China की शह और असम पर बुरी नजर, अब किस देश में घुसकर भारत ने कर दिया सर्जिकल स्ट्राइक? 300 ड्रोन से हुआ हमला

ड्रोन से 300 से 500 बम इन आतंकी ठिकानों पर गिराए गए हैं। म्यांमार के साथ हम 1643 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करते हैं। असम और गोवाहाटी जिसे गेट वे ऑफ नार्थ ईस्ट भी कहा जाता है। दरअसल, यहां पल रहे आतंकी संगठनों को चीन आज से नहीं बल्कि दो दशक से पालने का काम कर रहा है। बांग्लादेश और पाकिस्तान की तरफ से भी उन्हें मदद मिलती रहती है।
भारतीय सेना का ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है। 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के आतंकी शिविरों पर टारगेटेड अटैक किया गया था। लेकिन अब 13 जुलाई को म्यांमार में चल रहे आतंकी ठिकानों चल रहे थे, उन्हें नेतस्तनाबूद किया गया है। हालांकि भारतीय सरकार और सेना की तरफ से इस सर्जिकल स्ट्राइक की कोई पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन तमाम लोगों की तरफ से इस खबर की चर्चा की जा रही है। इस स्ट्राइक में 100 से ज्यादा आतंकवादियों के मारे जाने की खबर है। आधा दर्जन से ज्यादा आतंकी ठिकानों को ड्रोन अटैक से नेस्तोनाबूद कर दिया गया है। ड्रोन से 300 से 500 बम इन आतंकी ठिकानों पर गिराए गए हैं। म्यांमार के साथ हम 1643 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करते हैं। असम और गोवाहाटी जिसे गेट वे ऑफ नार्थ ईस्ट भी कहा जाता है। दरअसल, यहां पल रहे आतंकी संगठनों को चीन आज से नहीं बल्कि दो दशक से पालने का काम कर रहा है। बांग्लादेश और पाकिस्तान की तरफ से भी उन्हें मदद मिलती रहती है।
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भारत और म्यांमार की सीमा
साल 2015 में इसी जगह पर भारतीय सेना की तरफ से एक सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। उसमें भी इन आतंकियों को ढेर किया गया था। लेकिन अब टॉप कमांडर को डेर किया गया है। भारत-म्यांमार 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। जिसमें अरुणाचल प्रदेश (520 किमी), नागालैंड (215 किमी), मणिपुर (200 किमी), और मिजोरम (510 किमी) से लगती है। इसके अलावा 200 किलोमीटर की समुद्री सीमा भी है। भौगोलिक स्थिति की बात करें तो भारत म्यांमर बॉर्डर पर पहाड़ी और घने जंगल हैं। आतंकी और आतंकियों के हथियार की घुसपैठ आसानी से हो जाती है। भारत और म्यांमार के बीच भारत और म्यांमार के बीच मोरेह (मणिपुर-तानू (म्यांमार) जैसे सीमावर्ती शहरों से मुक्त आवगमन की नीति है। जैसे भारत और नेपाल के बॉर्डर पर मुक्त आवागमन की नीति है। आसान शब्दों में कहे तो कोई भी अपना पहचान पत्र दिखाकर नेपाल से भारत और भारत से नेपाल जा सकते हैं। वैसे ही दोनों देशों के इन दो शहरों के बीच भी इस तरह की सुविधा सरकार ने दी हुई है।
उल्फा आई के 4 कैंप पर सर्जिकल स्ट्राइक का दावा
प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा (I) ने दावा किया कि भारतीय सेना ने म्यांमार सीमा के पास उनके कैंपों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिनमें समूह के तीन नेताओं की मौत हो गई। यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (I) ने एक बयान में कहा कि 13 जुलाई की सुबह उसके कई कैंपों पर ड्रोन से हमला किया गया। हमले में उनके एक टॉप कमांडर की मौत हो गई और 19 अन्य घायल हुए। उल्फा (I) ने बाद में एक और बयान में कहा कि जब मारे गए नेता का अंतिम संस्कार किया जा रहा था, उसी समय मिसाइलों से फिर से हमला हुआ। हमले में संगठन की 'लोअर काउंसिल' के ब्रिगेडियर गणेश असम और कर्नल प्रदीप असम मारे गए। उल्फा (I) ने बताया कि एक अन्य उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कैंप भी इन हमलों में निशाना बनाए गए।
भारतीय सेना ने किसी भी ऑपरेशन से किया इनकार
भारतीय सेना ने म्यांमार में प्रतिबंधित उग्रवादी समूह यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) के तीन शीर्ष नेताओं सहित 19 उग्रवादियों के मारे जाने वाले किसी भी अभियान में अपनी संलिप्तता से स्पष्ट रूप से इनकार किया है। रक्षा जनसंपर्क अधिकारी कर्नल एमएस रावत ने गुवाहाटी में कहा कि भारतीय सेना के पास ऐसे किसी अभियान की कोई जानकारी नहीं है। परेश बरुआ के नेतृत्व वाले प्रतिबंधित उग्रवादी समूह ने दावा किया है कि कल तड़के भारतीय सेना ने म्यांमार स्थित उसके पूर्वी मुख्यालय को ड्रोन से निशाना बनाया। उग्रवादी समूह के एक बयान के अनुसार, कुल 19 उग्रवादी मारे गए हैं और 19 अन्य घायल हुए हैं। इसमें कहा गया है कि संगठन के स्वयंभू लेफ्टिनेंट जनरल नयन मेधी उर्फ नयन असोम मारे गए हैं। उग्रवादी समूह ने दावा किया कि अंतिम संस्कार के दौरान नए हमले किए गए, जिसमें स्वयंभू ब्रिगेडियर गणेश असोम और कर्नल प्रदीप असोम मारे गए। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी मीडियाकर्मियों को बताया कि राज्य पुलिस इस घटना में शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि असम की धरती से कोई हड़ताल नहीं हुई है।
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म्यांमार के लिए चीन की ऊर्जा सुरक्षा नीतियाँ
चीन 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' के तहत शान राज्य में बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। खासतौर पर ‘म्यूसे-मंडाले-क्याउकप्यू रेलवे’ और तेल-गैस पाइपलाइन जैसे प्रोजेक्ट्स चीन को भारत की सीमा के पास सामरिक लाभ दे रहे हैं। म्यांमार-चीन प्राकृतिक गैस पाइपलाइन और म्यांमार-चीन तेल पाइपलाइन के माध्यम से म्यांमार से चीन तक ऊर्जा आपूर्ति पहले से ही प्रवाहित हो रही है। 9 मई 2025 को रूस के मॉस्को में म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रमुख मिन आंग हलाइंग और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात हुई। यह बातचीत म्यांमार में 2021 के तख्तापलट के बाद दोनों नेताओं की पहली सीधी बैठक थी। शी जिनपिंग ने म्यांमार की संप्रभुता का समर्थन दोहराते हुए चीन के आर्थिक हितों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की बात कही। चीन, जिसने 2018 में एलएनजी के रूप में 73.5 अरब घन मीटर प्राकृतिक गैस का आयात किया था,10 के पास म्यांमार से आयातित प्राकृतिक गैस के ज़रिए एलएनजी पर अपनी निर्भरता 4.3 प्रतिशत तक कम करने का अवसर है। अगर चीन पूरी क्षमता से पाइपलाइन का इस्तेमाल करे और म्यांमार से 12 अरब घन मीटर प्राकृतिक गैस का आयात करे, तो यह आँकड़ा 16.3 प्रतिशत तक पहुँच सकता है। म्यांमार से प्राकृतिक गैस का आयात करने से ऑस्ट्रेलिया, जो चीन के 26 प्रतिशत आयातित गैस का स्रोत है, और कतर, जो देश की 11 प्रतिशत गैस की आपूर्ति करता है, से मिलने वाली प्राकृतिक गैस पर चीन की निर्भरता भी कम हो सकती है। हालाँकि, चीन के विविधीकरण के प्रयास समुद्र के रास्ते एलएनजी की आपूर्ति पर चीन की निर्भरता को समाप्त नहीं करेंगे। एलएनजी का आयात संभवतः लंबे समय तक जारी रहेगा।
मादक पदार्थों की तस्करी और सीमा पार नेटवर्क को बढ़ाना मकसद
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अब म्यांमार के ज़रिए मादक पदार्थों की तस्करी और सीमा पार नेटवर्कों को बढ़ावा देकर भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। यह भारत पर पश्चिम में पाकिस्तान और पूर्व में म्यांमार के माध्यम से दोहरे दबाव की रणनीति का हिस्सा है। चीन की म्यांमार में बढ़ती दखलअंदाज़ी सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सैन्य और भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। इसका उद्देश्य भारत की पूर्वी सीमाओं को अस्थिर करना और भारत के क्षेत्रीय प्रभाव को सीमित करना है। म्यांमार चीन की ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए रणनीतिक और व्यावहारिक लाभ प्रदान करता है। यह आपूर्ति में विविधता लाने, आयातित एलएनजी पर निर्भरता कम करने, शिपिंग समय में कटौती करने और मध्य पूर्व से आपूर्ति पर निर्भरता कम करने का अवसर प्रदान करता है। म्यांमार में विकसित किया जा रहा गहरे पानी का बंदरगाह चीन को मलक्का जलडमरूमध्य से बचने की क्षमता प्रदान करता है। म्यांमार को चीन से जोड़ने वाला ऊर्जा बुनियादी ढांचा अपेक्षाकृत नया है, लेकिन विस्तार की योजनाएँ महत्वाकांक्षी हैं और दोनों देशों के बीच संबंधों पर बारीकी से नज़र रखी जानी चाहिए।
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