हिमालय क्षेत्र में मंडराता बड़े भूकंप का खतरा, समस्या के बजाए समाधान पर ध्यान, बचाव के लिए क्यों दिया जाता है जापान का उदाहरण?

earthquake
creative common
अभिनय आकाश । Nov 11 2022 6:27PM

उत्तराखंड के वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के इलाकों में बड़ा भूकंप आने की प्रबल संभावना है। यह 7 की तेजी का हो सकता है। हालांकि इसका पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे में डरने के बजाय इसका सामना करने के लिए पुख्ता तैयारियों पर जोर दिया जाना चाहिए।

प्रलय का मंजर कैसा होगा? हमारे पुरखों ने अलग-अलग वर्णन किए और हमने अलग-अलग नजरों से दृश्यों को देखा। 26 दिसंबर 2004 भारत की राजधानी दिल्ली से 6,890 किलोमीटर की दूरी पर हिंद महासागर का एरिया। सुबह के 8:50 मिनच हुए थे। वो एक आम सुबह थी और सबकुछ अपनी सामान्य गति से चल रहा था। अचानक से इसमें हड़बड़ी आ गई। धरती की सतह के भीतर हलचल होने लगी थी। मानो कुछ अंदर ही अंदर उबल रहा हो। ये उबाल फटा और धरती की सतह दरारों में बंटने लगी। ये भूकंप था। रिक्टर स्केल पर 9.3 की तीव्रता। इससे उठी सुनामी लहरों ने भारत, श्रीलंका, थाइलैंड और इंडोनेशिया में जान माल को काफी नुकसान पहुंचाया। ढाई लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली। 17 लाख लोग विस्थापित भी हुए। इस घटना का जिक्र 18 साल बाद क्यों कर रहे हैं? दरअसल, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है बड़े इलाके पर असर डाल सकता है। वैसी स्थिति में जान-माल का नुकसान न्यूनतम करने के लिए पहले से बेहतर तैयारी जरूरी है।

इसे भी पढ़ें: नेपाल में दो दिन के भीतर दूसरा भूकंप, रिक्टर स्केल पर 4.1 की तीव्रता

नेपाल में 8 नवंबर की देर रात 1:57 बजे आए भूकंप से पूरा उत्तर भारत कांप गया। ताकतवर भूकंप ने इस हिमालयी देश को दहला दिया। इसकी तेजी से समूचा उत्तर भारत कांप उठा। यूपी, उत्तराखंड, बिहार ही नहीं, दिल्ली- एनसीआर और राजस्थान तक में लोगों ने झटके महसूस किए। भूकंप की तीव्रता 6.6 आंकी गई। इसका केंद्र पश्चिमी नेपाल में डोटी जिले में था। वहां 6 लोगों की मौत हुई। तीन लोग लापता हैं। सेना को तलाश में लगाया गया है। भूकंप से 8 घर पूरी तरह ढह गए। नेपाल में इस साल कुल मिलाकर 28 भूकंप आए हैं। जिनमें ये भूकंप रिक्टर पैमाने पर सबसे ज्यादा तीव्रता थी। जबकि इस बार आए भूंकप का केंद्र जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। चीन की धरती भी भूकंप की वजह से हिली।

हिमालयी क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका

उत्तराखंड के वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि हिमालय के इलाकों में बड़ा भूकंप आने की प्रबल संभावना है। यह 7 की तेजी का हो सकता है। हालांकि इसका पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। ऐसे में डरने के बजाय इसका सामना करने के लिए पुख्ता तैयारियों पर जोर दिया जाना चाहिए। वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजिस्ट अजय पॉल ने बताया भारतीय प्लेट पर यूरेशियन प्लेट के लगातार दबाव के कारण इसके नीचे जमा होने वाली ऊर्जा समय समय पर भूकंप के रूप में बाहर निकलती रहती है। हिमालय के नीचे ऊर्जा के संचय की वजह से भूकंप आना एक सामान्य और निरंतर प्रक्रिया है। लेकिन कभी भी एक बड़े भूकंप की प्रबल आशंका हमेशा बनी हुई है। उनके मुताबिक भविष्य में आने वाले भूकंप की तीव्रता रिएक्टर पैमाने पर सात या उससे अधिक हो सकती है। लेकिन फिलहाल ये बताना संभव नहीं है कि वैसे भूकंप कब आएगा। 

इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi NewsRoom: 6.6 तीव्रता वाले Earthquake से Nepal में 6 मरे, उत्तर भारत में भी झटकों से दहशत

 भूकंप आने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता 

वैज्ञानिकों का मानना है कि डिस्टॉर्शन एनर्जी यानी विरूपण ऊर्जा के बाहर निकलने या भूकंप आने का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इसका किसी को नहीं पता कि कब होगा। ये अगले क्षण भी हो सकता है और एक महीने बाद भी हो सकता है। हिमालय क्षेत्र में पिछले 150 सालों में चार बड़े भूकंप दर्ज किए गए जिनमें 1897 में शिलांग, 1905 में कांगडा। 1934 में बिहार-नेपाल और 1950 में असम का भूकंप शामिल है। हालांकि वैज्ञानिकों ने साफ कहा है कि इन जानकारियों से भी भूकंप की आवृत्ति के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि 1991 में उत्तरकाशी और 1999 में चमोली के बाद 2015 में नेपाल में भूकंप आए।  

कितने तैयार हम?

वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर भूकंप से बचाव को लेकर ठोस रणनीति बनाई जाए तो इसके असर को कम किया जा सकता है। यानी जानमान के नुकसान पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। निर्माण कार्य को भूकंप रोधी बनाया जाए। भूकंप आने के वक्त और भूकंप के बाद कैसी तैयारी करें इस बारे में लोगों को जागरूक किया जा सकता है। इसके अलावा साल में एक बार मॉक ड्रिल का आयोजन किया जा सकता है। अगर इन बातों को अमल में लाया जाता है तो वैज्ञानिकों के अनुसार करीब 99.99 प्रतिशत तक भूकंप से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। 

इसे भी पढ़ें: 6.6 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से हिला नेपाल, छह लोगों की मौत

जापान की भूकंपरोधी इमारतें

विशेषज्ञों की तरफ से इस मामले में जापान की मिसाइ दी जाती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बेहतर तैयारियों की वजह से लगातार मध्यम तीव्रता के भूकंप की चपेट में आने के बावजूद वहां जान-माल का ज्यादा नुकसान नहीं होता है। जापान ने 1995 में कोबे में आए भूकम्प से सीख ली थी। उसके बाद तो यह देश भूकम्प रोधी नए ढाचों को खड़ा करने तथा पुराने ढाचों को उसी अनुरूप तरोताजा करने के मामले में एक वैश्विक अगुआ बन गया। जापानी लोग भूकम्पीय प्रौद्योगिकी में सबसे आगे हैं। वहां सभी आधुनिक ढाचे भूकम्प को ध्यान में रख कर तैयार किए गए हैं। 

 भारत में आए विनाशकारी जलजले

15 जनवरी 1934 - बिहार, नेपाल

15 जनवरी 1934 को रात 2 बजकर 13 मिनट पर में 8.7 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें 30, 000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी । इस भूकंप को भयंकर भूकंप की श्रेणी में रखा जाता है। बिहार और भारत तो दूर, विश्व इतिहास में भी ऐसी तीव्रता वाले भूकंप कम ही रिकॉर्ड किये गये हैं।

15 अगस्त 1950 - असम

देश आजाद हुए तीन की साल बीते थे कि जश्न-ए-आजादी के दिन इस बड़े भूचाल की वजह से धरती डोल गई। 15 अगस्त 1950 में उत्तर-पूर्वी राज्य असम में भयानक भूकंप आया। इस भूचाल के बारे में कहा जाता है कि जलजला इतना तेज़ था कि सेस्मोग्राफ़ की सुईयां टूट गईं लेकिन सरकारी तौर पर रिक्टर स्केल पर इसे 9.0 तीव्रता का बताया गया।

26 दिसंबर 2004 - हिंद महासागर

26 दिसंबर 2004 में सुबह 8:50 बजे दुनिया के सामने इस विनाशकारी भूकंप ने तांडव मचाया। भूकंप ने 23,000 परमाणु बमों के बराबर ऊर्जा निकाली। इससे उठी सुनामी लहरों ने भारत, श्रीलंका, थाइलैंड और इंडोनेशिया में जान माल को काफी नुकसान पहुंचाया। हिंद महासागर में 9.3 तीव्रता वाले भूकंप ने ढाई लाख से ज्यादा लोगों की जान ले ली। 17 लाख लोग विस्थापित भी हुए।

26 जनवरी 2001 - गुजरात

वर्ष 2001 में आया ये भूकंप कौन भूल सकता है। इस शक्तिशाली भूकंप ने भारी तबाई मचाई। मीडिया रिपोर्ट बताती है इस विनाशीकारी जलजले ने भयंकर तबाही मचा दी थी। इसमें कम से कम तीस हज़ार लोग मारे गए और तकरीबन 10 लाख लोग बेघर हो गए। भुज और अहमदाबाद पर भूकंप का सबसे अधिक असर पड़ा।

8 अक्टूबर 2005 - कश्मीर

8 अक्टूबर 2005 को 7.6 के तीव्रता वाले इस विनाशकारी भूकंप ने जमकर उत्पात मचाया। सुबह सुबह आए इस भूकंप के झटके भारत, अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान और चीन तक महसूस किए गए। भूकंप से कम से कम 88 हजार लोगों की जान चली गई। सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान में हुआ वहां करीब 87 हजार लोगों की मौत हुई। भारत में 1,350 लोग मारे गए।

 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़