Adhik Maas 2023: 19 वर्ष बाद बन रहा सावन अधिमास का संयोग, अधिक मास में जरूर करें यह कार्य

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डा. अनीष व्यास । Jul 17 2023 12:33PM

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान श्रीविष्णु की आराधना के लिए श्रेष्ठ कहे जाने वाले अधिकमास का आरंभ प्रथम आश्विन शुक्लपक्ष 18 जुलाई से आरंभ हो रहा है जो द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अगस्त तक चलेगा।

मंगलवार, 18 जुलाई से अधिक मास शुरू हो जाएगा। इस बार 19 साल बाद सावन महीने में अधिक मास आया है। इसे मलमास और पुरुषोत्तम मास कहा जाता है। इस महीने में भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करें, ग्रंथों का पाठ करें और दान-पुण्य करें। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल मलमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। इन दिनों में कुछ कार्य करने से जहां पुण्य की प्राप्ति होती है, वहीं कुछ कार्यों से परहेज बरतने को भी कहा जाता है। इस बार सावन में अधिकमास है। 19 साल बाद यह विशेष संयोग बना है। 4 जुलाई से सावन महीना शुरू हुआ है और अधिक मास की वजह से ये महीना 31 अगस्त की सुबह तक रहेगा। अधिक मास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक है। 17 अगस्त से सावन का शुक्ल पक्ष शुरू होगा। इस माह में भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से लाभ मिलेगा। अधिक मास में शालीग्राम भगवान की उपासना से भी विशेष लाभ मिलता है। इसलिए हर दिन शालीग्राम भगवान के समक्ष घी का दीपक प्रज्वलित करें। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।अधिक मास में श्रीमद्भागवत गीता के 14वें अध्याय का नियमित रूप से पाठ करें। माना जाता है कि ऐसा करने से कार्यक्षेत्र में उत्पन्न हो रही परेशानियां दूर हो जाती है।

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि भगवान श्रीविष्णु की आराधना के लिए श्रेष्ठ कहे जाने वाले अधिकमास का आरंभ प्रथम आश्विन शुक्लपक्ष 18 जुलाई से आरंभ हो रहा है जो द्वितीय अधिक मास आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या 16 अगस्त तक चलेगा। मलमास को अधिक मास या पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस मास में प्राणी श्रीहरि विष्णु की आराधना करके अपने जीवन में आने वाली सभी विषम परिस्थितियों, समस्याओं, कार्य बाधाओं, व्यापार में अत्यधिक नुकसान आदि से संकटों से मुक्ति पा सकता है। विद्यार्थियों अथवा प्रतियोगी छात्रों को भी इनकी आराधना से पढ़ाई अथवा परीक्षा में आ रही बाधाओं से छुटकारा मिल सकता है। 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सावन में इस बार भगवान शिव की पूजा के साथ ही भगवान विष्णु की पूजा का महत्व भी बताया जा रहा है। दरअसल इस बार सावन मास के बीच में मलमास यानी कि अधिक मास भी लग रहा है। इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस महीने में भगवान पुरुषोत्तम यानी कि विष्णुजी की पूजा का विशेष महत्व होता है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार हर तीन साल पर अधिकमास यानी मलमास आते हैं।

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श्रीहरि को प्रिय है अधिकमास 

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस मास की गिनती मुख्य महीनों में नहीं होती है। ऐसी कथा है कि जब महीनों के नाम का बंटवारा हो रहा था तब अधिकमास उदास और दुखी था। क्योंकि उसे दुख था कि लोग उसे अपवित्र मानेंगे। ऐसे समय में भगवान विष्णु ने कहा कि अधिकमास तुम मुझे अत्यंत प्रिय रहोगे और तुम्हारा एक नाम पुरुषोत्तम मास होगा जो मेरा ही एक नाम है। इस महीने का स्वामी मैं रहूंगा। उस समय भगवान ने यह कहा था कि इस महीने की गिनती अन्य 12 महीनों से अलग है इसलिए इस महीने में लौकिक कार्य भी मंगलप्रद नहीं होंगे। लेकिन कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें इस महीने में किए जाना बहुत ही शुभ फलदायी होगा और उन कार्यों का संबंध मुझसे होगा।

नहीं होंगे शुभ कार्य

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अधिकमास यानी मलमास में विवाह जैसे कई कार्यों पर रोक रहती है। इसके अलावा नया व्यवसाय भी शुरू नहीं किया जाता। इस मास में कर्णवेध, मुंडन आदि कार्य भी वर्जित माने जाते हैं। इस बार मलमास के कारण सावन दो महीने तक रहेगा। यह संयोग 19 साल बाद आ रहा है। ऐसे में दो महीने तक भोले की भक्ति विशेष फलदायी रहेगी। सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच के अंतराल को मलमास संतुलित करता है। इस मास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। ऐसे में गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य नहीं होंगे।

13वां महीना होगा मलमास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल पंचांग गणना के अनुसार मलमास लग रहा है जिसे पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। संयोग ऐसा बना है कि मलमास सावन महीना में लगा है। जिससे अबकी बार सावन का महीना एक 59 दिनों का होगा। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि दो महीना इस साल सावन का माना जाएगा। ऐसे में पहला सावन का महीना जो मलमास होगा उसमें सावन से संबंधित शुभ काम नहीं किए जाएंगे। दूसरे सावन के महीने में यानी शुद्ध सावन मास में सभी धार्मिक और शुभ काम किए जाएंगे।

कब से कब तक होगा मलमास

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस साल 18 जुलाई से अधिकमास यानी मलमास का आरंभ हो जाएगा और फिर 16 अगस्त को मलमास समाप्त होगा। अच्छी बात यह है कि मलमास लगने से पूर्व ही सावन की शिवरात्रि 15 जुलाई को समाप्त हो जाएगी लेकिन रक्षाबंधन के लिए करना होगा लंबा इतंजार। सामान्य तौर पर सावन शिवरात्रि के 15 दिन बाद ही रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है लेकिन मलमास लग जाने से सावन शिवरात्रि और रक्षाबंधन में 46 दिनों का अंतर आ गया है।

सत्यनारायण भगवान की पूजा 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अधिकमास में श्रीहरि यानी भगवान विष्णु की पूजा करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। इसलिए अधिकमास में वैसे तो सभी प्रकार के शुभ कार्यों की मनाही होती हैए लेकिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करना सबसे शुभफलदायी माना जाता है। अधिकमास में विष्णुजी की पूजा करने से माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं और आपके घर में धन वैभव के साथ सुख और समृद्धि आती है।

महामृत्युंजय मंत्र का जप 

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अधिकमास में ग्रह दोष की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। बेहतर होगा कि आप किसी पुरोहित से संकल्प करवाकर महामृत्युंजय मंत्र का जप करवाएं। यदि कोरोनाकाल में ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है तो आप खुद से ही अपने घर में महामृत्युंजय मंत्र का जप करवाएं। ऐसा करने से आपके घर से सभी प्रकार के दोष समाप्त होंगे और आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ेगा।

यज्ञ और अनुष्ठान 

भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि अगर आप काफी समय से अपनी किसी मनोकामना को लेकर यज्ञ या अनुष्ठान करवाने के बारे में सोच रहे हैं तो अधिकमास का समय इस कार्य के लिए सर्वश्रेष्ठ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अधिकमास में करवाए जाने वाले यज्ञ और अनुष्ठान पूर्णत: फलित होते हैं और भगवान अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

ब्रजभूमि की यात्रा 

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पुराणों में बताया गया है कि अधिकमास में भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों की पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है। अधिकमास के इन 30 दिनों में अक्सर लोग ब्रज क्षेत्र की यात्रा पर चले जाते हैं। हालांकि इस वक्त कोरोनाकाल में ब्रजभूमि की यात्रा करना थोड़ा मुश्किल भरा हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने घर में भगवान राम और कृष्ण की पूजा करें। इससे उत्तम फल की प्राप्ति होगी।

अधिकमास का महत्व

कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि परमेश्वर श्रीविष्णु द्वारा वरदान प्राप्त मलमास अथवा पुरुषोत्तम मास की अवधि के मध्य श्रीमद्भागवत का पाठ, कथा का श्रवण, श्रीविष्णु सहस्त्रनाम, श्री राम रक्षास्तोत्र, पुरुष सूक्त का पाठ ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ॐ नमो नारायणाय जैसे मंत्रों का जप करके मनुष्य श्री हरि की कृपा का पात्र बनता है। मास में निष्काम भाव से किए गए जप-तप पूजा-पाठ ,दान-पुण्य, अनुष्ठान आदि का महत्व सर्वाधिक रहता है। परमार्थ सेवा, असहाय लोगों की मदद करना, बुजुर्गों की सेवा करना, वृद्ध आश्रम में अन्न वस्त्र का दान करना, विद्यार्थियों को पुस्तक का दान कथा संत महात्माओं को धार्मिक ग्रंथों का दान करना, सर्दियों के लिए ऊनी वस्त्र कंबल आदि का दान करना सर्वश्रेष्ठ फलदाई माना गया है। इस मास में किए गए जप-तप, दान पुण्य का लाभ जन्म जन्मांतर तक दान करने वाले के साथ रहता है। लगभग तीन वर्षों के अंतराल में पढ़ने वाले इस महापर्व का भरपूर लाभ उठाना चाहिए। जिस चन्द्रवर्ष में सूर्य संक्रांति नहीं पड़ती उसे मलमास कहा गया है जिसका सीधा संबंध सूर्य और चंद्रमा की गति के आधार पर निर्धारित होता है।

दान का खास महत्व

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अधिक मास में जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल और कपड़ों का दान करना चाहिए। अभी बारिश का समय है तो इन दिनों में छाते का दान भी कर सकते हैं। किसी मंदिर में शिव जी से जुड़ी चीजें जैसे चंदन, अबीर, गुलाल, हार-फूल, बिल्व पत्र, दूध, दही, घी, जनेऊ आदि का दान कर सकते हैं।

- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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