बीच चुनाव मोदी का राफेल वाला दांव, चीन-पाक का धुंआ उड़ाने आ रहा लड़ाकू विमान

Rafale
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । May 30 2024 2:17PM

फाइटर जेट के आने के बाद भारतीय विमान वाहक युद्धपोतों पर तैनात मिग 29 फाइटर जेट्स को सपोर्ट मिलेगा और उन पर मौजूद प्रेशर कम होगा। भारत इस डील में फ्रांस से 22 सिंगल सीटर सीट फाइटर जेट और 4 डबल सीटर फाइटर जेट खरीदेगा। डबल सीटर फाइटर जेट ट्रेनिंग के काम आएंगे।

भारत सरकार और फ्रांस के बीच राफेल मरीन फाइटर जेट की डील होने वाली है। फ्रांस के अधिकारी भारत आ चुके हैं। 50 हजार करोड़ रुपये की इस डील में भारत को 26 राफेल एम फाइटर जेट मिलेंगे। फ्रांस की तरफ से आए अधिकारियों की मुलाकात भारतीय अधिकारियों से होगी। डील पक्की होने के बाद फ्रांस 26 राफेल एम फाइटर जेट भारत को देगा। इन्हें आइएएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा। फ्रांस ने इसके लिए जारी टेंडर के हिसाब से बीते साल दिसंबर में ही अप्लाई किया था। इस फाइटर जेट के आने के बाद भारतीय विमान वाहक युद्धपोतों पर तैनात मिग 29 फाइटर जेट्स को सपोर्ट मिलेगा और उन पर मौजूद प्रेशर कम होगा। भारत इस डील में फ्रांस से 22 सिंगल सीटर सीट फाइटर जेट और 4 डबल सीटर फाइटर जेट खरीदेगा। डबल सीटर फाइटर जेट ट्रेनिंग के काम आएंगे। 

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चीनी जेट्स के मुकाबले कितना शक्तिशाली

राफेल एक मल्टी रोल फाइटर जेट है। दक्षिण एशिया की बात करें तो भारत और चीन के अलावा किसी अन्य देश के पास एयरक्रॉफ्ट कैरियर है ही नहीं। चीन के एयरक्रॉफ्ट कैरियर पर तीन तरह के मल्टीरोल फाइटर जेट जे-10, जे-15 और सुखोई-30 तैनात है। जे-10 55.5 फीट लंबा है। जे-15 73.1 फीट और सुखोई जेट 72 फीट लंबा है। जबकि राफेल एम 50.1 फीट लंबा है। चीन के जे-10 को एक पायलट, जे-15 को एक या दो और सुखोई-30 को 2 पायलट मिलकर उड़ाते हैं। राफेल को भी एक या दो पायलट मिलकर उड़ाते हैं। जे-10 का कुल वजन 14 हजार किलोग्राम है। जे-15 27 हजार किलोग्राम और सुखोई-30 का 24,900 किलोग्राम है। राफेल एम का वजन 15 हजार किलो है। यानी ये काफी हल्का है व समुद्री लड़ाई और एयरक्रॉफ्ट कैरियर से इसका लैंड-टेक ऑफ करना। इससे हथियार ले जाना सबकुछ बहुत आसान हो जाता है। 

कोई संयुक्त बोली नहीं

भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त बोली से संभवतः विमानों की लागत कम हो सकती थी और शायद इससे भारत में एक नई उत्पादन लाइन भी स्थापित हो सकती थी। भारत में विमान निर्माण के लिए उत्पादन लाइन स्थापित करना सभी संख्या पर निर्भर है। कम संख्या में लड़ाकू विमानों के लिए नई उत्पादन लाइन स्थापित करना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है। भारतीय वायुसेना ने दो राफेल स्क्वाड्रन -हासीमारा और अंबाला का गठन किया है प्रत्येक के पास अपने स्वयं के स्टोर और सिम्युलेटर हैं। दिसंबर में फ्रांस ने नौसेना के विमान वाहक आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के लिए 26 राफेल समुद्री जेट के लिए भारत के टेंडर पर अपनी प्रतिक्रिया प्रस्तुत की थी। भारत के स्वीकृति पत्र का जवाब नई दिल्ली में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने भारतीय सौदे के लिए फ्रांसीसी बोली का विस्तृत अध्ययन किया है, जिसमें वाणिज्यिक प्रस्ताव या विमान की कीमत के साथ-साथ अनुबंध के अन्य विवरण भी शामिल हैं। भारत अब फ्रांसीसी सरकार के अधिकारियों के साथ कड़ी बातचीत करेगा, क्योंकि यह एक सरकार-से-सरकारी अनुबंध है।

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ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं कर रही इस्तेमाल

 राफेल एम का इस्तेमाल अभी भी ग्रीस, इंडोनेशिया और यूएई की सेनाएं कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय नौसेना ने अमेरिकी फाइटर जेट एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट को खारिज कर दिया है। दोनों लड़ाकू विमानों का इस साल की शुरुआत में नौसेना ने परीक्षण किया था। इस परीक्षण की एक विस्तृत रिपोर्ट दिसंबर में भारत के रक्षा मंत्रालय को सौंपी गई थी। दोनों लड़ाकू विमानों का परीक्षण गोवा के नौसैनिक अड्डे आईएनएस हंसा में किया गया।

भारतीय नौसेना में राफेल एम

भारतीय नौसेना का मानना ​​है कि राफेल उसकी जरूरतों को काफी बेहतर तरीके से पूरा कर सकता है। भारतीय नौसेना 43 पुराने रूसी फाइटर जेट मिग-29K और मिग-29KUB को अपने बेड़े से हटाना चाहती है। नौसेना के दिमाग में कई विमानों के नाम थे लेकिन अंतिम रेस राफेल एम और एफ-18 के बीच थी। फ्रांसीसी नौसेना के पास वर्तमान में 240 राफेल एम जेट हैं। डसॉल्ट ने इन जेट्स का निर्माण वर्ष 1986 से शुरू किया था। दोनों जेट पहले से ही उन्नत विमान वाहक पर तैनात हैं। ऐसे में दोनों जेट CATOBARs सिस्टम से लैस एयरक्राफ्ट कैरियर के लिए फिट हैं। भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में एक नया विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और एक पुराना आईएनएस विक्रमादित्य है।

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