सेना ने इलेक्शन को लेकर दिया अल्टीमेटम, इसलिए युनूस ने इस्तीफे का रच दिया ढोंग, बिना चुनाव 5 साल सत्ता में रहने का है प्लान!

Yunus
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अभिनय आकाश । May 23 2025 3:17PM

मोहम्मद युनूस हैं जो बीते दिनों भारत को आंख दिखा रहे थे। मोदी सरकार को धमकियां दे रहे हैं। व्यापार बंद करने को लेकर कदम उठाया गया। लेकिन जब मोदी सरकार की तरफ से कमर तोड़ी गई तो मोहम्मद युनूस न सिर्फ घुटनों पर आ गए बल्कि अपने ही देश में चारों तरफ से घिर गए हैं।

बांग्लादेश में एक बार फिर से तख्तापलट के संकेत मिल रहे हैं। कभी भी किसी भी वक्त बांग्लादेश की अंतरिम सरकार गिर सकती है। चारों तरफ से मोहम्मद युनूस इस कदर घेरे गए कि ना तो वो अपनी कुर्सी बचा पा रहे हैं और न अपनी लाज। दरअसल, हुआ ये है कि बांग्लादेश में स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। अमेरिका ने अपना हस्तक्षेप बांग्लादेश में बढ़ा दिया है। खुद एक बैठक में मोहम्मद युनूस ने भावुक होते हुए कहा है कि मैं इतने दबाव में काम नहीं कर सकता। मैं इस्तीफा दे दूंगा। यानी आप सोच सकते हैं कि बांग्लादेश की स्थिति क्या हो रही है? ये वही मोहम्मद युनूस हैं जो बीते दिनों भारत को आंख दिखा रहे थे। मोदी सरकार को धमकियां दे रहे हैं। व्यापार बंद करने को लेकर कदम उठाया गया। लेकिन जब मोदी सरकार की तरफ से कमर तोड़ी गई तो मोहम्मद युनूस न सिर्फ घुटनों पर आ गए बल्कि अपने ही देश में चारों तरफ से घिर गए हैं। 

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क्या बांग्लादेश में लगने वाली है इमरजेंसी 

बांग्लादेश में तख्तापलट की स्थिति आकर खड़ी हो गई है। कहा जा रहा है कि इमरजेंसी भी लगाई जा सकती है। मोहम्मद युनूस चाहते थे कि वो लंबे वक्त से सत्ता में बने रहे। चुनाव न हो और इसके लिए उन्होंने अमेरिका के साथ मिलकर उसकी गोद में खेलने की कोशिश की। चीन के साथ मिलकर भारत को आंख दिखाने की कोशिश की। लेकिन मोहम्मद युनूस को न चीन बचा पा रहा है और न अमेरिका। दरअसल, ये दोनों देश अपने फायदे के लिए बांग्लादेश का इस्तेमाल करने में लगे हुए हैं। लेकिन ये बात मोहम्मद युनूस को समझ नहीं आई। मोहम्मद युनूस को यहां तक पहुंचाने और इस कुर्सी पर बिठाने का श्रेय अमेरिका को ही जाता है। जिसकी वजह उन्हें राष्ट्रपति की कुर्सी नसीब हुई। शेख हसीना को साजिशन हटाया गया। शेख हसीना तख्तापलट के बाद किसी तरह जान बचाकर भारत भाग पाईं। मोहम्मद युनूस की पूरी चालबाजी रही कि किसी तरह से शेख हसीना को जेल में डालने की। शेख हसीना को मरवाने की कोशिश तक की खबरें आईं। लेकिन कहते हैं न आप दूसरों के लिए गढ्ढे खोदोगे तो एक न एक दिन खुद ही उसमें गिर जाओगे। 

दवाब में काम नहीं कर सकता...

प्रोफेसर यूनुस ने नाराज़गी जाहिर हुए बहुत ही नाटकीय अंदाज़ में कहा कि वे अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के पद से इस्तीफ़ा देंगे। यहाँ यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि छात्रों के विरोध प्रदर्शन और प्रधानमंत्री शेख हसीना तो अपदस्थ किए जाने के बाद यूनुस को पिछले अगस्त में बांग्लादेश के वास्तविक प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। 84 वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता ने गुरुवार को कथित तौर पर अपने मंत्रिमंडल से कहा कि अगर राजनीतिक दल उन्हें अपना पूरा समर्थन नहीं देते हैं, तो वे पद छोड़ना चाहते हैं। एएफपी को एक सूत्र ने बताया कि वे अपना इस्तीफ़ा देना चाहते थे, लेकिन उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों ने उन्हें ऐसा न करने के लिए मना लिया। बांग्लादेशी अखबार प्रथम अल ओ ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि यूनुस ने अपने सलाहकारों के साथ बैठक में कहा कि अगर वह ठीक से काम नहीं कर सकते तो मुख्य सलाहकार होने का क्या मतलब है?

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विरोध प्रदर्शन को लेकर शर्मिंदा महसूस कर रहे युनूस

नेशनल सिटिज़न्स पार्टी (एनसीपी) के संयोजक नाहिद इस्लाम ने शाम को उनके आधिकारिक आवास पर उनसे मुलाक़ात की। इस्लाम ने मुलाक़ात के बाद बीबीसी बांग्ला से कहा कि हम आज सुबह से ही सर (यूनुस) के इस्तीफ़े की ख़बरें सुन रहे हैं। इसलिए मैं उस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए सर से मिलने गया था। उन्होंने कहा कि वे इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि स्थिति ऐसी है कि वे काम नहीं कर सकते। नाहिद ने कथित तौर पर यूनुस से जल्दबाजी में कोई फैसला न लेने का आग्रह किया। नाहिद ने बीबीसी बांग्ला से कहा कि उन्हें मजबूत बने रहना चाहिए। उन्हें सभी दलों के बीच एकता सुनिश्चित करनी चाहिए। मुझे उम्मीद है कि हर कोई उनका सहयोग करेगा। सूचना और प्रसारण सलाहकार महफूज आलम और युवा एवं खेल मंत्रालय के सलाहकार आसिफ महमूद ने भी मुख्य सलाहकार से मुलाकात की, जिसके दौरान उन्होंने यूनुस को अपने पद पर बने रहने के लिए मनाने की कोशिश की। मुख्य सलाहकार हाल ही में विभिन्न मुद्दों पर लगातार हो रहे आंदोलन के कारण कुछ हद तक शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं। अगर वह स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते तो वह पद पर बने रहना नहीं चाहते। बैठक के दौरान इस स्थिति पर चर्चा की गई।

खिलाफ में तैयार हो रहा माहौल

यूनुस की इस्तीफे की धमकी दक्षिण एशियाई देश में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आई है, जिसकी आबादी करीब 170 मिलियन है। पिछले हफ़्ते बांग्लादेश के अंतरिम नेता को संकट का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि प्रतिद्वंद्वी पार्टियों ने यूनुस और देश चलाने के उनके फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया है। यूनुस के खिलाफ़ की गई सबसे बड़ी आलोचनाओं में से एक देश में चुनावों की घोषणा है। यूनुस ने वादा किया है कि जून 2026 तक चुनाव करा लिए जाएँगे, लेकिन बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के समर्थकों की मांग है कि वे एक तारीख तय करें। वरिष्ठ बीएनपी नेता खांडाकर मुशर्रफ हुसैन ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा कि अगर सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है, तो बीएनपी के लिए अपना समर्थन जारी रखना मुश्किल होगा।

सेना चीफ की नाराजगी

अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस ने अब तक चुनावों को जनवरी-जून 2026 के बीच कराने की बात कही है। सेना इसे दिसंबर 2025 से आगे खींचने को लेकर नाराज है। यूनुस के अलावा कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी भी चुनाव टालने के पक्ष में हैं। सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि सरकार को पांच साल तक बने रहने की उम्मीद थी, जिसे सेना-छात्रों के दबाव ने गंभीर संकट में डाल दिया है। गृ हमंत्रालय के सलाहकार भी कह चुके हैं कि जनता चाहती है कि यह सरकार पांच साल तक बनी रहे। सैन्य अधिकारियों ने यहां तक कहा कि अगर सरकार जिद पर अड़ी रही, तो हालात बेकाबू हो सकते हैं। 

बांग्लादेश में अब आगे क्या 

कई बांग्लादेशी पर्यवेक्षकों को डर है कि यूनुस की इस्तीफ़ा देने की धमकी दरअसल सेना प्रमुख के ख़िलाफ़ व्यापक आंदोलन शुरू करने की एक चाल है। दरअसल, सोशल मीडिया पोस्ट में कुछ कार्यकर्ताओं को बड़े पैमाने पर आंदोलन की तैयारी और योजना बनाते हुए दिखाया गया है। यह दक्षिण एशियाई राष्ट्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है, जो पिछले अगस्त से ही उथल-पुथल में डूबा हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था मंदी में है, क्योंकि विश्व बैंक ने अपने आर्थिक विकास के पूर्वानुमान को घटा दिया है, चेतावनी दी है कि देश 36 वर्षों में अपनी सबसे धीमी वृद्धि देख सकता है। भारत से बांग्लादेश के अलगाव ने संकट को और बढ़ा दिया है, जिसके परिणामस्वरूप संकट के समय द्विपक्षीय व्यापार के अवसरों से लेकर आर्थिक सहायता तक कई लाभ खो गए हैं। फ़िलहाल, यह देखने के लिए इंतज़ार करना होगा कि क्या यूनुस अपनी धमकी पर आगे बढ़ते हैं या वास्तव में वे पद छोड़ देंगे। 

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