महान सड़क पर यात्रा (व्यंग्य)

सड़क बनवाने वालों का काम लम्बी, चौड़ी और महान सड़क बनाना है। उनका काम संभावित घायलों के इलाज के लिए कोई कारगर योजना बनाना नहीं है। अगर नीति निर्माताओं ने ऐसी कोई योजना बना ही दी है तो उसमें कई तरह के लोचे होना ज़रूरी है।
लम्बी, चौड़ी और महान सड़क पर सफ़र करना किस्मत की बात है। वहां जाकर तो शानदार गाड़ियों को भी मज़ा आता होगा। छोटे शहर या गांव में रहने वाला, छोटी गाड़ी का मालिक आम आदमी भी कभी न कभी उस सड़क से यात्रा करता है तो उसे लगता है यह शानबढ़ाऊ राजमार्ग उसके कल्याण के लिए भी बना है। प्रशासन चाहता है कि आम आदमी भी इस खास सड़क पर आकर गर्व महसूस करे। छोटी मोटी कमियां जो इसके निर्माण के दौरान रह गई हैं उनका बुरा न माने। आम आदमी कभी बुरा भी नहीं मानता। वास्तव में उसे बुरा मानने का अधिकार है भी नहीं। गलती से बुरा मान भी ले तो चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता।
वक़्त वक़्त की बात है। कई बार दूसरे ज़्यादा समझदार वाहन चालकों द्वारा यातायात नियम तोड़ने के कारण उसकी हड्डियां टूट जाती हैं तो उसे लगता है वह यहां खुद के साथ दुर्घटना करवाने ही आया था। ऐसे में जब उसे प्रारंभिक इलाज की ज़रूरत पड़ती है तो उसे लगता है वह अपनी डिस्पेंसरी साथ क्यूं नहीं लाया ताकि मुश्किल के समय में अपने और दूसरों के काम आता । फिर उसे लगता है कि इतने बड़े, लम्बे, चौड़े, महान मार्ग पर किसी अनजान व्यक्ति की गाडी से टकराने का अनुभव भी खास होता है। मर गए तो पता नहीं स्वर्ग जाएंगे या नरक, क्यूंकि स्वर्ग या नरक दोनों ही काल्पनिक जगहें हैं। बच गए तो बीमा वाले तंग कर कर के पता नहीं कब तक क्लेम दिए बिना अधमरा रखेंगे। दुर्घटना में अगर बच गए, कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ा या घर पर ही आराम करना पड़ा तो उसका एक फायदा ज़रूर होगा कि मित्रों, यार, दोस्तों और रिश्तेदारों से व्यक्तिगत रूप से मिलना हो पाएगा। वह बात दीगर है कि उन बेचारों को भी अस्त व्यस्त ज़िंदगी में से बड़ी मुश्किल से कुछ समय निकालकर आना पड़ेगा।
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सड़क बनवाने वालों का काम लम्बी, चौड़ी और महान सड़क बनाना है। उनका काम संभावित घायलों के इलाज के लिए कोई कारगर योजना बनाना नहीं है। अगर नीति निर्माताओं ने ऐसी कोई योजना बना ही दी है तो उसमें कई तरह के लोचे होना ज़रूरी है। ऐसा होना हमारी कार्यसंस्कृति का अहम् हिस्सा है जिसे परम्परा मानकर निभाना पड़ता है। सड़क बनाने का कार्य देश के विकास से जुड़ा है लेकिन सड़कों के आसपास, आम लोगों के लिए ज़रूरी सुविधाएं विकसित करवाना, सुविधाएं उपलब्ध हो चुकी हैं तो उन्हें साफ़ सुथरा रखना, कुछ टूट गया है तो उसकी मरम्मत करवाना किसी की भी ज़िम्मेदारी नहीं है। वास्तव में यह ज़िम्मेदारी उन सुविधाओं में पहले से ही सम्मिलित होनी चाहिए कि अपना ध्यान खुद रखें। ज़रूरत पड़े तो अपनी मरम्मत खुद कर लें। वहां एक सूचना भी लिखी हो सकती है कि यह सिर्फ देखने के लिए है यात्रियों को चाहिए कि वे इनका प्रयोग न करें।
इन घटनाओं से बचने का एक ही तरीका है कि आम आदमी, लम्बी चौड़ी सड़क पर यात्रा करने का महान विचार ही स्थगित रखे।
- संतोष उत्सुक
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