George Soros vs Modi: राष्ट्रवाद से लड़ने के लिए खर्च करेगा 100 करोड़, इंग्लैंड के बैंक को तोड़ने वाले ने अब क्यों ली मोदी के नाम की सुपारी?

George Soros vs Modi
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Feb 17 2023 5:44PM

अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए बयान पर बवाल मच गया है। बीजेनी ने भी आरोप लगाया है कि पीएम मोदी जॉर्ज सोरोस के निशाने पर हैं।

लगभाग 90 साल की उम्र में कोई भी व्यक्ति क्या करता है? काम धंधा छोड़कर ईश्वर की भक्ति में समय लगाता है। नाती-पोतों के साथ खुश रहने का प्रयास करता है। या फिर कुछ ऐसा करता है जिसकी वजह से लोग हमेशा उसे एक अच्छे इंसान के रूप में याद रखें। सनातन धर्म के अनुसार ये वानप्रस्थ की आयु होती है। जब मनुष्य लोभ, मोह और ईष्या छोड़कर अपना परलोक सुधारने औऱ सदगति की इच्छा रखता है। लेकिन करीब 90 साल की उम्र में चेहरे पर पड़ी झुर्रियां और लड़खड़ाती आवाज वाले एक व्यक्ति का सपना भारत और सनातन सभ्यता को नष्ट करना। भारत ही नहीं जार्ज सोरोस का शौक हर उस देश को तबाह करना है जहां पर मानवता के लिए कुछ भी अच्छा हो रहा हो। अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर दिए बयान पर बवाल मच गया है। बीजेनी ने भी आरोप लगाया है कि पीएम मोदी जॉर्ज सोरोस के निशाने पर हैं। अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर क्रोनी कैपटलिज्म को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उनके भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी से मधुर संबंध हैं। दोनों का भाग्य आपस में जुड़ा है। वैसे आपको बता दें कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब सोरोस ने पीएम मोदी को निशाना बनाया हो। इससे पहले 2020 में जॉर्ज सोरोस ने कहा था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। जार्ज सोरोस के पास अरबों डॉलर की संपत्ति है। जिसके दम पर वो अब तक दुनिया के कई देशों को  बर्बादी के रास्ते पर ले जा चुका है। लेकिन इतने समय बाद भी बहुत लोग उसका नाम तक नहीं जानते। कई देशों को तो पता तक नहीं है कि उनकी बर्बादी के पीछे इसी व्यक्ति का हाथ है। सोरोस का नाम उस लीक्ड टूलकिट में भी था जिसे ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से ट्वीट कर दिया था। 

इसे भी पढ़ें: Pakistan: 780 रुपये चिकन, 272 का पेट्रोल, IMF के शर्तों में दबी सरकार, कंगाली, बदहाली और महंगाई से कराह रही आवाम पीएम मोदी को कर रही याद

जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी पर क्या सवाल उठाए

अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस का मानना है कि गौतम अडाणी के व्यापारिक साम्राज्य में उथल-पुथल सरकार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पकड़ को कमजोर कर सकती है।  म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में एक संबोधन में सोरोस ने  कहा कि मोदी को अडाणी समूह के आरोपों पर विदेशी निवेशकों और संसद के सवालों का जवाब देना होगा। सोरोस ने अपने भाषण में कहा कि अडाणी समूह में उथल-पुथल देश में एक लोकतांत्रिक पुनरुद्धार का द्वार खोल सकती है। उनका लगभग 42 मिनट का भाषण जलवायु परिवर्तन, रूस-यूक्रेन युद्ध, अमेरिका की समस्या, तुर्की आपदा और चीन की विफलताओं पर केंद्रित रहा। उन्होंने दावा किया, मोदी और कारोबार जगत की महत्वपूर्ण हस्ती अडाणी करीबी सहयोगी हैं और उनके हित आपस में जुडे हैं। सोरोस ने कहा, अडाणी समूह पर शेयरों में धोखाधड़ी का आरोप है और उसकी कंपनियों के शेयर ताश के पत्तों की तरह ढह गये। मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा। उन्होंने, हालांकि अपने दावों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया। उन्होंने कहा, इससे भारत की केंद्र सरकार पर मोदी का दबदबा काफी कमजोर हो जाएगा और आवश्यक तौर पर संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने का दरवाजा खुल जाएगा। सोरोस ने कहा, मैं अनाड़ी हो सकता हूं, लेकिन मुझे भारत में एक लोकतांत्रिक पुनरुद्धार की उम्मीद नजर आ रही है।

स्मृति ईरानी ने किया पलटवार

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गई टिप्पणी को लेकर पलटवार किया है। सोरोस न केवल प्रधानमंत्री, बल्कि भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी निशाना बना रहे हैं। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संवाददाताओं से कहा कि यह युद्ध भारत के खिलाफ शुरू किया जा रहा है और युद्ध और भारत के हितों के बीच मोदी खड़े हैं। उन्होंने कहा, सभी को एक स्वर में उनकी टिप्पणी की निंदा करनी चाहिए।’’ ईरानी ने आरोप लगाया कि सोरोस भारतीय लोकतंत्र को नष्ट करना चाहता है और कुछ चुने हुए लोगों द्वारा यहां की सरकार चलवाना चाहते हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत सहित विभिन्न देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप के लिए एक अरब डॉलर से अधिक का फंड बनाया है। उन्होंने कहा, ‘‘एक विदेशी ताकत जिसके केंद्र बिंदु में जॉर्ज सोरोस हैं...उन्होंने ऐलान किया है कि वह हिंदुस्तान के लोकतांत्रिक ढांचे पर चोट करेंगे...वह प्रधानमंत्री मोदी को अपने वार का मुख्य बिंदु बनाएंगे...वह हिंदुस्तान में अपनी विदेशी ताकत के अंतर्गत एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जो हिंदुस्तान के हितों का नहीं बल्कि उनके हितों का संरक्षण करेगी।

इसे भी पढ़ें: George Soros को BJP का जवाब, देश के खिलाफ साजिश बर्दाश्त नहीं, लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई है मोदी सरकार

नया हिन्दुस्तान कमजोर नहीं

ईरानी ने कहा, ‘‘ऐसे समय में जब भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा है और जब भारत को अमेरिका और फ्रांस के राष्ट्रपतियों और इंग्लैंड के प्रधानमंत्री जैसे वैश्विक नेताओं द्वारा आभार प्राप्त हो रहा है, एक कारोबारी के साम्राज्यवादी इरादे सामने आ रहे हैं, जो हमारे लोकतंत्र को खलनायक की तरह पेश करना चाहता है। यह नया हिन्दुस्तान है, कमजोर नहीं है। ईरानी ने कहा, ‘‘आज देश के आवाम से मैं अपील करना चाहती हूं... चाहे आप व्यक्ति हों, संगठन हों या राजनीतिक दल हों ....... इसका मुंहतोड़ जवाब देना है।

कांग्रेस ने भी दिया सोरोस को मुहंतोड़ जवाब

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी जॉर्ज सोरोस को फटकार लगाई है। कांग्रेस ने कहा कि भारत में नेहरूवादी विरासत यह सुनिश्चित करती है कि अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस जैसे लोग भारतीय चुनावों के परिणाम तय नहीं कर सकते। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोरोस के एक बयान की पृष्ठभूमि में यह टिप्पणी की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री से जुड़ा अडाणी घोटाला भारत में लोकतांत्रिक पुनरुत्थान शुरू करता है या नहीं, यह पूरी तरह कांग्रेस, विपक्ष व हमारी चुनाव प्रक्रिया पर निर्भर है। इसका जॉर्ज सोरोस से कोई लेना-देना नहीं है।

कौन हैं जॉर्ज सोरस 

हंगरी मूल के अमेरिकी सोरोस निवेशक और समाजसेवी हैं। ओपन सोयासटी फाउंडेशन जिसका नाम 1945 की ओपन सोसायटी एंड इटस एनीमी नामक एक किताब से प्रेरित है। जिसका काम जीवंत और समावेशी लोकतंत्र बनाना और ऐसी सरकार अपने नागरिकों के प्रति जवाबदेह हो। फाउंडेशन का हेडक्वाटर न्यूयार्क में है और 60 से ज्यादा देशों में सक्रिय है। नास्तिक होने का दावा करने वाले जॉर्ज सोरोस खुद को दार्शनिक कहलाना पसंद करते। साल 1994 में सोरोस ने एक भाषण में बताया कि उन्होंने अपनी मां को आत्महत्या करने में मदद देने की पेशकश की थी, उनकी मां हेमलॉक सोसाइटी की सदस्य थीं। सोरोस इजरायल और अमेरिका के साथ ही विभिन्न विषयों पर दुनियाभर के कुछ बड़े अखबारों जैसे द टाइम, टाइम्स, वाशिंगटन पोस्ट, न्यूयॉर्कर वगैरह में लिखते रहते हैं। फरवरी 2018 के आंकड़े के मुताबिक, सोरोस पास कुल 8 अरब डॉलर की संपत्ति है। उन्होंने अपनी समाजसेवी संस्था ओपन सोसायटी फाउंडेशंस को 32 अरब डॉलर से ज्यादा का दान दिया है। जिसमें से 15 अरब डॉलर का वितरण 37 देशों में हुआ। सोरोस अमेरिका की राजनीतिक पार्टी डेमोक्रैट्स के बड़े दानदाताओं में से एक हैं। 

राष्ट्रवादियों से लड़ने के लिए विश्वविद्यालय

अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस पर राजनीति को आकार देने और शासन परिवर्तन को वित्तपोषित करने के लिए अपने धन और प्रभाव का उपयोग करने का आरोप लगाया जाता रहा है। उन्होंने 2020 में राष्ट्रवाद के प्रसार से निपटने के लिए एक नए विश्वविद्यालय नेटवर्क को वित्तपोषित करने के लिए 100 करोड़ देने का वचन दिया था। वह पीएम नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आलोचक रहे हैं। 2020 में सोरोस ने दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि राष्ट्रवाद आगे बढ़ रहा और भारत में "सबसे बड़ा झटका" देखा गया। वैश्विक नेताओं पर हमला करते हुए, सोरोस ने कहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के अधीन दुनिया की सबसे मजबूत शक्तियाँ- अमेरिका, चीन और रूस तानाशाहों के हाथों में हैं और सत्ता पर पकड़ रखने वाले शासकों में इजाफा हो रहा है। 

ट्रंप को बताया ठग

जॉज सोरोस एक पूंजीपति है लेकिन वो दुनियाभर के वामपंथियों को बहुत प्रिय है। लेकिन सोरोस राष्ट्रवादी विचारधारा वालों को पसंद नहीं करता है। जॉर्ज सोरोस का एक शिकार डोनाल्ड ट्रंप को भी माना जाता है। ट्रंप जबतक अमेरिका के राष्ट्रपति रहे मीडिया उनको लेकर नए-नए झूठ छापता रहा। ट्रंप को पूरी दुनिया में खलनायक बना दिया गया। जबकि उनसे शासनकाल में अमेरिका की अर्थव्यवस्था सबसे अच्छे दौर में पहुंच गई थी। ट्रंप के कार्यकाल में किसी भी देश के साथ नया युद्ध नहीं छेड़ा गया। लेकिन फिर भी डोनाल्ड ट्रंप की छवि एक सनकी तानाशाह के रूप में गढ़ी गई। इस सारे खेल में जॉर्ज सोरोस के फंडिंग की बड़ी भूमिका मानी जाती है। 2017 में अमेरिका के राष्ट्रपति रहे ट्रंप को सोरोस ने ठग तक बता दिया था। उन्होंने कहा था कि ट्रंप ट्रेडृ वॉर शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले जॉर्ज सोरोस ने जॉर्ज डब्ल्यू बुश को राष्ट्रपति पद से हटाना उनके जीवन का सबसे बड़ा मकसद बताया था। 

जॉर्ज सोरोस के बारे में 10 बातें

जॉर्ज सोरोस को बैंक ऑफ इंग्लैंड को तोड़ने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। यूनाइटेड किंगडम के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड वही है जो भारत के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) है। 

फोर्ब्स के अनुसार 17 फरवरी, 2023 तक जॉर्ज सोरोस की कुल संपत्ति 6.7 बिलियन डॉलर है। वह दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल हैं। 1969 से 201 तक प्रसिद्ध हेज फंड टाइकून जॉर्ज सोरोस ने न्यूयॉर्क में क्लाइंट मनी का प्रबंधन किया।

दुनिया के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक जॉर्ज सोरोस को एक संपन्न परिवार में जन्म लेने के बावजूद संघर्ष करना पड़ा। सोरोस ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अपनी पढ़ाई के लिए रेलवे कुली और वेटर के रूप में काम किया।

सोरोस का जन्म 1930 में हंगरी के बुडापेस्ट में हुआ था। हालांकि उनका जन्म एक संपन्न यहूदी परिवार में हुआ था, लेकिन एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, 1944 में हंगरी में नाजियों के आने से उनकी किशोरावस्था बाधित हो गई थी।

पकड़े जाने और यातना शिविरों में भेजे जाने से बचने के लिए परिवार को अलग होना पड़ा। सोरोस 1947 में अपने परिवार के साथ लंदन चले गए। ब्रिटानिका के अनुसार, सोरोस ने दर्शनशास्त्र का अध्ययन किया और एक दार्शनिक बनने की योजना बनाई।

सोरोस फंड बनाने से पहले उन्होंने लंदन के एक मर्चेंट बैंक में काम किया। सोरोस 1956 में न्यूयॉर्क शहर चले गए जहां उन्होंने यूरोपीय प्रतिभूतियों के एक विश्लेषक के रूप में शुरुआत की।

जॉर्ज सोरोस पर 1997 में थाईलैंड की मुद्रा (बाहत) पर सट्टा हमलों के पीछे होने का आरोप लगाया गया है, हालांकि उन्होंने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है। उनका नाम उस वित्तीय संकट से जुड़ा था जो उस साल एशिया के अधिकांश हिस्सों में फैल गया था। यहां तक ​​कि मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महाथिर बिन मोहम्मद ने भी रिंगित की गिरावट के लिए सोरोस को जिम्मेदार ठहराया।

सोरोस ने अपनी संपत्ति के कुछ हिस्सों का उपयोग करके 1984 में ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन नामक एक परोपकारी संगठन की स्थापना की। ओपन सोसाइटी के पास नींव का एक नेटवर्क था। सोरोस ने 2022 में डेमोक्रेटिक पार्टी को 128.5 मिलियन डॉलर का दान दिया और वह इसके सबसे बड़े दानकर्ता थे। वह बराक ओबामा के राष्ट्रपति अभियान के पीछे एक प्रमुख चेहरा थे।

ब्रिटानिका के अनुसार, 21वीं सदी की शुरुआत में ओपन सोसाइटी फ़ाउंडेशन 70 से अधिक देशों में काम कर रहे थे। 2017 में ऐसी खबरें आई थीं कि सोरोस ने हाल के वर्षों में संगठन को करीब 18 अरब डॉलर दिए थे।

सोरोस ने 2010 में ह्यूमन राइट्स वॉच को $100 मिलियन का दान दिया। उदार कारणों और डेमोक्रेटिक पार्टी के अपने समर्थन के कारण, सोरोस ने अक्सर रूढ़िवादियों और रिपब्लिकन पार्टी की आलोचना की।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़