इस बार शनि अमावस्या पर सभी कष्टों से निजात पाना चाहते हैं तो पढ़ें यह उपाय

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शुभा दुबे । May 30 2022 10:25AM

आकाश मंडल में सौर परिवार के जो नौ ग्रह हैं, उनमें यह दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। शनिदेव यदि रुष्ट हो जाएं तो राजा को रंक बना देते हैं और यदि प्रसन्न हो जाएं तो आम आदमी को खास आदमी बना देते हैं। पुराणों के मुताबिक शनिदेव हनुमान भक्तों पर खास प्रसन्न रहते हैं।

शनि भक्तों के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है शनि अमावस्या। इस बार यह पर्व 30 मई 2022 के दिन पड़ रहा है। इसी दिन वट सावित्री व्रत और सोमवती अमावस्या भी होने से इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है। हिंदू धर्म में शनि अमावस्या को न्याय के देवता शनिदेव का दिन माना गया है। जिन जातकों की जन्म कुंडली या राशियों पर शनि की साढ़ेसाती और ढैया का असर होता है, उनके लिये यह महत्वपूर्ण अवसर है, क्योंकि शनि अमावस्या पर शनि देव की पूजा-अर्चना करने पर शांति व अच्छे भाग्य की प्राप्ति होती है। दान-पुण्य के लिए ये सबसे अच्छा दिन माना जाता है। शनि मंदिरों में इस दिन दर्शन-पूजन से भी शनि पीड़ा से मुक्ति मिलेगी।

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शनि भगवान के बारे में जानें

शनि भगवान सूर्य तथा छाया के पुत्र हैं। मृत्यु के देवता यमराज शनिदेव के बड़े भाई हैं। आकाश मंडल में सौर परिवार के जो नौ ग्रह हैं, उनमें यह दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। शनिदेव यदि रुष्ट हो जाएं तो राजा को रंक बना देते हैं और यदि प्रसन्न हो जाएं तो आम आदमी को खास आदमी बना देते हैं। पुराणों के मुताबिक शनिदेव हनुमान भक्तों पर खास प्रसन्न रहते हैं और उनकी मदद करते हैं क्योंकि एक बार हनुमानजी ने शनिदेव को रावण से बचाया था। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को उनका विधिवत पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाया जाना चाहिए, इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनिवार के दिन पीपल को जल देने से भी शनिदेव को प्रसन्न किया जा सकता है।

शनिदेव के बारे में क्या कहता है ज्योतिषशास्त्र?

शनिदेव के बारे में मान्यता है कि वह जब किसी राशि में प्रवेश करते हैं तो ढाई वर्ष तक उसमें रहते हैं। जन्म राशि से जब शनि चौथे या आठवें हो तो अढैया कहते हैं जोकि काफी कष्टप्रद होता है। जब शनिदेव बारहवें स्थान पर आते हैं तो व्यय अधिक होता है। माना जाता है कि जीवन में शनिदेव एक बार या किसी−किसी के जीवन में चार बार आते हैं। इस दिन शनि मंदिरों में दर्शन कर, तेल चढ़ाएं, गरीबों को वस्त्र, कंबल और छतरी आदि दान करें। शनि देव को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिषशास्त्र में कुछ मंत्रों का भी उल्लेख है। जैसे शनि वैदिक मंत्र 'ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:।', शनि का पौराणिक मंत्र 'ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।' मान्यता है कि इन मंत्रों का नियमित कम से कम 108 बार जप करने से शनि के प्रकोप में कमी आती है।

शनिदेव को ऐसे करें प्रसन्न

शनि अमावस्या पर शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए और भी कुछ उपाय किये जा सकते हैं जैसे- काले तिल, काले कम्बल, काला छाता, तेल आदि का दान करना सबसे उत्तम माना जाता है। शनि अमावस्या के दिन शनि स्त्रोत का 11 बार पाठ करने से कुंडली में मौजूद अशुभ ग्रहों को असर तुरंत दूर होता है। इस दिन शनि के मंत्र ओम प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: का जाप करना फलदायी होता है। इस दिन पितरों का श्राद्ध भी अवश्य करना चाहिए, शनि अमावस्या पर सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, हनुमान अष्टक का पाठ करने से भी शांति मिलती है।

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ज्योतिष में शनि को ठंडा ग्रह माना गया है, जो बीमारी, शोक और आलस्य का कारक है। लेकिन यदि शनि शुभ हो तो वह कर्म की दशा को लाभ की ओर मोड़ने वाला और ध्यान व मोक्ष प्रदान करने वाला है। इनकी शान्ति के लिये मृत्युंजय जप, नीलम−धारण तथा ब्राह्मण को तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, नीलम, काली गौ, जूता, कस्तूरी और सुवर्ण का दान देना चाहिये। शनिदेव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो 'ओम शं शनैश्चराय नमः' मंत्र का जाप करें। जप का समय सन्ध्या काल होना चाहिये।

शनिदेव जी की आरती

चार भुजा तहि छाजै, गदा हस्त प्यारी। जय

रवि नन्दन गज वन्दन, यम अग्रज देवा।

कष्ट न सो नर पाते, करते तब सेना। जय

तेज अपार तुम्हारा, स्वामी सहा नहीं जावे।

तुम से विमुख जगत में, सुख नहीं पावे। जय

नमो नमः रविनन्दन सब ग्रह सिरताजा।

बन्शीधर यश गावे रखियो प्रभु लाजा। जय

-शुभा दुबे

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