प्रवचन के माहिर (व्यंग्य)

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संतोष उत्सुक । May 14 2025 1:12PM

इतने ज्यादा ईष्टों की सुविधा भी हर कहीं नहीं होती। पैसा है तो सुविधा है और चुनाव की इच्छा भी है। फिर प्रवचन और भजन भी तो उत्पाद ही हैं तभी तो स्वादिष्ट भजन करवाने वाले कहते हैं कि भगवान् ने यह दुनिया इसलिए सुन्दर बनाई ताकि आराम से भजन कर सकें।

उन्होंने मनपसंद पोशाक का चुनाव किया ताकि सेविका उसे तैयार कर दे। बालों में तनपसंद भीनी, मादक सुगंध वाले पीले रंग के ताज़ा फूल लगवाए। कार चालक को पिछले कल ही अपनी सांसारिक इच्छा ज़ाहिर कर दी थी कि कल सुबह क्यूंकि वीरवार है इसलिए विशाल और विराट प्रवचन में हलके पीले रंग की कार में जाएंगे। अपनी खास गाड़ियों में वे किसी अन्य व्यक्ति को बैठने का अवसर नहीं देती। उस दौरान स्वयं अपने साथ होती हैं और उनका मोबाइल होता है। उनका पूरा स्टाफ उनके पीछे आ रही नौ सीटों वाली गाडी में चलता है। ‘नौ’ को अपना सौभाग्यशाली अंक मानती हैं। 

पिछले कल ही उन्होंने अपने प्रवचन के दौरान बताया कि व्यक्ति बहुत स्वार्थी हो गया है। एक ईष्ट की पूजा से काम न बने तो दूसरे का दामन थाम लेता है। सामने सुविधाओं के अनेक पूजास्थल हों, किसी जगह ज्यादा भीड़ हो रही हो, समाज में यह बात फ़ैल जाती है कि अमुक देव के आशीर्वाद से काम बन रहे हैं तो स्वाभाविक है वहीँ ज्यादा लोग जाते हैं। जो देव काम न करें उनका महत्त्व कम होना ही है। जिस प्रवाचक का भजन प्रभावित न कर रहो हो उसे कौन सुनेगा। भजन सुनाने और सुनने के लिए सुविधामय पंडाल, ठंडी हवा, स्वादिष्ट जल और पार्किंग बहुत ज़रूरी है। प्रवाचक या प्रवाचिका को मेकअप और व्यावसायिक मेकअप करना ज़रूरी है। सुन्दरता का फायदा अलग से होगा। बोली ज़्यादा रसीली और मीठी होगी तो वारे न्यारे।

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इतने ज्यादा ईष्टों की सुविधा भी हर कहीं नहीं होती। पैसा है तो सुविधा है और चुनाव की इच्छा भी है। फिर प्रवचन और भजन भी तो उत्पाद ही हैं तभी तो स्वादिष्ट भजन करवाने वाले कहते हैं कि भगवान् ने यह दुनिया इसलिए सुन्दर बनाई ताकि आराम से भजन कर सकें। उन्होंने यह राज़ सबके सामने खोल दिया कि संसार कुएं की तरह है। देखिए कैसे उलझाया प्रवचन सुनने वालों को। कुएं तो शहरों में आजकल होते ही नहीं। तुलना ऐसी ही करनी चाहिए जिसमें कोई खतरा न हो। लाखोँ रूपए की अनुपम कार में आए कुशाग्र प्रवचक ने मूल्यवान सलाह दी, इस संसार में हमको लिप्त नहीं होना है। कुएं में से बाल्टी में पानी निकालने की तरह ज़रूरत की चीज़ों का उपभोग और उपयोग करना है। सांसारिक चीज़ों और सुविधाओं को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना है। 

हज़ारों लोगों ने उनका प्रवचन बहुत ध्यान से सुना और कुछ देर के लिए सांसारिक स्वार्थों से दूरी बनाए रखी। प्रवचन समाप्ति के बाद पंडाल के बाहर लगी दुकान से लोगों ने टी शर्टस खरीदी जिन पर मोक्ष, सत्य, प्रेम, आराधना, भविष्य, वैराग्य, सदमार्ग, स्वास्थ्य और निस्वार्थ वगैरा छपा हुआ था।  

प्रवचन संपन्न कर वापिस जाते हुए उन्हें व्यक्तिगत सचिव ने याद दिलाया कि जिस बाग़ में नए विदेशी फूल खिले हुए हैं वहां उनका फोटो शूट है। उन्हें नए विज्ञापन पट्टों की बहुत ज़रूरत है।  पिछले कुछ चित्रों में उन्हें मोटापा जी ने आशीर्वाद देना शुरू कर दिया था, जिसे उन्होंने स्वास्थ्य आहार विशेषज्ञों की व्यवहारिक सलाह लेकर लौटा दिया है। प्रवचन में माहिर ऐसे नहीं बनते। 

- संतोष उत्सुक

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