लॉकडाउन में हुस्नबानो के सब्जी भरे सवाल (व्यंग्य)

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दरवाजे के पास ही खुले में हातिमताई ने गर्मी के मौसम में गरम पानी से अपने सारे कपड़े धोने शुरू किए। मास्क, चड्डी, बनियान से लेकर बेल्ट जूते तक सभी। इन वस्त्रों को भी तीन अलग-अलग गरम पानी की बाल्टी में बारी-बारी से नहलाया गया, ताकि कोरोना का दाह संस्कार किया जा सके।

हुस्नबानो ने आदेश दिया- 'हातिमताई अब उठो और बाजार से सब्जी ले आओ।' हातिमताई दूसरे माले से उतरकर नीचे आया। उसने पांच थैलों से खुद को सजाया। बाहर लॉकडाउन खड़ा इतराया। वह बाजार गया। केवल 4 घंटे बाद पांचों थैले सब्जियों से भर लाया। कॉलबेल बजाई। ऊपर से तीन खोपड़ियां अलग-अलग खिड़कियों से निकलकर एक साथ कोरस में चिल्लाई- 'ध्यान तो रक्खा है ना सोशल डिस्टेंसिंग का!!!' हातिमताई ने मरे-मरे गरदन हिलाई। घंटे भर इंतजार के बाद 4 बाल्टियां गरम पानी लिए नीचे आई। हातिमताई ने निपट अकेले एक बाल्टी में सब्जियां डाली। एक लकड़ी लेकर वह सब्जियों को हिलाने लगा। आधे घंटे तक यह प्रक्रिया जारी रही। तब तक घर का कोई भी जीव हातिमताई के आसपास भी नहीं फटका। घर के मुख्य द्वार पर ही उसने ऑपरेशन सब्जी का महाअभियान शुरू कर दिया। अब दूसरी बाल्टी में बेकिंग सोडे को डाला गया। फिर किसी अन्य लकड़ी के द्वारा हिलाया गया। फिर पहली बाल्टी में रखी हुई सब्जियों को एक बड़े चिमटे से पकड़कर दूसरी बाल्टी में डालने का एकल गान शुरू हुआ। जब 2 घंटे तक इसी प्रक्रिया में सब्जियां बाल्टोन्मुखी रही तो हातिमताई ने तीन बार जरदे को ठीक से रगड़कर उसे अपनी बाईं ओर से तीसरे नंबर की दाढ़ में सावधानी पूर्वक पद भार ग्रहण कराया। अब सब्जियों को तीसरे नंबर की गरम पानी की बाल्टी में डाला गया। जहां उसे अन्य तीसरी लकड़ी से बराबर हिलाया गया। यह समारोह भी लगातार आधे घंटे तक चलता रहा। फिर सारी सब्जियों को एक बड़ी सी बरात में डाला गया।

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दरवाजे के पास ही खुले में हातिमताई ने गर्मी के मौसम में गरम पानी से अपने सारे कपड़े धोने शुरू किए। मास्क, चड्डी, बनियान से लेकर बेल्ट जूते तक सभी। इन वस्त्रों को भी तीन अलग-अलग गरम पानी की बाल्टी में बारी-बारी से नहलाया गया, ताकि कोरोना का दाह संस्कार किया जा सके। हातिमताई ने भी गरम पानी में डिटर्जेंटी झाग स्नान करके तत्पश्चात फिर से अन्य बाल्टी में रखे गरम पानी से पुन: स्नान समारोह संपन्न किया। हुस्नबानो के सब्जी सवालों के जवाब में हातिमताई ने बाल्टी में रखे गीले कपड़े एवं सब्जियों से भरी परात लेकर छत की ओर प्रस्थान किया। छत तीसरे माले के बाद आती है। यहां तक हातिमताई ने 50 बार विश्राम किया, लेकिन पुष्प वर्षा के लिए कोई हेलीकॉप्टर नहीं आया। छत की यात्रा पूरी की। कपड़ों को तार पर लटकाया। हुस्नबानो की कोई एक पुरानी साड़ी को छत पर फैलाया। आसमान से आग बरस रही थी। साड़ी पर सारी सब्जियां एक निश्चित सोशल डिस्टेंस के साथ कड़ी धूप में सुखाई गई। यह प्रक्रिया लगभग 2 घंटे तक चलती रही। तभी उसके दोनों न्यूज चैनल छत पर आकर रिकॉर्डेड टेलीकास्ट करने लगे- 'ये क्या सब्जियां लाए हो? ऐसी बेकार! हम ये कचरा नहीं खाएंगे। आप हमारे लिए कुछ भी नहीं लाए।' फिर हुस्नबानो व दोनों न्यूज चैनलों ने सम्मिलित स्वर में कहा- 'कोरोना का तो पक्का ध्यान रक्खा है ना! तुम तो मरोगे, हमें भी मारोगे।' साड़ी की पोटली में लदी सब्जियां हाथ में लेकर हातिमताई की लाश छत से धीरे-धीरे नीचे उतरने लगी। हुस्नबानो ने लाश को एक बार फिर जोरदार डांट पिलाई- 'तुमसे कोई भी काम ढंग से नहीं होता।'

- रामविलास जांगिड़ 

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