कनाडा चुनाव: कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद को बॉक्सिंग रिंग में मात देकर PM बनने वाले जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किल दिख रहा है कुर्सी बचाना

justin Trudeau
अभिनय आकाश । Sep 10 2021 5:02PM

जस्टिन ट्रूडो की नज़र एक बार फिर देश की सबसे अहम राजनीतिक कुर्सी के लिए वोटरों के सपनों को पूरा करने का वादा करते दिख रहे हैं कि कनाडा के लिए वो ही 'सर्वश्रेष्ठ विकल्प' हैं। लेकिन चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों से संकेत मिला है कि समय से पहले चुनाव कराने के उनके फैसले को मतदाताओं ने पसंद नहीं किया है।

क्षेत्रफल के लिहाज़ से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश कनाडा जिसकी आबादी क़रीब साढ़े तीन करोड़ है। उसी कनाडा में 20 सितंबर को आम चुनाव होने हैं। लिबरल पार्टी की ओर से जस्टिन ट्रूडो और कंजरवेटिव पार्टी की ओर से एरिन ओ’टोल मैदान में हैं। कनाडा की संसद यानी हाउस ऑफ़ कॉमन्स में कुल 338 सीटें हैं और एक पार्टी को बहुमत की सरकार बनाने के लिए 170 सीटों की ज़रूरत होती है। जस्टिन ट्रूडो की नज़र एक बार फिर देश की सबसे अहम राजनीतिक कुर्सी के लिए वोटरों के सपनों को पूरा करने का वादा करते दिख रहे हैं कि कनाडा के लिए वो ही 'सर्वश्रेष्ठ विकल्प' हैं। लेकिन चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों से संकेत मिला है कि समय से पहले चुनाव कराने के उनके फैसले को मतदाताओं ने पसंद नहीं किया है। कनाडा में आम चुनाव के सिलसिले में हुई दूसरी बहस में प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो विपक्षी नेताओं के सवालों से घिरे नजर आए। वे इस सवाल पर लड़खड़ाते नजर आए कि जब देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, तब उन्होंने बेवजह क्यों देश पर मध्यावधि चुनाव थोप दिया। ट्रुडो ने संसद का कार्यकाल पूरा होने से दो साल पहले चुनाव कराने का फैसला किया। ऐसे में आईए जानते हैं जस्टिन ट्रूडो के जीवन से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों और कनाडा चुनाव के बारे में।  

कनाडा का ट्रूडोमेनिया 

जस्टिन के पिता पियरे ट्रूडो 4 बार  कनाडा के प्रधानमंत्री रहे हैं। उन्हें कनाडा का लोकप्रिय प्रधानमंत्री कहा जाता रहा। पियरे को 1968 से 1984 तक के दौर में कनाडा के सबसे मजबूत नेता माना जाता था।  पियरे कानून के प्रफेसर और लेखक भी थे। राजनीति से उनके परिवार का पुराना नाता रहा है। जस्टिन ट्रूडो के नाना जिमी सिनक्लेर भी एक कैबिनेट मंत्री रह चुके थे। पियरे ट्रूडो के कार्यकाल के दौरान एक टर्म ट्रूडोमेनिया खूब प्रचलित हुआ था। मतलब कि उनके प्रति इतना ज्यादा लगाव या दिलचस्पी लोगों में थी। जस्टिन ट्रूडो का जन्म 25 दिसंबर 1971 कनाडा के ओटावा में हुआ। जस्टिन जब छह साल के थे तभी उनके माता-पिता का तलाक हो गया। अपने पिता के साथ जस्टिन ट्रूडो भारत के दौरे पर आए थे उस वक्त देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थी। धीरे-धीरे वक्त के साथ ट्रूडो ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक साल तक दुनिया की सैर भी की। फिर फ्रेंच और गणित के टीचर बनकर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने लगे। 998 में उनके भाई की एक हादसे में मौत हो गई। साल 2000 में पियरे ट्रूडो का निधन हो गया। 

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बॉक्सिंग रिंग में मुकाबले की चुनौती

साल 2006 में कनाडा में चुनाव हुए और लिबरल पार्टी की बुरी तरह हार हुई। ट्रूडो की राजनीति में एंट्री हो चुकी थी और उन्हें युवाओं से जुड़े मामलों की समिति का अध्यक्ष बना दिया गया था। लेकिन अगले चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन और खराब हो गया। पार्टी तीसरे स्थान पर पहुंच गई जिसे उनके राजनीतिक इतिहास का सबसे खराब प्रदर्शन कहा गया। जस्टिन ट्रूडो पर नेतृत्व संभालने का दवाब बढ़ता गया। लेकिन पार्टी में उनके समर्थकों के साथ ही आलोचक भी थे, जो कि उन्हें गंभीरता से कतई नहीं लेते थे। एक बार जस्टिन ने कंजरवेटिव पार्टी के सांसद पैट्रिक ब्राजेउ को बॉक्सिंग में आकर मुकाबले की चुनौती दे दी। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर मुझे कमतर समझ लेते हैं और उन्हें लगता है कि मैं हल्का हूं। लेकिन अगर मैं ये लड़ाई जीत गया तो लोग मुझे गंभीरता से लेने लगेंगे। ट्रूडो के मुकाबिल पैट्रिक सेना में रहने के साथ ही ब्लैक बेल्ट थे। ट्रूडो ब़क्सिंग किया करते थे लेकिन वो प्रोफेशनल नहीं थे। मार्च 2012 में बॉक्सिंग मुकाबले में तीसरे राउंड में ही जस्टिन ने पैट्रिक को हरा दिया। जिसके बाद लिबरल पार्टी की कमान संभालने को लेकर वोटिंग हुई और 80 फीसदी के साथ 2013 में जस्टिन ने जीत दर्ज की। 

तीसरे नंबर से 1 नं तक का सफर

साल 2015 के चुनाव में ट्रूडो के विरोधियों को लगा कि वो राजनीति में नौसिखीये हैं और आसानी से डिबेट में पराजित हो जाएंगे। लेकिन अपनी पार्टी का एजेंडा पेश करते हुए ट्रूडो की बेबाकी ने सभी को चौंका दिया। 2015 के चुनाव में लिबरल पार्टी की जीत हुई। हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 338 सीटें हैं। इनमें से 184 सीटों पर लिबरल पार्टी ने जीती। 2011 के मुकाबले पार्टी को 150 सीटों को फायदा हुआ और जीत के नायक जस्टिन ट्रूडो बने। इसके बाद ट्रूडो प्रधानमंत्री बने और उन्होंने अपनी कैबिनेट में जितने पुरुषों को शामिल किया उतनी महिलाओं की संख्या भी थी। ज अमेरिका की ट्रंप सरकार ने शरणार्थियों पर बैन लगाया तो ट्रूडो ने उनके लिए अपने यहां के दरवाजे खोल दिए। 

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दूसरे कार्यकाल में बहुमत से कम सीटों के साथ सरकार

कनाडा में संसद का पिछला चुनाव 2019 में ही हुआ था, जिसमें ट्रूडो की लिबरल पार्टी को जरूरी बहुमत नहीं मिला था। कुल 338 सीटों वाली संसद में ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 157 सीटें मिली थीं और वो अल्पमत वाली सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। कनाडा में साधारण बहुमत प्राप्त करने के लिए 170 के आंकड़े को छूना जरूरी है। 15 अगस्त को ट्रूडो ने संसद भंग करवाकर मध्यावधि चुनाव कराने का सियासी दांव खेला था जिससे वे पूर्ण बहुमत वाली सरकार का गठन कर सके। लेकिव ऐसा माना जा राह है कि अब उनका ये दांव उल्टा पड़ सकता है। 

चुनाव अभियान के दौरान गुस्साए लोगों ने फेंका पत्थर

20 सितंबर को होने वाले मध्यावधि चुनाव के लिए जस्टिन ट्रूडो देश भर में प्रचार कर रहे हैं। इस दौरान 6 सितंबर को ओंटारियो में एक चुनाव प्रचार के दौरान उनपर पत्थर भी फेंका गया। इस हमले में कोई घायल नहीं हुआ। ये घटना उस वक्त घटी जब ट्रूडो अपनी प्रचार बस में सवार होने की तैयारी कर रहे थे। इस घटना की जानकारी खुद देते हुए ट्रुडो ने कहा कि प्रदर्शनकारियों की तरफ से छोटे टुकड़े फेंके गए। वे मुझे आकर लग सकते थे। उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले किसी ने मुझ पर कद्दू के बीज फेंके थे। हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान हिंसा की ये पहली घटना रही। लोगों के विरोध की वजह कोविड 19 वैक्सीनेशन का अनिवार्य किया जाने का फैसला है। यही कनाडा में चुनाव से पहले सत्तारूढ़ पार्टी का एजेंडा भी है।

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संसद भंग कर मध्यावधि चुनाव का दांव पड़ सकता है उल्टा

पोल ट्रैकर के अनुमानों के मुताबिक, कनाडा की कंजरवेटिव पार्टी को बढ़त मिलने का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, अनुमान में कांटे की टक्कर बताया गया है। आउटलेट सीबीसी न्यूज' ने कहा कि, "पिछले 18 महीनों में पहली बार कंजर्वेटिव पार्टी को ज्यादा वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। अनुमान लगाया गया है कि जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को चुनाव में पिछली बार की तुलना में कम सीटें हासिल हो सकती हैं। पोल ट्रैकर के मुताबिक, कनाडा में कंजरवेटिव पार्टी को 35.5 प्रतिशत वोट हासिल हो सकते हैं, वहीं, जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को 32.2 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान लगाया गया है। ट्रैकिंग डेटा में एजेंसी नैनोस रिसर्च ने आउटलेट्स सीटीवी न्यूज और ग्लोब एंड मेल के लिए एक सर्वेक्षण में कहा कि "कंजरवेटिव पार्टी को करीब 33.8 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है तो लिबरल पार्टी को 30.8% लोगों का समर्थन मिल सकता है"।

कनाडा चुनाव से जुड़ी खास बातें

  • सॉवरेन– गवर्नर–जनरल द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया जो आधिकारिक तौर पर कनाडा की रानी का प्रतिनिधित्व करती है। 
  • उच्च सदन (सीनेट) – सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सिफारिश के अनुसार गवर्नर–जनरल द्वारा की जाती है
  • निचला सदन (हाउस ऑफ कॉमन्स) – नागरिक संघीय आम चुनावों के माध्यम से सदस्यों का चुनाव करते हैं।
  • सीनेट में 105 और हाउस ऑफ कॉमन्स में 338 सीटें हैं। 
  • सरकार का गठन हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों द्वारा किया जाता है जो कनाडा के नागरिकों द्वारा चुने जाते हैं।
  • कनाडा में चुनाव हर चार साल में एक बार होते हैं, बशर्ते गवर्नर–जनरल संसद को भंग करने के लिए प्रधानमंत्री की सलाह को स्वीकार कर लेते हैं तो समय से पहले या मध्यवधि चुनाव भी होते हैं।

कुछ प्रांत कहलाते हैं मिनी पंजाब

कनाडा में भारतीय मूल के लोगों खासकर सिख समुदाय की संख्या इतनी अधिक है कि वहां के कुछ प्रांत 'मिनी पंजाब' कहलाते हैं। कुल आबादी का 22 प्रतिशत हिस्सा सिखों का है, लिहाजा वहां की राजनीति में भी उनका दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है।

ट्रूडो से निराश है जनता

अफगानिस्तान से रिफ्यूजी को देश में लाना उनके खिलाफ जा रहा है, तो कोरोना वायरस संक्रमण को सही तरीके से हैंडल नहीं करने और उसी दौरान मध्यावधि चुनाव कराने का ऐलान करना भी उनके खिलाफ जाता दिखाई दे रहा है। इसके अलावा अनिवार्य टीकाकरण नीति को लेकर भी ट्रूडो को आलोचना का सामना करना पड़ा है।- अभिनय आकाश

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