाद भारत का दौरा करने वाले वह पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे। भारतीय संसद में अपने संबोधन में कार्टर ने सत्तावादी शासन के खिलाफ बात की। कार्टर ने 2 जनवरी 1978 को कहा था कि भारत की कठिनाइयाँ, जिन्हें हम अक्सर स्वयं अनुभव करते हैं और जो विकासशील दुनिया में सामना की जाने वाली समस्याओं की विशिष्ट हैं, हमें आगे आने वाले कार्यों की याद दिलाती हैं। उन्होंने संसद सदस्यों से कहा कि लेकिन भारत की सफलताएँ उतनी ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे इस सिद्धांत का निर्णायक रूप से खंडन करते हैं कि आर्थिक और सामाजिक प्रगति हासिल करने के लिए, एक विकासशील देश को एक सत्तावादी या अधिनायकवादी सरकार को स्वीकार करना होगा और इस तरह के शासन से मानव आत्मा के स्वास्थ्य को सभी नुकसान होंगे। प्रधान मंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करते समय कार्टर ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच दोस्ती के मूल में उनका दृढ़ संकल्प है कि लोगों के नैतिक मूल्यों को राज्यों के कार्यों का भी मार्गदर्शन करना चाहिए। 

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कार्टरपुरी ने तीन दिन की छुट्टी क्यों घोषित की?

राष्ट्रपति कार्टर ने 2002 में नोबेल शांति पुरस्कार जीता, तो गांव में उत्सव मनाया गया और 3 जनवरी को कार्टरपुरी में छुट्टी रहती है। इससे दोनों देशों को बहुत लाभ हुआ है। राष्ट्रपति कार्टर ने समझा कि साझा लोकतांत्रिक सिद्धांतों ने अमेरिका और भारत के बीच एक लंबे, उपयोगी रिश्ते के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है, इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनके पद छोड़ने के बाद के दशकों में दोनों देशों के बीच लगातार निकटता बढ़ी है। कार्टर प्रशासन के बाद से, अमेरिका और भारत ने ऊर्जा, मानवीय सहायता, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, आतंकवाद विरोधी और बहुत कुछ पर मिलकर काम किया है। 2000 के दशक के मध्य में संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने पूर्ण नागरिक परमाणु सहयोग की दिशा में काम करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया। 

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