मंदी आने वाली है? ग्लोबल इकोनॉमी पर ये ट्रेड वॉर भारी पड़ेगा, ट्रंप टैरिफ पर पीछे नहीं हटने को तैयार, चीन-EU करेंगे आर-पार

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अभिनय आकाश । Apr 9 2025 2:43PM

भारत में बाजार पहले से ही काफी नीचे आया हुआ है, लिहाजा 4% का झटका इसके हिस्से पड़ा। बाजार ट्रंप की एक घोषित व्यापारिक रणनीति के तहत गिरे हैं। उनसे इसके बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा भी कि वे किसी चीज में गिरावट नहीं चाहते, लेकिन बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवा भी कभी-कभी खानी पड़ती है।

डोनाल्ड ट्रंप जब से दूसरी बार राष्ट्रपति बन गए हैं तब से टैरिफ उनका सबसे पसंदीदा शब्द बन गया है। सोते-जागते, आते-जाते उनकी जुबान पर टैरिफ छाया रहता है। कनाडा को 51वां राज्य बनाना हो टैरिफ लगा दो। फेंटनिल की तस्करी रोकनी है टैरिफ लगा दो। यूक्रेन वॉर में पीस डील करानी हो टैरिफ लगा दो या धमकी दे दो। अगर आपने पिछले कुछ महीने में ट्रंप को ट्रैक किया होगा तो पता चलेगा कि टैरिफ उनका सिंगल प्वाइंट वेपन बन गया है। हर मर्ज की एक ही दवा। कभी आग लग जाए तो उसके जवाब में कहीं ट्रंप टैरिफ न लगा दें। डोनाल्ड ट्रंप पॉलिटिक्स में आने से पहले बिजनेसमैन थे। उन्हें डिप्लोमेसी से ज्यादा प्रेशऱ डालकर डील पर साइन कराने का अनुभव है। जिस तरह हिंदी सिनेमा में विलेन होते थे, डील से पहले नोटों से भरा सूटकेस खोलकर दिखाने वाले। दुनियाभर के शेयर बाजार में भूचाल मचा हुआ है। 7 अप्रैल 2025, दिन ऐसे हर बाजार में जहां शेयर खरीदे बेचे जाते हैं, 4-10% तक की गिरावट देखी गई। जापान और दक्षिण कोरिया के बाजारों में सर्किट लगा। यानी एक सीमा से ज्यादा गिरावट पर खरीद-बिक्री का काम अपने आप बंद हो गया। भारत में बाजार पहले से ही काफी नीचे आया हुआ है, लिहाजा 4% का झटका इसके हिस्से पड़ा। बाजार ट्रंप की एक घोषित व्यापारिक रणनीति के तहत गिरे हैं। उनसे इसके बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा भी कि वे किसी चीज में गिरावट नहीं चाहते, लेकिन बीमारी के इलाज के लिए कड़वी दवा भी कभी-कभी खानी पड़ती है। 

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क्या डोनाल्ड ट्रम्प दुनिया को मंदी की ओर ले जा रहे हैं?

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की आशंका बढ़ गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने कहा था कि अगर चीन अमेरिका पर लगाया गया 34% टैरिफ वापस नहीं लिए जाने के बाद अब चीन पर 50% एक्स्ट्रा टैरिफ लागू कर दिया गया। इसपर अव चीन ने कहा है कि टैरिफ को और वढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। 

लड़ने को तैयार चीन

चीन का कहना है, अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है। इससे और मजबूत होकर निकलेगा। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने लिखा कि अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन आसमान नहीं गिरेगा। 2017 में अमेरिका की तरफ से पहले ट्रेड वॉर की शुरुआत के बाद से हमने लगातार विकास किया है और आगे बढ़े है। की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा। वहीं, यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने अपील की है। 

ईयू ने बातचीत करके हल निकालने की कर दी अपील

ईयू की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयन ने चीनी प्रधानमंत्री ली कियांग से फोन पर बात की और बातचीत से टैरिफ मसले के समाधान करने की अपील की। उन्होंने वैश्विक आर्थिक स्थिरता की जरूरत को दोहराया और तनाव न बढ़ाने की सलाह दी। ईयू  ने कहा कि वह अगले हफ्ते ट्रंप के नए 20% टैरिफ के जवाब में प्रतिक्रिया देगा। 

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ब्लैक मंडे से हुई तुलना

ट्रंप की टैरिफ नीति से बाजार में हाहाकार मचा है। चीन ने भी जवाबी टैरिफ का ऐलान कर व्यापार युद्ध और गहरा कर दिया है। अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि अगर अमेरिका अपनी मौजूदा नीति पर डटा रहा, तो वैश्विक मंदी की आशंका 60% तक पहुंच सकती है। जेपी मॉर्गन के दूस कासमैन और सीएनवीसी के जिम क्रेमर ने मौजूदा हालात की तुलना 1987 के 'ब्लैक मंडे' से की है, जब एक ही दिन में 1.71 ट्रिलियन डॉलर स्वाहा हो गए थे। वाजार की नजर अव वाइट हाउस की अगली चाल पर टिकी है। 

भारत का नरम रुख

फिलहाल तय जान पड़ती है कि शेयर बाजारों को ढहता देखकर ट्रंप अपनी नीति नहीं बदलने वाले हैं। सच या झूठ, मगर अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड ल्यूटनिक का कहना है कि 50 देशों ने अमेरिकी सामानों को लेकर अपने आयात करों में कटौती करने के संकेत दिए हैं और उनकी ओर से इस बारे में बातचीत शुरू भी की जा चुकी है। भारत ने इस बारे में शुरू से ही नरम रुख अपना रखा है, हालांकि अमेरिका को होने वाला कुल निर्यात भारतीय जीडीपी 2% से ज्यादा नहीं है। वार्ता में थोड़ी देर के भी हुई तो हम पर कोई पहाड़ नहीं टूट पड़ेगा। लेकिन मामले का दूसरा पहलू यह है कि चीन और यूरोपियन यूनियन जैसी कुछ व्यापारिक महाशक्तियां इसे अमेरिका की जबरदस्ती की तरह देख रही हैं और अपनी पहली प्रतिक्रिया उन्होंने टैरिफ की जवाबी वृद्धि के प्रस्ताव के रूप में दिखाई है। अमेरिकी जीडीपी दुनिया का एक चौथाई है तो चीन और यूरोपियन यूनियन मिलाकर इसका 35% बनाते हैं। 

इसमें भारत के लिए भी कुछ संकेत 

इंडेक्स में सीधे 17% गिरावट का एक मतलब है और इसमें भारत के लिए भी कुछ संकेत हैं। यहां छोटे-मंझोले कारोबारों में लगी हुई लाखों करोड़ की पूंजी पहले ही आशंकाओं से घिरी है। ध्यान रहे, सरकारें अपना खजाना कोरोना से उबरने में ही खाली कर चुकी हैं और मदद का बड़ा हिस्सा पिछले तीन वर्षों से शेयर बाजार चढ़ाने में काम आ रहा है। बाजारों का गिरना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन यह लंबा खिंच गया तो संकट जैसी स्थित आ सकती है। 

क्या ग्लोबल सप्लाई चेन पर पड़ेगा असर

दुनिया भर में शेयर बाजार में भारी गिरावट ने भी कॉर्पोरेट आय में गिरावट का संकेत दिया है। टीसीएस जैसी भारतीय कंपनियों और एप्पल, नाइक जैसी अमेरिकी फर्मों या टाटा मोटर्स जैसी ऑटोमेकर और स्टेलेंटिस जैसी अमेरिकी फर्मों, जो उच्च इनपुट लागत का सामना कर रही हैं, को सोमवार को हमले का खामियाजा भुगतना पड़ा है। यह स्पष्ट है कि नई टैरिफ व्यवस्था न केवल प्रतिशोधात्मक टैरिफ की बाढ़ ला सकती है, बल्कि अमेरिकी निर्यात में भी गिरावट ला सकती है। इससे बड़े पैमाने पर छंटनी, निवेश में कमी देखने को मिल सकती है। 

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