2 मुस्लिम देशों में महायुद्ध की आहट! आर्टिलरी के साथ यमन बॉर्डर पर बढ़ी सऊदी फौज, UAE ने भी निकाले हथियार

दुनिया में एक साथ खड़े दिखाई देते थे। जिनकी दोस्ती इन्हें खाड़ी में मजबूत बनाती लेकिन अब इन दो दोस्त मुल्कों के बीच खटास पैदा हो गई है जो खाड़ी के पावर बैलेंस को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में आखिरकार पक्के दोस्त समझे जाने वाले यूएई और सऊदी किस मुद्दे पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए।
रूस और यूक्रेन के मोर्चे पर अभी बारूद की बारिश थमी नहीं है। लगभग 4 साल से दोनों मुल्क जंग के मैदान में हैं। इसी बीच अब दो मुस्लिम देशों में ठनती दिख रही है। मैदान यमन का है लेकिन भिड़ रहे हैं यूएई और सऊदी अरब। सऊदी अरब और यूएई को अरब जगत में सबसे करीबी सहयोगी माना जाता था। जो अक्सर सभी विवादों को लेकर लगभग एक जैसी राय ही रखते थे। दुनिया में एक साथ खड़े दिखाई देते थे। जिनकी दोस्ती इन्हें खाड़ी में मजबूत बनाती लेकिन अब इन दो दोस्त मुल्कों के बीच खटास पैदा हो गई है जो खाड़ी के पावर बैलेंस को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में आखिरकार पक्के दोस्त समझे जाने वाले यूएई और सऊदी किस मुद्दे पर एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो गए। दोनों के बीच का तनाव क्यों युद्ध में तब्दील हो सकता है। आखिर क्यों और किस बात को लेकर दोनों मुस्लिम देश बाही चढ़ाए हुए हैं। ऐसा क्या हो गया कि बारूद बरसाने की नौबत आती दिख रही है?
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किस बात को लेकर आमने सामने आए दोनों मुस्लिम देश
यमन को लेकर सऊदी अरब यूएई के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। यूएई समर्थित सेना का दावा है कि दक्षिण यमन पर अब पूरी तरह से उसका कब्जा हो चुका है। इस दावे के बाद कयास लग रहे हैं कि जल्द ही अब एक नए देश का ऐलान हो सकता है। 1960 के बाद पहली बार यमन दो देशों में बढ़ सकता है। पिछले यूएई समर्थित सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल यानी एसटीसी के करीब 10,000 सैनिक तेल के भंडार वाले क्षेत्र हद्रा मौत गवर्नरेट में और बाद में ओमान की सीमा से लगे कम आबादी वाले माराह गवर्नरेट में घुस गए जो पहले उनके एक नियंत्रण में नहीं था। ऐसा पहली बार हुआ है जब एसटीसी ने दक्षिण यमन के उन सभी आठ गवर्नरेट्स पर कब्जे का दावा किया है जो 1960 के दशक में स्वतंत्र दक्षिण यमन का हिस्सा थे। इस घटना के बाद पूरी संभावना है कि बहुत जल्द दक्षिण यमन आजादी का ऐलान कर दे जो सऊदी अरब के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। जबकि यूएई के लिए बहुत बड़ी डिप्लोमेटिक जीत।
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दक्षिणी यमन को एक अलग देश बनाना चाहता है यूएई
सऊदी अरब के लिए यह घटना पैरों तले जमीन खिसकने जैसी है। सऊदी अरब ने अब दक्षिणी राजधानी अदन में प्रेसिडेंशियल पैलेस और एयरपोर्ट से भी अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब का दक्षिणी यमन में अपनी सेना को बुलाने का मतलब यह हुआ कि सऊदी ने यूएन से मान्यता प्राप्त यमन सरकार के अंदर जिन सेनाओं का समर्थन किया था, उन्हें कम से कम अब दक्षिणी यमन से खदेड़ दिया गया है। यूएई दक्षिणी यमन के सबसे मजबूत गुट एसटीसी का समर्थन करके दक्षिणी यमन को एक अलग देश बनाना चाहता है। इसलिए अब सऊदी अरब की बख्तरबंद सेना जिसमें टैंक और बख्तरबंद सैन्य वाहन शामिल हैं। यमन में दाखिल हो गई हैं। जिसके वीडियो भी सामने आए। सऊदी ने यह सेना यूएई समर्थित लड़ाकों और सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल यानी एसटीसी की तेजी से कब्जा अभियान को रोकने के लिए भेजी है।
ऑयल रिजर्व का खेल
यह पूरी लड़ाई यमन के जिस हिस्से में हो रही है वो तेल समृद्ध इलाका है। सऊदी और यूएई दोनों इस इलाके पर वर्चस्व चाहते हैं। इसीलिए दोनों अब एक दूसरे से भिड़ रहे हैं और आने वाले वक्त में यह जंग और ज्यादा खतरनाक हो सकती है। जिसका सीधा असर खाड़ी के दो सबसे असरदार देशों की दोस्ती पर पड़ना तय है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि आखिर यमन में सऊदी और यूएई आमने-सामने नजर क्यों आ रहे हैं। दरअसल हजरा मौत केवल एक प्रांत नहीं बल्कि यमन का सबसे बड़ा और सबसे संसाधन समृद्ध इलाका है। तेल, खनिज और 450 किमी लंबी समुद्री तट रेखा इसे दोनों खाड़ी देशों के लिए बेहद महत्वपूर्ण बनाती है। यूएई की रणनीति दक्षिण यमन को अलग राष्ट्र के रूप में पुन स्थापित कर उसे अपने प्रभाव क्षेत्र में बदलने की है।
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