देशभक्ति पढ़ने के दिन आने वाले हैं (व्यंग्य)

Patriotic reading
संतोष उत्सुक । Mar 27 2020 3:43PM

अब समझदार लोगों द्वारा देशभक्ति को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय से लग रहा है कि देशभक्ति वाकई पढ़ने की चीज़ है। पता नहीं इस चीज़, माफ़ करें इस विषय में पास होना ज़रूरी होगा या नहीं। देशभक्ति का सिलेबस कौन डिजाइन करेगा।

आजकल कोरोना ने सभी को काफी पढ़ा लिखा बना दिया है। उधर देश की राजधानी में, राजनीतिक राष्ट्रवाद का सिलेबस भी बदलने की राह पर है। वहां शैक्षिक कार्यक्रम के अंतर्गत देशभक्ति का पाठ्यक्रम लागू करना प्रस्तावित है। कोरोना के टपकने से पहले माहौल चीख चीख कर कह रहा था कि अब देशभक्ति को ज़रूरी तहज़ीब के साथ फिर से समझने का वक़्त आ गया है। हालांकि पहले भी देशभक्ति बरकरार रखने के लिए फ़िल्में बनाई जाती रही हैं लेकिन उनमें व्यवसायिक भक्ति ज्यादा होती थी। कोरोना क्लास में पढ़ाने से पहले देशभक्ति समझाने के लिए बहुत लोग अध्यापक हुए जा रहे थे, जिसे समझने के लिए हर हिन्दुस्तानी का विद्यार्थी हो जाना लाज़मी है। देश को फिर से सही पढ़ाई की ज़रूरत है।

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भारत चीन युद्ध के बाद सिनेमा हाल में फिल्म समापन पर राष्ट्रगान दिखाया जाता था, तब देशभक्ति का जुनून होता था, लेकिन फिर भी काफी दर्शक फिल्म समाप्त होते ही हॉल से बाहर निकलने शुरू हो जाते थे। ऐसी स्थिति में देशभक्ति असमंजस में पड़ जाती थी, मुझे लगता है तब तक देशभक्ति खूब आराम से ओढ़ने की चीज़ बन चुकी थी। बाद में कुछ बुद्धिजन यह भी कहते रहे कि देशभक्ति प्रमाणित करने या बाज़ू पर चिपकाकर चलने जैसी चीज़ नहीं है लेकिन दूसरे महा बुद्धिजनों को यह विचार अच्छा नहीं लगा। उधर देश की सांस्कृतिक परम्परा के निमित ‘प्रबुद्ध’ नेता, ‘ईमानदार’ अफसर व ‘चुस्त’ ठेकेदार जमकर ‘देश भक्ति’ करते रहे। देशभक्ति दुखी होती रही।   

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अब समझदार लोगों द्वारा देशभक्ति को शैक्षिक पाठ्यक्रम में शामिल करने के निर्णय से लग रहा है कि देशभक्ति वाकई पढ़ने की चीज़ है। पता नहीं इस चीज़, माफ़ करें इस विषय में पास होना ज़रूरी होगा या नहीं। देशभक्ति का सिलेबस कौन डिजाइन करेगा। क्या ऐसे नेता, मंत्री करेंगे जिन पर भ्रष्टाचार, हत्या, लूट, बलात्कार के मामले चल रहे हैं, जिनकी हठीली ज़बान ने समाज में देशभक्ति का खून घोल रखा है।   अगर ऐसा हुआ तो देशभक्ति में महारत हासिल की जा सकेगी और समाज में देशभक्तों की कमी न रहेगी। इस कोर्स की लोकप्रियता बढ़ने के बाद नौजवानों के पास कुछ ठोस करने को होगा। वे समाजवादी, माफ़ करें समाजसेवी भी बनना पसंद करेंगे। उनके लिए हैप्पीनेस कोर्स करने की ज़रूरत खत्म हो जाएगी, अगर ऐसा नहीं हुआ तो देशभक्ति का नया कोर्स भी शक के घेरे में आ जाएगा।

उम्मीद है इस योजना से प्रभावित होकर दूसरे प्रदेश भी देशभक्ति की कक्षाएं प्रारंभ करेंगे। अनेक ईमानदार कोचिंग सेंटर भी खुलेंगे जहां इस विषय में टॉप करने के लिए टिप्स और खाना मुफ्त दिया जाएगा। इस महत्वपूर्ण विषय को इतिहास या हिंदी पढ़ाने वाला ही निबटा देगा। आशा है देशभक्ति की कक्षा में विद्यार्थियों को पुस्तक प्रेम, ज़बान नियंत्रण, पर्यावरण जागरूकता, सचरित्र निर्माण, सामाजिक व आर्थिक समानता के माध्यम से राष्ट्रनिर्माण की शिक्षा दी जाएगी। देशभक्ति कोर्स में बिगड़े हुए पुराने व युवा नेताओं को सच बोलने, किताबों और पर्यावरण से प्रेम करने, जातिवाद, सम्प्रदायवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ावा न देने के इंजेक्शन दिए जाएंगे। इस सम्बन्ध में स्थायी मित्र अमरीका से प्रेरणा ले सकते हैं जहां देशभक्ति हमेशा से पहनने की चीज़ भी रही है तभी तो नहाने के कपड़ों पर भी राष्ट्रध्वज देख सकते हैं।

- संतोष उत्सुक

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