साहित्यिक संसार की खबर सार (व्यंग्य)

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टिप्पणियां दागते हुए वही लेखक जिन्होंने कुछ दिन पहले अपनी लिखी या छपी तीन किताबों का विज्ञापन दिया था अपनी टांग यहां घुसाकर बोले, अडसठ की युवा उम्र में यह सम्मान मिलना जीवन उपलब्धि है। उन्होंने अपने बारे में दोबारा बताया कि चुने हुए रचनाकारों में उनका नाम भी है।

साहित्य की गर्वीली दीवार पर रचनाकार आजकल ऐसे खुश दिख रहे हैं जैसे रंग बिरंगे गुब्बारे। प्रसिद्द, धनवान, बलिष्ट पर गलती से व्यंग्य लिखना शरीर तुडवाऊ शंकाओं से भरा रहा इसलिए हल्का फुल्का, स्वादिष्ट लिखकर या खिसकाकर वेबिनार में ज्यादा खुश रहने लगे हैं। दूसरों की तारीफ़ करना तो कभी प्रशंसनीय बात रही नहीं अब दुनिया का वजूद खतरे में होते हुए भी सुहाता नहीं दिख रहा। अखबार अब संभल कर रचनाएं प्रयोग कर रहे है, उन्हें यह छापना अच्छा लग रहा है कि फलां हीरोइन आजकल महाअवकाश के दिन कैसे शांति की खेती बाड़ी कर रही है। अगर चेहरे वाली किताब न हो तो कुछ भी पता न चले, हैरानी इस बात की है कि दुनिया में इतना प्लास्टिक होने के बावजूद कई कलम घिसुओं को ट्राफी का सामान नहीं मिला, तभी प्रशंसा खाने की इनकी भूख अभी तक नहीं मिट पाई।

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लॉकडाउन में पत्नियों ने लेखकों से हद से ज़्यादा घरेलू काम कराया लेकिन फिर भी लेखन प्रतिभा का लोहा नहीं माना, तभी तो पिछले दिनों उदास लेखक को अपनी दीवार पर मोटे अक्षरों में लिखना पड़ा, तीन किताबें, एक अप्रकाशित नावल, बारह सम्मान। ‘मैं श्रेष्ठ हूं’ युग में ऐसी बातें करनी भी पड़ती हैं। उन्हें एक विशाल रचना संग्रह में शामिल किया गया तो अन्य लेखकों को भी जगह मिली । श्रेष्ठ रचनाकारों के संग्रह में शहर की लेखक त्रिमूर्ति भी चयनित हुई। प्रेस नोट की तरह विज्ञापन छपना ही था कि तीनों ने विकट समय में दिन रात लिखकर समूचे साहित्य जगत को समृद्ध किया और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। 

टिप्पणियां दागते हुए वही लेखक जिन्होंने कुछ दिन पहले अपनी लिखी या छपी तीन किताबों का विज्ञापन दिया था अपनी टांग यहां घुसाकर बोले, अडसठ की युवा उम्र में यह सम्मान मिलना जीवन उपलब्धि है। उन्होंने अपने बारे में दोबारा बताया कि चुने हुए रचनाकारों में उनका नाम भी है। अब बधाई की हवाएं ज्यादा चलने लगी और उन्हें भी लगने लगी। साहित्य संसार ज्यादा खुशगवार हो उठा। एक संजीदा टिप्पणीकार ने खबरदार किया कि आप तीनों अच्छे रचनाकार हैं इसमें कोई शक नहीं लेकिन आप के सुदृढ़ कंधों की उंचाई पर बैठकर  कुछ कथित रचनाकार भी श्रेष्ट रचनाकार का तमगा हासिल करने की जुगत में लगे हैं, कृपया इस षड्यंत्र को समझने का प्रयास करें। रचना त्रिमूर्ति को लगने लगा कि यह इशारा उनके अपने विज्ञापन में घुसे लेखक के बारे में रहा होगा। पिछले दिनों वह रचनाकार कम लाइक्स मिलने से नाराज़ होकर, दो महीने का अवकाश घोषित कर फेसबुक सूनी कर गए थे। फिर उन्हें एहसास हुआ कि नाराज़ होकर बंदा अपना ही नुक्सान करता है, जनाब वापिस आ गए और तीन किताबों वाली घोषणा से धमाका कर दिया। 

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अब रचनाकार त्रिमूर्ति को अपना प्रचार तंत्र अधिक सशक्त करना पड़ा, कठोर मेहनत की और बारह समाचार पत्रों में प्रेस नोट भेजा जिसमें से सात ने छापा कि शहर के तीन प्रतिभावान लेखकों का श्रेष्ठ रचनाकारों में शामिल होना कोरोना समय की बड़ी उपलब्धि है। साहित्य की दुनिया में रचनाकारों का सक्रिय रहना उनके स्वस्थ रहने का परिचायक है। फेकन्यूज़ के ज़माने  में यह सुखदायक खबर हो सकती है, लेकिन यह बात भी सौ पैसे सच है कि रचनाकार को जीवित रहने के लिए हाथपांव तो मारने ही पड़ेंगे। 

- संतोष उत्सुक

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