भारत के बच्चों के साथ धोखा कर रही है Nestle? आप भी अपने नौनिहालों के खिलाते हैं Cerelac , तो ये रिपोर्ट पढ़ना ज़रूरी है

Nestle
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Apr 20 2024 2:12PM

भारत जैसे विकसित देशों में ऊपर से चीनी मिलाई जा रही है। ऐसे आरोप लग रहे हैं। ये भी कहा जा रहा है कि ये बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि नेस्ले पर आई ताजा रिपोर्ट क्या कहती है और चीनी का इस्तेमाल बच्चों के लिए कितना खतरनाक है?

खाने पीने की चीजों बनाने वाली कंपनी नेस्ले चर्चा में है। सेरेलक बेबी फूड बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले पर आरोप लगा है कि वो भारत में घर घर में बिकने वाले सेरेलक बेबी फूड में जरूरत से ज्यादा चीनी मिलाकर बेच रही है। अब भारत सरकार नेस्ले के इस बेबी फूड की जांच करेगी। देखा जाएगा कि ये आपके बच्चे के लिए ये ठीक है की नहीं। स्विजरलैंड जैसे विकसित देशों के प्रोडक्ट्स में शुगर नहीं मिलाई जाती है। वहीं भारत जैसे विकसित देशों में ऊपर से चीनी मिलाई जा रही है। ऐसे आरोप लग रहे हैं। ये भी कहा जा रहा है कि ये बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है। आइए समझने की कोशिश करते हैं कि नेस्ले पर आई ताजा रिपोर्ट क्या कहती है और चीनी का इस्तेमाल बच्चों के लिए कितना खतरनाक है? 

इसे भी पढ़ें: अमेरिका में बेकाबू हुए ट्रंप समर्थक, हश मनी केस में चल रही थी सुनवाई और इधर...

रिपोर्ट में क्या कहा गया 

इंटरनेशन बेबी फूड एक्शन नेटवर्क यानी आईबीएफएएन और स्विजरलैंड के रिसर्च ऑर्गनाइजेशन पब्लिक आई ने नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट सेरेलेक की लैब टेस्टिंग के बाद एक रिपोर्ट जारी की है। नेस्ले के 150 फूड प्रोडक्ट की बेल्जियम में जांच करवाई गई।  इनमें छह महीने तक के बच्चों को दिया जाने वाला बेबी मिल्क और सेरेलक की जांच की गई। रिपोर्ट का शीर्षक है "How Nestle gets children hooked on sugar in lower income countries'' शीर्षक से ही साफ है कि विकासशील और गरीब देशों में नेस्ले के प्रोडक्ट में शुगर के इस्तेामल से जुड़ी है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया जैसे विकासशील और लो इनकम ग्रुप देशों में नेस्ले के सेरेलैक जैसे बेबी फूड प्रोडक्ट में एडेड शुगर होता है। जबकि स्विजरलैंड, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों में बिकने वाले नेस्ले के बेबी फूड प्रोडक्ट में एडेड शुगर नहीं होती है। यानी स्विजरलैंड की मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले अपना एक ही प्रोडक्ट यूरोपीय देशों में बिना एडेड शुगर के बेचती है और भारत में एडेड शुगर के साथ बेचती है।  

इसे भी पढ़ें: Emergency Meeting On Israel attack: एयर डिफेंस एक्टिव, हमले के बाद ईरान की आपात बैठक, अमेरिका को थी पहले से इजरायली अटैक की जानकारी

अतिरिक्त चीनी हानिकारक क्यों हैं?

चीनी एक साधारण कार्बोहाइड्रेट है। कुछ खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली चीनी होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) के अनुसार, यह दूध (लैक्टोज) और फल (फ्रुक्टोज) में पाया जाता है। कोई भी उत्पाद जिसमें दूध (जैसे दही, दूध या क्रीम) या फल (ताजा, सूखा) होता है, उसमें कुछ प्राकृतिक शर्करा होती है। किसी खाद्य पदार्थ की तैयारी या प्रसंस्करण के दौरान उसमें मुफ्त चीनी या अतिरिक्त चीनी अलग से मिलाई जाती है। एएचए का कहना है कि इसमें सफेद चीनी, ब्राउन शुगर और शहद जैसे प्राकृतिक शर्करा, साथ ही रासायनिक रूप से निर्मित अन्य कैलोरी मिठास (जैसे उच्च फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप) शामिल हो सकते हैं। पब्लिक आई ने बताया कि नेस्ले के अतिरिक्त शर्करा वाले शिशु खाद्य उत्पादों को राष्ट्रीय कानून के तहत अनुमति है, इस तथ्य के बावजूद कि वे विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के खिलाफ हैं।

इसे भी पढ़ें: क्या है भारत और अमेरिका के बीच हुआ जेट इंजन सौदा? रक्षा सचिव ऑस्टिन ने जिसका जिक्र कर बताया क्रांतिकारी

Nestle ने क्या कहा? 

नेस्ले ने पब्लिक आई और IBFAN के दोहरे मानकों के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया। यह कहा कि पिछले दशक में उसने दुनियाभर में बच्चों के लिए अनाज से बने प्रॉडक्ट्स में ऐडेड शुगर की कुल मात्रा में 11% की कमी की है और यह गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद से समझौता किए बिना शुगर के स्तर को और कम करेगा। हमारे सहयोगी TOI के संपर्क किए जाने पर, नेस्ले इंडिया वर्षों ने नेस्ले इंडिया ने बच्चों के लिए के एक प्रवक्ता ने कहा, पिछले 5 अनाज से बने प्रॉडक्ट्स ने ऐडेड शुगर को 30% तक कम कर दिया है। हम प्रॉडक्ट्स के पोर्टफोलियो की नियमित जांच करते है।

अन्य देशों से तुलना

 देश शुगर लेवल
 भारत43 ग्राम 
वियतनाम  43 ग्राम
 इक्वाडोर43 ग्राम 
 थाईलैंड 41 ग्राम
 अमेरिका41 ग्राम 
 न्यूजीलैंड 41 ग्राम
 ऑस्ट्रेलिया 37 ग्राम
 सिंगापुर 36 ग्राम
 जर्मनी 30 ग्राम
 ब्रिटेन  23 ग्राम

क्या कहता ही WHO की नई गाइडलाइन

WHO की एक नई गाइडलाइन के मुताबिक, वयस्क और बच्चों को रोजाना शुगर का सेवन उनकी कुल एनर्जी खपत का कम से कम 10% से कम करने की सलाह देती है। हर दिन 5% से कम या लगभग 25 ग्राम 6 चम्मच) की और कमी ज्यादा ( स्वास्थ्य लाभ देगी। यूरोप के लिए WHO की गाइडलाइन कहती है कि तीन साल तक की उम्र के बच्चे को खाने में किसी भी तरह का स्वीटनर या ऐडेड शुगर नहीं देनी चाहिए। अन्य क्षेत्रों के लिए विशेष गाइडलाइन नहीं है। रिसर्चर्स का कहना है कि यूरोपी की गाइडलाइन ही दुनिया के दूसरे हिस्सों के लिए मान्य है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़