सब ठीक हो जाएगा (व्यंग्य)

उनकी कुछ बातों के कारण कई ख़्वाब दिखने शुरू हुए। उन्होंने कहा कि भविष्य में अंग्रेज़ी का नुकसान होने वाला है। बहुत से लोगों को पता नहीं है कि दुनिया भर में अंग्रेज़ी बोलने वाले सिर्फ एक चौथाई हैं लेकिन अभी तक डोमेन में अंग्रेज़ी का कब्ज़ा है।
उन्होंने शपथ लेते हुए मन ही मन अपने बेहतर, अधिक समृद्ध, सामंजस्य पूर्ण भविष्य के लिए भी संकल्प ले लिया। इस बीच बेचारा पर्यावरण सोचता रहा कि उसका क्या होगा। बेरोजगार उनकी यह घोषणा सुनकर संतुष्ट हो गए कि बेरोजगारी से लड़ने के लिए डाटाबेस शीघ्र तैयार करेंगे। उधर खडी नकली बुद्धि जोर से हंस रही थी। जब उन्होंने हाथ उठाकर कहा कि जलवायु संकट से तेज़ी से निबटने का विचार किया जा रहा है तो पर्यावरण के होटों पर मुस्कराहट तैरने लगी। उन्होंने ख्वाब दिखाया कि सबके फायदे के लिए आर्थिक विकास किया जाएगा। महिलाएं इतना कहने पर खुश हो गई कि उनकी भागीदारी बढ़ाई जाएगी। हालांकि इस बीच महिला सुरक्षा काफी परेशान दिखी। असली लगने वाली नकली मुस्कुराहटों का व्यापार भी हुआ। सबसे अच्छी बात यह हुई कि सभी को लगने लगा कि सब ठीक हो जाएगा।
उनकी कुछ बातों के कारण कई ख़्वाब दिखने शुरू हुए। उन्होंने कहा कि भविष्य में अंग्रेज़ी का नुकसान होने वाला है। बहुत से लोगों को पता नहीं है कि दुनिया भर में अंग्रेज़ी बोलने वाले सिर्फ एक चौथाई हैं लेकिन अभी तक डोमेन में अंग्रेज़ी का कब्ज़ा है। उन्होंने शोरदार तरीके से कहा कि अगले हिंदी दिवस तक हम हिंदी ज्यादा बोलकर दिखा देंगे। उन्होंने कहा हम परम्परा वाले आधुनिक लोग हैं। किसी भी किस्म का मेला या उत्सव हो तो बाज़ार, दफ्तर और स्कूल बंद कर देते हैं। हम विदेशी नहीं हैं कि अपने नागरिकों को ज़रा भी परेशानी न होने दें। उनकी बातें सुनकर कई स्मार्ट शहरों का आसमान कह रहा था कि उनके बारे में भी कुछ वायदे और हो जाते तो उचित विकास के सपने तो देख लेते।
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उनकी बातों में अपना चर्चा न सुनकर बेचारे वृक्ष परेशान रहे, हवा रोती रही। राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल छटपटाता रहा। उनकी कुटिल नीति ने किसी तरफ नहीं देखा। वह आत्ममुग्ध रही। कामयाबी होती ही ऐसी है। मंझे हुए खिलाड़ी हमेशा सुरक्षित खेलते हैं। उन जैसे सभी लोगों ने मोहनदास करमचंद को सादर और ज़ोरदार ढंग से पटा रखा है। उन्हें उनका आशीर्वाद मिला या नहीं इसकी पुष्टि करना असंभव है लेकिन एक संदेश ज़रूर मिला कि कूटनीति बहुत ज़रूरी है। इसे प्रयोग करोगे, खाओगे और पहनोगे तो जीवन में सब ठीक रहेगा।
ऐतिहासिक सफल नुस्खे हमेशा प्रचलित रहते हैं। राजनीति की पारम्परिक और सांस्कृतिक तकनीक खूब मदद करती है। वह युद्ध के समय को शो के ज़माने में बदल देती है। फिलहाल जलवा दिखाने का वक़्त है। नकली रोशनी के पीछे सुबकते असली अंधेरों का समय है। यह गीत ज़रूर सुनते रहना चाहिए, ‘कसम ए वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या’, इस गाने पर सशक्त अभिनेता ने गज़ब अभिनय कर प्राण डाल दिए थे। बदलते रहना वक़्त की तासीर है। वक़्त उन्हें भी बदल देगा, तब सब ठीक हो जाएगा।
- संतोष उत्सुक
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