कब, कहां, कैसे और क्यों, पाकिस्तान ट्रेन हाईजैक की कहानी को समझने के लिए 7 प्वाइंट में जानें बलूचिस्तान का इतिहास-भूगोल

11 मार्च पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक ट्रेन को हाईजैक किए जाने की खबर सामने आई। ट्रेन का नाम जाफर एक्सप्रेस है और ये बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से पेशावर की तरफ जा रही थी। कुल 9 बॉगियां और इसमें करीब 500 लोग सवार। हाईजैक बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएल) की फिदायिन यूनिट मजीद ब्रिगेड और उसकी ही स्पेशल टेक्टिकल ऑपरेशन स्क्वायड के लड़ाकों ने मिलकर किया है।
बहुत पहले पाकिस्तान के क्राँतिकारी और व्यवस्था विरोधी कवि हबीब जालिब ने लिखा था...
मुझे जंगे - आज़ादी का मज़ा मालूम है, बलोचों पर ज़ुल्म की इंतेहा मालूम है।
मुझे ज़िंदगी भर पाकिस्तान में जीने की दुआ मत दो, मुझे पाकिस्तान में इन साठ साल जीने की सज़ा मालूम है।
27 मार्च 1948 कलात के एक महल में खान मीर अहमद खान आराम फरमा रहे थे। सुबह का वक्त घड़ी में ठीक 9 बज रहे थे। ऑल इंडिया रेडियो पर न्यूज का प्रसारण हुआ। अनमने ढंग से लेटे खान अपना एक कान रेडियो पर लगाए हुए थे कि तभी उनके पैरों तले जमीन खिसकने लगी। रेडियो पर न्यूज आ रही थी कि भारत ने उनके विलय का प्रस्ताव ठुकरा दिया। खान इसेे सुनकर चौंके। हालांकि मुद्दा ये नहीं था कि भारत ने प्रस्ताव ठुकराया बल्कि रेडियो के जरिए पाकिस्तान को इसकी खबर लग चुकी है। अगले ही रोज जो हुआ वो इतिहास है। कट टू 2025 तारीख 11 मार्च पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में एक ट्रेन को हाईजैक किए जाने की खबर सामने आई। ट्रेन का नाम जाफर एक्सप्रेस है और ये बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा से पेशावर की तरफ जा रही थी। कुल 9 बॉगियां और इसमें करीब 500 लोग सवार। हाईजैक बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएल) की फिदायिन यूनिट मजीद ब्रिगेड और उसकी ही स्पेशल टेक्टिकल ऑपरेशन स्क्वायड के लड़ाकों ने मिलकर किया है। इसमें उन्हें बलूचिस्तान की आजादी के लिए लड़ने वाली फतेह स्क्वायड का भी साथ मिला है। बलूचिस्तान प्रांत में बोलन नाम का एक दर्रा है और यहां की एक टनल से ट्रेन गुजर रही थी तभी उसे रोका गया। बलूचिस्तान का मसला है क्या यह समझना जरूरी है। इसे समझने के लिए इसके इतिहास को जानना जरूरी है और इसके साथ ही क्या ऐसा है जो इस क्षेत्र को भौगोलिक रूप से अहम बनाता है।
इसे भी पढ़ें: Pakistan Train Hijack पर आया सबसे बड़ा अपडेट, झूठ बोल रहे शहबाज शरीफ? एक भी आतंकी नहीं मरा!
बलूचिस्तान का इतिहास
कहानी आजादी के वक़्त से शुरू होती है। 1947 का साल था। हिंदुस्तान के बंटवारे की धूल अभी जमी भी नहीं थी कि वहां एक और खेल शुरू हो गया था। बलूचिस्तान ने पाकिस्तान में जाने से मना कर दिया था। बलूचिस्तान पहले चार रियासतों कलात, खारन, लास बेला और मकरान में बंटा था। सबसे ताकवत कलात था। पाकिस्तान नया नया बना था लेकिन उसकी नजर सिर्फ अपने नक्शे पर नहीं थी बल्कि उन इलाकों पर भी थी जो उसके हाथ नहीं आये थे। उन्हें में से एक बलूचिस्तान भी था। बलूचिस्तान एक रियासत था जिसकी राजधानी को कलात कहते थे। 15 अगस्त 1947 को जिस दिन भारत को आज़ादी मिली, उसी दिन कलात ने भी अपनी आज़ादी की घोषणा कर दी। पारंपरिक झंडा फहराया गया और एक स्वतंत्र शासक के रूप में कलात के खान के नाम पर एक खुतबा (इस्लामिक उपदेश) पढ़ा गया।
कलात और मुस्लिम लीग
27 मार्च, 1948 को ऑल इंडिया रेडियो ने राज्य विभाग के सचिव वीपी मेनन के हवाले से कहा कि कलात के खान ने भारत में विलय के लिए संपर्क किया था, लेकिन नई दिल्ली कुछ भी करने की स्थिति में नहीं थी। इस बयान का बाद में तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल और तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने खंडन किया था। तब तक खान झुक चुके थे। 26 मार्च को पाकिस्तानी सेना बलूच तटीय क्षेत्र पसनी, जिवानी और तुरबत में घुस चुकी थी। खान के पास जिन्ना की शर्तें मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। खान को भारत से समर्थन मांगने के वीपी मेनन के दावे को भी खारिज करना पड़ा और उसी दिन उन्होंने कलात के पाकिस्तान में विलय की घोषणा कर दी।
अब क्या हुआ
पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में सक्रिय संगठन बलूच लिवरेशन आर्मी ने 11 मार्च को 500 यात्रियों से भरी 'जाफर एक्सप्रेस' को वेपटरी कर उसे हाइजैक कर लिया। फायरिंग में ट्रेन ड्राइवर समेत कई यात्री घायल हुए। बलूच आर्मी ने कहा कि 182 यात्रियों को बंधक बना लिया है। इस दौरान 20 पाकिस्तानी सैनिकों की जान गई। संगठन ने बंधकों के बदले अपने लोगों की रिहाई का 48 घंटे का अल्टिमेटम भी दिया।
हमला क्यों किया गया?
बीएलए की प्रमुख मांग पाकिस्तान से अलग होकर बलूचिस्तान देश का गठन करना है। बलूचिस्तान से होकर चीन का सीपैक प्रोजेक्ट गुजरता है। लगभग 500 अरब डॉलर वाले इस प्रोजेक्ट का बलूच आर्मी विरोध करती है। उसका कहना है कि ग्वादर पोर्ट पर स्थानीय बलूच लोगों के अधिकारों को खत्म किया जा रहा है। पिछले 4 साल में बीएलए के 76 हमलों में 1156 पाक फौजी मारे जा चुके हैं।
इसे भी पढ़ें: Pakistan Train Hijack: पाक सेना के जवानों से भरी ट्रेन को BLA ने कैसे किया हाईजैक, अमेरिका के ऐलान से दुनिया भी हैरान
बलूचिस्तान का भूगोल
बलूचिस्तान पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिम में पड़ता है। दो देशों ईरान और अफगानिस्तान से इसकी सीमा लगती है। पाकिस्तान में कुल चार प्रांत हैं-पंजाब, खैबर पख्तूनख्वाह, सिंध और बलूचिस्तान। क्षेत्रफल के लिहाज से बलूचिस्तान सबसे बड़ा है। यहां की आबादी 1 करोड़ 49 लाख है।पाकिस्तान की 44 फीसदी ज़मीन बलूचिस्तान में है। बलूचिस्तान की आबादी कुल आबादी की महज़ 5 फ़ीसद है। आप यूं समझ सकते हैं की ट्रेन जहां हाईजैक हुआ है वहां का भूगोल पाकिस्तान के लिए बहुत ही संवेदनशील है। दक्षिण में अरब सागर समुद्री व्यापार के लिए आहम है। फिर ग्वादर एयरपोर्ट जो पाकिस्तान ने चीन को लीज पर दिया है। यह चीन पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर यानी सीपीसी का हिस्सा भी है इसके अलावा खनिजों के खनन की भी यहां पर चीन को खुली छूट है।
बलूचिस्तान की अहमियत
पाकिस्तान की सरकार बलूचिस्तान से बलूचों को खदेड़ने के लिए बार-बार सैन्य कार्रवाई करती रही है। इस कार्रवाई की दो बड़ी वजह हैं। पहली- बलूचिस्तान में तांबा, कोयला, सोना और यूरेनियम का बड़ा भंडार है। पाकिस्तान के कुल प्राकृतिक संसाधनों का 20 फ़ीसदी यहीं पर है। तीन नौसैनिक अड्डे भी बलूचिस्तान में है। यही स्थिति चगाई में परमाणु परीक्षण कर पाकिस्तान ने परमाणु ताकत बनने का दावा किया था। दूसरी यह इलाका पाक के दक्षिण-पश्चिम में है, जिसके क्षेत्रफल में ईरान और अफगानिस्तान की भी जमीनें शामिल हैं। यह 347190 वर्ग किमी में फैला है। इस हिसाब से यह पाक का सबसे बड़ा प्रांत है। देश का 44% भूभाग यहीं है, जबकि इतने बड़े क्षेत्र में पाक की कुल आबादी के सिर्फ 3.6% यानी 1.49 करोड़ लोग ही रहते हैं। इससे यह पाक का सबसे अमीर राज्य भी है। यहां की रेको दिक खान दुनिया की सोने और तांबे की खदानों में से एक है। यह चगाई जिले में है, जहां 590 करोड़ टन खनिज होने का अनुमान है। इसके प्रति टन भंडार में 0.22 ग्राम सोना और 0.41% तांबा है। इस हिसाब से इस खान में 40 करोड़ टन सोना छिपा है। जिसकी अनुमानित कीमत 174.42 लाख करोड़ रुपए तक हो सकती है। इसके बावजूद यह इलाका पाकिस्तान के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक है। पाकिस्तान ये बेशकीमती खदानें चीन को देकर अपनी किस्मत चमकाना चाहती है। उस पर 124.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है, जो उसकी जीडीपी का 42% है।
बीएलए के पास 6 हजार से ज्यादा लड़ाकों की फौज
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) पहली बार 1970 के दशक बनी। हालांकि बाद में इसने अपनी गतिविधियां बंद की। साल 2000 में बलूचिस्तान आर्मी फिर सक्रिय हुई, तब से लगातार पाकिस्तान की सरकारी संपत्तियों और सेना को निशाना बना रही है। बीएलए के पास 6 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं। अमेरिका, पाकिस्तान और ब्रिटेन इसे आतंकी संगठन मानते हैं। बीएलए देश की आजादी के लिए पाकिस्तान सरकार से चल रही है। सामान्यतौर पर पाकिस्तानी सेना के ऑन ड्यूटी जवान 5.56 एमएम, 7.62 एमएम कैलीबर की राइफल रखती है। इसके अलावा ऑपरेशन यूनिट्स 9 एमएम एमपीऽ सबमशीन गन का भी इस्तेमाल करती हैं। बलूच विद्रोहियों के लड़ाकों के पास एम16ए4 राइफल, एम240बी मशीन गन, आरपीजी-7 लॉन्चर, बल्गे रियाई ओजीआई-7 एमए प्रोजेक्टाइल और पीकेएम मशीन हैं। बीएलए के लड़ाकों के पास एडवांस हथियार होने से वे पाकिस्तानी सेना पर हमले करते रहे हैं।
For detailed delhi political news in hindi
अन्य न्यूज़