वास्तुशास्त्र के अनुसार होली के त्योहार का अपना अलग ही महत्व

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मिताली जैन । Mar 19 2019 2:53PM

वास्तु के अनुसार, होलिका दहन किसी नगर, शहर या मोहल्ले के साउथ ईस्ट में किया जाना चाहिए। यदि आप होलिका पूजन अपने घर में कर रहे हैं तो उसे अपने पूजा स्थान में करने की बजाय किसी खुले आंगन या खुले स्थान में करें।

हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार माने जाने वाला होली का त्योहार बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। रंगों के इस त्योहार में जहां जमकर मस्ती की जाती है, वही दूसरी ओर वास्तुशास्त्र में भी इस त्योहार को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाले इस त्योहार के दौरान अगर इस छोटी−छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो यकीनन आप अपने जीवन में खुशियों के रंग की छटा बिखेर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में−

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ऐसा हो पूजन

वास्तु के अनुसार, होलिका दहन किसी नगर, शहर या मोहल्ले के साउथ ईस्ट में किया जाना चाहिए। यदि आप होलिका पूजन अपने घर में कर रहे हैं तो उसे अपने पूजा स्थान में करने की बजाय किसी खुले आंगन या खुले स्थान में करें। अगर आपके घर के सेंटर यानी ब्रह्म स्थान में चौक आदि बना हुआ है तो आप वहां पर भी होलिका पूजन कर सकते हैं। हालांकि होलिका दहन घर के भीतर नहीं करना चाहिए।


लगाया है झंडा

बहुत से लोग अपने घरों की छतों पर ध्वजा या झंडा लगाते हैं। आमतौर पर लोग साउथ वेस्ट को ऊंचा करने के लिए ऐसा लगाते हैं। अगर आपके घर की ध्वजा पुरानी हो गई है या उसका रंग फेड हो गया है तो होली का दिन इस ध्वजा को बदलने के लिए काफी अच्छा रहता है।

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ऐसे हो रंग

होली का त्योहार आपस में खुशियां व मस्ती बांटने का उत्सव है। इसलिए इस त्योहार को मनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि आपके द्वारा की गई मस्ती दूसरे के लिए दुख या परेशानी का सबब न बन जाए। खासतौर पर, इस त्योहार में केमिकल्स युक्त या हानिकारक रंगों का प्रयोग करने की बजाय नेचुरल व हर्बल कलर्स, फूल आदि का ही प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त रंगों का चयन करते समय भी वास्तु की पॉजिटिव दिशा यानी पूर्व व उत्तर दिशा से मिलते जुलते रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, उत्तर पूर्व यानी गुरू के स्थान के लिए पीला रंग अच्छा व सकारात्मक होता है। यह सुख और समृद्धि को दर्शाता है। वहीं ऑरेंज कलर पूर्व दिशा के मध्य का रंग है, यह सूर्य का प्रतीक है। इसी तरह लाल रंग अग्नि देवता व साउथ ईस्ट का कलर है। यह ऊर्जा को दर्शाता है। वहीं उत्तर दिशा बुध का स्थान है। बुध का रंग हरा होता है, जिसका प्रयोग होली में किया जा सकता है। यह प्रकृति को दर्शाता है। वहीं नकारात्मक दिशा जैसे साउथ वेस्ट के कलर्स जैसे भूरे व पश्चिम दिशा शनि का स्थान है और इसका रंग काला है, इनका प्रयोग बिल्कुल भी न करें।

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जब पहनें कपड़ें

होली के दिन कपड़े पहनते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। होली के दिन कपड़ों में गहरे रंगों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। बल्कि इसके स्थान पर हल्के रंग के कपड़ों को प्राथमिकता दें। इनमें भी सफेद रंग सबसे अच्छा माना जाता है। यह रंग चन्द्रमा का प्रतीक है। यह आपके भीतर की शीतलता व विन्रमता को दर्शाता है। 

मिताली जैन

वास्तु विशेषज्ञ व फेंगशुई एक्सपर्ट डॉ. आनंद भारद्वाज से बातचीत पर आधारित

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