THAAD, S-400, आकाश, किस देश के पास है सबसे अडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम, भारत इस मामले में कहां खड़ा है?

हमारी तरफ से इन मिसाइलों को रोकने के लिए स्पाइडर मिसाइल डिफेंस सिस्टम, आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम के अलावा एस 400 का सबसे बड़ा योगदान रहा। कुछ पर में ही उनके सारे अटैक को नाकाम कर दिया गया। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम कितना मज़बूत है, कैसे हमलों को नाकाम करता है। विश्व के प्रमुख और सबसे अडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम कौन कौन से हैं।
बीआर चोपड़ा के निर्देशन में बनी महाभारत का वो दृश्य जिसमें योद्धा अपना सधा हुआ बड़े से बड़ा अस्त्र छोड़ता था और सामने वाला योद्धा उसकी काट में अपना अस्त्र। दोनों आसमान में जाकर एक दूसरे से टकराते। ज्यादा मारक वाले अस्त्र सामने वाले के अस्त्र को नष्ट कर देता। भारत के पास भी ऐसा ही अचूक माना जाने वाला हथियार है जिसने दुश्मन के कई हमलों को नाकाम किया है। जब पाकिस्तान जैसा पड़ोसी देश हो तो तमाम तरह के अस्त्रों-शस्त्रों से लैस होने की तैयारी करना हालात की मजबूरी भी है और जरूरत में जरूरी भी। 9 मई की रात भारत की नई पीढ़ी के लिए शायद सबसे लंबी रात रही होगी। जो लोग जाग रहे थे वो वीर भारतीय सेना के शौर्य और पराक्रम को देख रहे थे और जो सो रहे थे। वो बस इसलिए आराम से सो पाए क्योंकि हमारी वीर सेना उनकी रक्षा के लिए हमेशा तैनात है। अचानक दे रात अपुष्ट स्रोतों से खबर आई की बार्डर से सटे इलाकों में पाकिस्तान ने ड्रोन और मिसाइल से हमला कर दिया। कई वीडियोज इंटरनेट पर वायरल हुए। पाकिस्तान का टारगेट मिलिट्री इंस्टालमेंट को डैमेज करना यानी सीधा हमारी फौज पर हमला। इसे ही शास्त्रों में विनाशकाले विपरीत बुद्धि कहा गया है। हमारी तरफ से इन मिसाइलों को रोकने के लिए स्पाइडर मिसाइल डिफेंस सिस्टम, आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम के अलावा एस 400 का सबसे बड़ा योगदान रहा। कुछ पर में ही उनके सारे अटैक को नाकाम कर दिया गया। ऐसे में आइए जानते हैं कि भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम कितना मज़बूत है, कैसे हमलों को नाकाम करता है। विश्व के प्रमुख और सबसे अडवांस्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम कौन कौन से हैं।
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कैसे काम करता है एयर डिफेंस सिस्टम
वायु रक्षा प्रणाली का प्राथमिक उद्देश्य आसमान से खतरों को खत्म करना है। चाहे वह दुश्मन के लड़ाकू विमान हों, मानव रहित ड्रोन हों या मिसाइलें। यह रडार, नियंत्रण केंद्रों, रक्षात्मक लड़ाकू विमानों और जमीन पर आधारित वायु रक्षा मिसाइल, तोपखाने और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों की एक जटिल प्रणाली की मदद से किया जाता है। एक वायु रक्षा प्रणाली को तीन परस्पर जुड़े संचालनों में उप-वर्गीकृत किया जा सकता है। वायु रक्षा प्रणाली की दक्षता हवाई खतरे को लगातार और सटीक रूप से ट्रैक करने की इसकी क्षमता से भी निर्धारित होती है और केवल पता लगाने से नहीं। यह आमतौर पर रडार और अन्य सेंसर जैसे कि इन्फ्रारेड कैमरा या लेजर रेंजफाइंडर के संयोजन का उपयोग करके किया जाता है। अधिकतर मामलों में एक वायु रक्षा प्रणाली केवल एक ही खतरे से नहीं निपटती है - इसे जटिल और अव्यवस्थित वातावरण में कई, तेज़ गति से आगे बढ़ने वाले खतरों की पहचान और ट्रैक करना होता है, जिसमें मित्रवत विमान भी शामिल हो सकते हैं। ट्रैकिंग की सटीकता झूठे खतरों को लक्षित किए बिना दुश्मन को प्रभावी ढंग से बेअसर करने के लिए महत्वपूर्ण है।
लॉन्ग रेंज इंटरसेप्टर (S-400)
भारत ने पहली बार एस 400 का इस्तेमाल करके दुश्मन को बता दिया है कि हमसे लड़ोगे तो चकनाचूर हो जाओगे। एस 400 की ताकत इतनी ज्यादा है कि वो 600 किलोमीटर की दूरी से ही टारगेट को पहचान लेता है। एक साथ 100 से 300 टारगेट को ट्रैक करता है। एस 400 फिट मिसाइलें एक साथ तीन दिशाओं में मिसाइल दाग कर दुश्मन को धूल चटाता है। ये हवा में उड़ते 36 टारगेट को एक साथ निशाना बनाता है। ये सिस्टम मिसाइल से लेकर ड्रोन तक के हमलों को नाकाम कर सकता है। अगर खतरा दूर से ही पकड़ में आ गया तो लॉन्ग रेंज में ही उसे खत्म करने के लिए लॉन्ग रेंज वेपन सिस्टम का इस्तेमाल होता है। फाइटर जेट आ रहा है तो उसे हमारा फाइटर जेट इंगेज कर मार गिराने की कोशिश करेगा। लॉन्ग रेंज में दुश्मन के हमले को फेल करने के लिए भारत के पास S-400 सिस्टम है।
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एस-400 कैसे काम करता है
ट्रांसपोर्ट इरेक्टर लॉन्चरः गाइडेंस रेडार मिसाइल को टारगेट के लिए गाइड करता है।
सर्विलांस रडारः सर्विलांस रेडार ऑब्जेक्ट को ट्रैक कर कमांड वीइकल को निर्देश देता है।
कमांड और कंट्रोल वीइकलः कमांड वीइकल ऑब्जेक्ट की लोकेशन पता कर मिसाइल लॉन्च का निर्देश देता है।
गाइडेंस रडारः टारगेट के पास वाला लॉन्च वीइकल मिसाइल लॉन्च करता है।
मीडियम रेंज इंटरसेप्टर (MRSAM)
अगर एरियल खतरा ज्यादा आगे आ गया तो मीडियम रेंज में इंटरसेप्शन के लिए भारत के पास मिडियम रेंज सर्फेस टु एयर मिसाइल (MRSAM) भी है। बराक मिसाइल दुश्मन की तरफ से आ रहे खतरे को 70 किलोमीटर रेंज तक तबाह कर सकती है।
शार्ट रेंज इंटरसेप्टर (आकाश)
अगर खतरा इन दो लेयर से आगे आ गया तो उससे निपटने के लिए आकाश एयर डिफेंस सिस्टम है। यह स्वदेशी सिस्टम है। इसकी एक यूनिट चार एरियल टारगेट को एक साथ नष्ट कर सकती है। ये सटीक निशाना लगाता है। साथ ही, इसे तेजी से कहीं भी तैनात किया जा सकता है। ये दुश्मन की मिसाइल, फाइटर जेट और ड्रोन को नष्ट करने में सक्षम है। साथ ही SPYDER है। ये सर्फेस टु एयर मिसाइल सिस्टम है, जो कम ऊंचाई पर उड़ रहे खतरे को नष्ट कर सकता है।
क्लोज रेंज इंटरसेप्शन (इग्ला-एस)
अगर खतरा बहुत ही पास आ गया तो इसे नष्ट करने के लिए इग्ला-एस मैनपोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) भी है। ये भी फाइटर जेट, ड्रोन और हेलिकॉप्टर को नष्ट करने में सक्षम ।
विश्व के प्रमुख और सबसे अडवांस्ड मिसाइल डिफेंस
भारत के डिफेंस सिस्टम ने जिस तरह से पड़ोसी देश के हमलों का करारा जवाब दिया, उससे यह बात सामने आई है कि आखिर किन-किन देशों के पास किस तरह के डिफेंस सिस्टम हैं।
अमेरिका THAAD - टर्मिनल हाई अल्टीट्यूड एरिया डिफेंस
शॉर्ट, मीडियम और इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा करता है। दक्षिण कोरिया, यूएई, गुआम में इसकी तैनाती की गई है।
इजरायल की डेविड्स स्लिंग और एरो प्रणाली
मध्यम दूरी की क्रूज मिसाइलों को रोकने के लिए इसे जाना जाता है। एरो-2 और एरो-3: लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों के लिए, एरो-3 अंतरिक्ष में भी इंटरसेप्ट कर सकती है। अमेरिका और इस्राइल की साझेदारी में इसे डेवलप किया गया।
इजरायल की आयरन डोम
कम दूरी की रॉकेट और तोपों से रक्षा करना मकसद है। 90% से अधिक सफलता दर, वास्तविक समय में निशाना साधने की क्षमता है। आतंकवादी हमलों के खिलाफ सबसे अधिक सफल प्रणाली माना जाता है।
चीन की HQ-19 बौर HQ-22 सिस्टम
THAAD के समान, बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए इसके इस्तेमाल किया जाता है।
अमेरिका की ग्राउंड-बेस्ड मिडकोर्स डिफेंस (GMD)
अमेरिका की मुख्य भूमि की रक्षा इसका मकसग है। इसकी अलास्का और कैलिफॉर्निया में इंटरसेप्टर मिसाइलें।
अमेरिका की एजिस कॉम्बैट प्रणाली
जहाज आधारित प्रणाली युद्धपोतों से बैलिस्टिक मिसाइलों को मिड-कोर्स में मार गिराने की क्षमता है। अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे देश इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
रूस की S-400 ट्रायम्फ प्रणाली
हवाई जहाज, ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराना इसका मकसद है। इसकी रेंज लगभग 400 किमी है। खरीदार देशों में भारत, चीन, तुर्की शामिल हैं।
रूस की S-500 प्रोमेतेई
ICBM, हाइपरसोनिक मिसाइलों और उपग्रहों को भी निशाना बना सकती है। इसको लेकर दावा है कि ये अंतरिक्ष के पास तक मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकती है।
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