Pakistan ही नहीं कई देशों की फजीहत करा चुके हैं चीनी हथियार, भयंकर भ्रष्टाचार, रिवर्स इंजीनियरिंग ने कर रखा है बंटाधार

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अभिनय आकाश । May 27 2025 2:46PM

पिछली सरकारों के वक्त पर चीन के नाम से इतना डराया गया। कहा जाता था कि चीन के पास इतनी आर्मी है। चीन अब तक अपने पूरे इतिहास में केवल तीन युद्ध लड़ा है। 1962 को थोड़ी देर के लिए अगर साइड में कर दें तो जापान के साथ उसने लड़ाई लड़ी। फिर कोरिया के साथ उसने युद्ध लड़ा। भारत, वियतनाम और तिब्बत के साथ चीन सीमा विवाद में पड़ा हुआ है।

चीन जिसके पास दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्मी है। चीन अपने आप को शक्तिशाली और पॉवरफुल दिखाने की कोशिश करता है। लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि चीन की आर्मी एक फेक आर्मी है और जो चीन दिखाता है वो नही है।  आप इस पर फौरन विश्वास नहीं करेंगे। अगर मैं आपको ये बताऊं कि पूरी दुनिया में अगर किसी भी देश की आर्मी में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है तो वो चीन ही है। आज आपको तथ्यों के माध्यम से कुछ ऐसे सच से रूबरू करवाएंगे जिससे पता चल जाएगा कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती है और चीन जो दिखाता है असल में तस्वीर वैसी बिल्कुल भी नहीं है। पिछली सरकारों के वक्त पर चीन के नाम से इतना डराया गया। कहा जाता था कि चीन के पास इतनी आर्मी है। चीन अब तक अपने पूरे इतिहास में केवल तीन युद्ध लड़ा है। 1962 को थोड़ी देर के लिए अगर साइड में कर दें तो जापान के साथ उसने लड़ाई लड़ी। फिर कोरिया के साथ उसने युद्ध लड़ा। भारत, वियतनाम और तिब्बत के साथ चीन सीमा विवाद में पड़ा हुआ है। 

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चीन की सेना कितनी ताकतवर है? 

चीन के पास टेक्नोल़जी है। चीनी वायुसेना में 40,0000 सैनिक हैं और यह दुनिया की सबसे उन्नत वायुसेनाओं में से एक है, जबकि इसकी नौसेना में 3,80,000 सैनिक हैं और इसके पास आधुनिक युद्धपोत, लड़ाकू जेट, परमाणु पनडुब्बी और अन्य उन्नत हथियार हैं। रिपोर्टों के अनुसार, चीनी नौसेना के पास तीन विमानवाहक पोत, 50 विध्वंसक और 61 पनडुब्बियाँ हैं। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, चीनी सेना के पास अनुमानतः 6800 टैंक, 2750 रॉकेट आर्टिलरी, 144,017 वाहन, 3309 विमान, 1212 लड़ाकू विमान और 281 हमलावर हेलीकॉप्टर हैं। इसके अलावा, चीन की नौसेना के पास तीन विमानवाहक पोत, 50 विध्वंसक और 61 पनडुब्बियाँ हैं। लेकिन चीनी सेना के भीतर लड़ने का माद्दा नहीं है। 31 लाख 70 हजार से ज्यादा की आर्मी चीन के पास है। लेकिन ये भाग जाते हैं। गलवान की 2020 की घटना को याद कीजिए। जब भारत के 20 जवानों को चीनी सैनिकों ने शहीद किया था। लेकिन भारत की मीडिया हो या इंटरनेशनल मीडिया में ये दावा किया गया था कि 40 से ज्यादा चीन के सैनिक मारे गए थे। उसके बाद भी चीन ने कभी नहीं बताया कि उसके कितने सैनिक असल में मारे गए। उसके बाद से कोई नोकझोंक की खबर एलएसी से सामने नहीं आई। 

चीन के मिसाइलों में ईंधन की जगह पानी 

लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या ये मिसाइलें फायर भी हो पाएंगे। रिपोर्ट बताते हैं कि इनमें जो ईंधन हैं वो ईंधन नहीं बल्कि  पानी भरा हुआ है। ब्लूबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने खुलासा किया है कि दोषपूर्ण चीनी मिसाइलों के कारण शी जिनपिंग को अपनी सेना को हटाना पड़ा। अमेरिकी खुफिया जानकारी से पता चलता है कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग का व्यापक सैन्य सफाया तब हुआ जब यह सामने आया कि व्यापक भ्रष्टाचार ने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के उनके प्रयासों को कमजोर कर दिया और चीन की युद्ध लड़ने की क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए, ऐसा आकलन से परिचित लोगों का कहना है। चीन के रॉकेट फोर्स के अंदर और पूरे देश के रक्षा औद्योगिक बेस में भ्रष्टाचार इतना व्यापक है कि अमेरिकी अधिकारियों का अब मानना ​​है कि शी द्वारा आने वाले वर्षों में प्रमुख सैन्य कार्रवाई के बारे में सोचने की संभावना कम है, जैसा कि अन्यथा होता, ऐसा उन लोगों का कहना है, जिन्होंने खुफिया जानकारी पर चर्चा करते हुए नाम न बताने का अनुरोध किया था।

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भ्रष्टाचार से लिप्त पूरी आर्मी 

मतलब मिसाइलों के भीतर तो पानी भरा हुआ है। लेकिन जहां से मिसाइलों को लॉन्च किया जाता है। उनके ढक्कन तक नहीं खुलेंगे। अब एक और रिपोर्ट का एमआरआई स्कैन करते हैं। ये कोई और नहीं बल्कि चीन के माउथ पीस साउथ चाइना मार्निंग पोस्ट की रिपोर्ट है जिसमें उसने हेडलाइन ही दिया है कि कोई भी सुरक्षित नहीं है और इसके साथ ही कहा गया कि चीन ने 2023 में रिकॉर्ड संख्या में वरिष्ठ अधिकारियों को हटाया गया। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, भ्रष्टाचार के खिलाफ चीन की लड़ाई ने पिछले वर्ष नए कीर्तिमान स्थापित किए, जब सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के भ्रष्टाचार विरोधी निगरानी संस्था ने 45 वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू की। चीन ने अपने जनरल को हटा दिया था क्योंकि उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 में शुरू की गई वरिष्ठ-स्तरीय जांचों की संख्या 2022 की तुलना में 40 प्रतिशत बढ़ गई, जब केंद्रीय अनुशासन निरीक्षण आयोग (सीसीडीआई) चीन की शीर्ष भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी - ने सीसीडीआई द्वारा आधिकारिक घोषणाओं के आधार पर उच्च-रैंकिंग अधिकारियों के खिलाफ 32 जांच दर्ज कीं। 

चीन अपने हथियारों पर काफी शेखी बघारता रहा 

अब थोड़ा हालिया घटनाक्रम पर नजर डालते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम में कायरता पूर्ण हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन सिंदूर चलाया गया। भारत की तरफ से आतंक के ठिकानों पर सटीक और करारा प्रहार किया गया। अब इस विवाद में चीन की तरफ से 100 ज्यादा पीएल 15 मिसाइलें दे दी। पीएल 15 चीन की सबसे एडवांस मिसाइल मानी जाती है। पीएल-15ई मिसाइल को लेकर चीन काफी शेखी बघारता रहा है। ये एक अत्याधुनिक बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) एयर-टू-एयर मिसाइल है। इसे खास तौर पर जे-10C, जे-16 और जे-20 जैसे फाइटर जेट्स के साथ इस्तेमाल के लिए डिजाइन किया गया था। इसकी सबसे बड़ी ताकत 200 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक टारगेट को मार गिराने की क्षमता, AESA रडार सीकर के साथ सटीक निशाना लगाने की ताकत है। 

जेएफ 17 भी बेअसर

पाकिस्तान की तरफ से पीएल-15E मिसाइल का इस्तेमाल किया गया। पाकिस्तान ने जेएफ-17 फाइटर जेट से चीनी मिसाइल को लॉन्च किया था। लेकिन भारत के बेहतरीन इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट ने चीनी मिसाइल को हवा में ही बेअसर कर दिया। जब भारत ने चीन की इस सबसे शक्तिशाली मिसाइल को बेअसर कर दिया तो पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। अमेरिका से लेकर यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड को मिलाकर बने फाइव आईज गठबंधन ने इसके टुकड़े की जांच में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, ताकि वो चीनी मिसाइल के बारे में जानकारियां हासिल कर सके। ये एक और बड़ा उदाहरण है कि चीन के हथियार कितने कारगर हैं। 

एचक्यू-9 भी चीनी माल निकला

चीन के बैटल टैंक, आर्टलरी, ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम इस लड़ाई में सबकुछ ध्वस्त हो गया। एचक्यू 9 की कहानी तो आप सभी को पता होगी। चीन की एचक्यू-9 मिसाइल तो रफाल (राफेल) से दागी गई स्कैल्प मिसाइल और हैमर बम तक को नहीं पकड़ पाई। स ने चीन को अपनी एस-300 मिसाइल सिस्टम दी थी। चीन ने इसकी रिवर्स इंजीनियरिंग कर खुद की एचक्यू-9 मिसाइल प्रणाली खड़ा कर ली। लेकिन एचक्यू-9 भी चीनी माल निकला और ऑपरेशन सिंदूर में थड यानी बेदम साबित हुआ। 

चीन के हथियार दे देते हैं वक्त पर दगा

2022 में म्यांमार और बर्मा का युद्ध हुआ था। म्यांमार की आर्मी को चीन ने जेएफ 17 दिए थे। लेकिन जब युद्ध की बारी आई थी तो 11 जेएफ 17 म्यांमार की आर्मी ने कहा कि चलने लायक ही नहीं हैं। म्यांमार ने कथित तौर पर 2016 की शुरुआत में चीन से 16 JF-17 खरीदने के लिए एक सौदा किया था, जिसकी कीमत 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रति विमान थी। 2018 में म्यांमार वायु सेना को छह विमानों का पहला बैच दिया गया था, लेकिन अन्य 10 के बारे में विवरण अभी तक स्पष्ट नहीं है। इस सौदे ने म्यांमार को चीन और पाकिस्तान के बाहर JF-17 खरीदने वाला पहला देश बना दिया। जेएफ-17 की खराब सटीकता के कारण म्यांमार वायु सेना उन्हें कमीशन किए जाने के चार साल बाद भी युद्ध के लिए इस्तेमाल नहीं कर सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि इस वजह से वायु सेना को रूस निर्मित याक-130 और मिग-29 लड़ाकू विमानों और चीन निर्मित के-8 लड़ाकू विमानों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।

चीन की टेक्नोल़जी काम क्यों नहीं करती?

चीन रिवर्स इंजीनियरिंग पर काम करता है। अब तक होता था कि रूस से फाइटर जेट या ड्रोन, मिसाइलों को ट्रायल के लिए मंगवाते थे। उसे खोल कर उसके पुर्जे पुर्जे अलग कर फिर से उसे रि असबेंल कर दे दिया जाता था। लेकिन उसकी टेक्नोल़जी चुरा लिया करते थे। इसके अलावा साइबर अटैक करके विभन्न देशों से ब्लूप्रिंट चुरा कर फिर उसे चीनी माल के रूप में विकसित किया जाता है। इसलिए ये ज्यादा कारगर नहीं रहते हैं। रूस ने ट्रायल के लिए चीन को देना बंद कर दिया है। चीनी एक्सपोर्ट में उसके गिरते प्रभाव की वजह से 23 फीसदी की कमी भी आई है। 

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