एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना चाहिए या नहीं? जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्या बताया है

अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि क्या एकादशी के दिन तुलसी जी को स्पर्श करना या उन्हें जल अर्पित करना शुभ होता है या अशुभ। इस विषय को लेकर कई तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं, जिनके कारण लोग भ्रम में पड़ जाते हैं। आइए आपको बताते हैं प्रेमानंद महाराज ने इस पर क्या बताया है।
हिंदू धर्म में तुलसी पौधा को पूजनीय माना गया है। हर घर में तुलसी मां की पूजा जरुर की जाती है। तुलसी का पौधा आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से पूजनीय है। माता लक्ष्मी का स्वरुप है तुलसी जी। तुलसी की पूजा करने बेहद पुण्यदायक माना जाता है। सनातन धर्म में पूजा पाठ को लेकर कई नियम बताएं है। ऐसे में मां तुलसी की पूजा करने के कुछ जरुरी नियम है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कई घरों में एकादशी के दिन तुलसी की पत्तियां नहीं तोड़ी जाती है। इसके अलावा तुलसी के पौधे को जल देना शुभ नहीं होता है। आपके मन में भी अक्सर सवाल जरुर आता होगा कि एकादशी के दिन तुलसी जी को स्पर्श करना या जल चढ़ाना शुभ माना जाता है या अशुभ। आइए आपको बताते हैं वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज जी ने क्या बताया है।
तुलसी की पूजा क्यों जरुरी है?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, तुलसी जी की पूजा, दर्शन और सेवा करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। तुलसी की मंजरी को भगवान के चरणों में अर्पित करने वाला व्यक्ति, चाहे वह कितना भी दोषयुक्त क्यों न हो, यमपुरी का भय कभी महसूस नहीं करता। घर में तुलसी का पौधा लगाने से श्राद्ध कर्म करने जितना कल्याण होता है और पितर भी तृप्त होते हैं। तुलसी काष्ठ से चंदन घिसकर लगाने से संचित पाप जल जाते हैं और वर्तमान पापों का प्रभाव भी कम होता है।
क्या एकादशी पर तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए? क्या बोले प्रेमानंद महाराज
प्रेमानंद महाराज ने बताया है कि, एकादशी तिथि पर तुलसी पूजा, तोड़ना या जल चढ़ाने जैसे कार्य किए जा सकते हैं। एकादशी के दिन तुलसी जी के स्पर्श करने या जल चढ़ाने से किसी भी तरह का पाप नहीं लगता। एकादशी के दिन अगले दिन द्वादशी तिथि पर तुलसी की सेवा या उन्हें स्पर्श करना श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन तुलसी जी को स्पर्श करने से बचना जरुरी है।
आखिर द्वादशी पर तुलसी तोड़ना क्यों मना है?
प्रेमानंद महाराज के अनुसार, द्वादशी तिथि के दिन तुलसी की पत्तियां तोड़ना व स्पर्श करने से ब्रह्म हत्या के समान पाप लगता है। ऐसे में तुलसी जी को दूर से प्रणाम करने से और उन्हें स्पर्श नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में तुलसी के प्रति द्वादशी तिथि के विशेष तौर पर संवेदनशील और पवित्र माना गया है। इस दिन इनकी सेवा या स्पर्श करने से बचना चाहिए।
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