गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल क्या है? भारत पर इसके प्रभावों के बारे में जानें

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अभिनय आकाश । Dec 21 2021 6:15PM

गोल्डन ट्रायंगल और गोल्डन क्रिसेंट ड्रग्स सप्लाई का सबसे बड़ा स्त्रोत माना जाता है। उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी दो मोर्चों से अवैध दवाओं के प्रवाह से राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन होता है जो अब देश की सबसे बड़ी चिंता का विषय भी बन गया है।

आपने गोल्डन ट्रायंगल या गोल्डन क्रिसेंट के बारे में सुना है? जब आप रेव के बारे में सुनते हैं, आपके दिमाग में सबसे पहली बात क्या आती है? जाहिर है ड्रग्स, अवैध ड्रग्स। दरअसल, गोल्डन ट्रायंगल और गोल्डन क्रिसेंट ड्रग्स सप्लाई का सबसे बड़ा स्त्रोत माना जाता है। उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी दो मोर्चों से अवैध दवाओं के प्रवाह से राष्ट्रीय सुरक्षा का उल्लंघन होता है जो अब देश की सबसे बड़ी चिंता का विषय भी बन गया है। आज हम इसकी बात क्यों कर रहे हैं? भारत विश्व के दो प्रमुख अवैध ड्रग्स उत्पादन क्षेत्रों पश्चिम में गोल्डन क्रीसेंट (ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान) और पूर्व में गोल्डन ट्रायंगल (दक्षिण-पूर्व एशिया) के मध्य स्थित है।

क्या है गोल्डन ट्रायएंगल

ये वो इलाका है, जहां थाइलैंड, लाओस और म्यांमार की सीमाएं रुआक और मेकांग नदी के संगम पर मिलती हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने इसे भौगोलिक स्थिति के आधार पर गोल्डन ट्रायएंगल नाम दिया। ये इलाका लगभग 950,000 स्क्वायर किलोमीटर में फैला हुआ है, जहां अवैध ड्रग्स का बड़ा कारोबार है। म्यांमार दुनिया की 80% हेरोइन का उत्पादन करता है। उत्पादन के बाद हेरोइन की तस्करी लाओस, वियतनाम, थाईलैंड और भारत के रास्ते अमेरिका, ब्रिटेन और चीन में की जाती है।

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गोल्डन क्रिसेंट

दक्षिण एशिया का यह क्षेत्र अफीम उत्पादन और वितरण के लिए एक प्रमुख वैश्विक स्थल है। ये ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान के इलाके हैं। ये सारे ही देश ड्रग्स की तस्करी के जाने जाते हैं और भारत इनके बीच फंसा हुआ है। क्षेत्र से प्रभावित भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात हैं। भारत-पाकिस्तान सीमा से इन राज्यों की निकटता ने उन्हें हशीश और हेरोइन के संभावित बाजार और आपूर्ति श्रृंखला उत्प्रेरक बना दिया है। 

2021 में हालात और बदतर हो गए

म्यांमार और अफगानिस्तान के लिए ये साल काफी भयावह भरी रही। तालिबान ने काबुल पर कब्जा किया वहीं सेना ने म्यांमार की सत्ता संभाल ली। परिणाम किसी को भी ड्रग्स की परवाह नहीं है। तालिबान अफगान अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने में लगा है। जबकि म्यंमार सैन्य शासन आंदलन को कुचलने में लगा है। ऐसे में ड्रग्स माफियाओं के लिए दोनों देशों में रास्ता बिल्कुल साफ है। हर निर्माता को एक बिचौलिए की जरूरत होती है। अफगानिस्तान के लिए वो बिचौलिया पाकिस्तान है। 

भारत में भी दिखने लगा असर

मार्च 2021 श्रीलंकाई नौसेना ने 2321 मिलियन रुपए से अधिक मूल्य की 290 किलोग्राम से अधिक हेरोइन जब्त की। श्रीलंकाई नौसेना ने 1 सितंबर को माले के तट से दूर समुद्र में एक ट्रॉलर से 336 किलोग्राम हेरोइन जब्त की। इसी महीने में भारत के गुजरात में कच्छ के मुंद्रा पोर्ट पर हेरोइन की सबसे बड़ी खेप पकड़ी गई है, दो कंटेनर्स से करीब 3000 किलो हेरोइन जब्त की गई है, जिसकी कीमत करीब 9000 करोड़ रुपये बताई गई। यहां बात हजारों करोड़ रूपये की हो रही है। ऐसे में ये पैसे कहां जाते हैं? ड्रग माफिया से लेकर चरमपंथी समूह तक। तालिबान ने अफीम की खेती पर रोक तो लगा रखी है लेकिन इसे रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं। अफगानिस्तान में किसानों का कहना है कि वे अफीम पोस्त उगाना जारी रखेंगे क्योंकि तालिबान ने अफीम की खेती को खत्म करने की दिशा में कोई स्पष्ट रुख नहीं दिखाया है। अफगानी किसानों का कहना है कि अफीम की खेती उनके परिवारों के जिंदा रहने के लिए जरूरी है। ऐसा ही कुछ मिलता-जुलता वाक्या म्यांमार के साथ भी घटता प्रतीत हो रहा है। सैन्य शासन वहां प्रतिबंधों लगाने और लोकतंत्र को कुचलने में व्यस्त है। इसलिए ड्रग्स इन देशों की प्राथमिकता सूची में नहीं है। लेकिन म्यांमार के पड़ोसी देश इस तरह आंखें बंद करके चीजों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। म्यांमार में उत्पादित ड्रग्स वहां ही नहीं रहते।  मलेशिया ने इस साल 180 मिलियन डॉलर के ड्रग्स जब्त किए। जो पिछले साल के मुकाबले 150 प्रतिशत की वृद्धि है। लाओस में ये वृद्धि छह गुणा अधिक दर्ज की गई है। वहीं ड्रग्स की तस्करी का भारत पर भी काफी प्रबाव देखने को मिल रहा है। गुजरात आतंकवाद विरोधी दस्ते (एटीएस) और भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) के एक संयुक्त अभियान में कराची से छह चालक दल के सदस्यों के साथ एक पाकिस्तानी मछली पकड़ने वाली नाव 77 किलोग्राम हेरोइन ले जा रही थी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिसकी कीमत 385 से 400 करोड़ रुपये के करीब बताई जा रही है।

पाकिस्तान की नापाक करतूत

भारत में विगत एक दशक के दौरान ड्रग्स की उपलब्धता बढ़ गई है। यह लोगों को पहले के मुकाबले अब ज्यादा आसानी से उपलब्ध हो रहा है। देश में ड्रग्स की खेप ज्यादातर पाकिस्तान से आ रही है। हाल ही में आई ईयूरिपोर्टर की रिपोर्ट में कहा गया है कि सीमा पार नशीले पदार्थो का लेन-देन होता है और फिर घुसपैठ कराकर इसे भारत भेजा जाता है। यही नहीं, नेपाल और अफगानिस्तान के रास्ते भी ड्रग्स की आपूर्ति हो रही है।  

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क्या है ड्रग सप्लाई का रास्ता

अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम और नागालैंड की सीमाएं म्यांमार से जुड़ूी हुई हैं। इसी सीमा से म्यांमार अफीम, हेरोईन और एमडीएमए (मिथाइलीनडाइऑक्सी मेथाम्फेटामाइन) जैसे घातक ड्रग्स की अवैध सप्लाई करता है, जो यहां से होते हुए देश के महानगरों तक पहुंच रहा है। इसी तरह से भारत में भी जो ड्रग्स हैं, उनकी तस्करी दूसरे देशों को इसी रूट के जरिए होती है।

ये राज्य चपेट में

इस ड्रग सप्लाई रूट को विस्तार से देखें तो पाएंगे कि म्यांमार के भामो, लेसिओ और मंडाली से होते हुए नशा भारत के मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड आता है। ये रास्ते आगे चलकर दो भागों में बंट जाते हैं, जहां से वे दूसरे इलाकों तक पहुंचते जाते हैं। कुल मिलाकर ड्रग तस्करों के लिए भारत का नॉर्थ-ईस्ट स्वर्ग बना हुआ है। यहां तक कि असम का गुवाहाटी भी तस्करों की चपेट में आ चुका है।

अफगानिस्तान से ड्रग्स सप्लाई रूट

अफगानिस्तान में 80 प्रतिशत अफीम दक्षिण और दक्षिण पूर्वी सीमांत प्रांतों में होती है। दुनियाभर में इस इलाके से तीन चौथाई हेरोइन जाती है। रूस में 100 प्रतिशत और यूरोप में 65-70 प्रतिशत हेरोइन यहीं से जाती है। हेरोइन अफगानिस्तान से पाकिस्तान के रास्ते मोजाम्बिक जाती है। मोजाम्बिक से हेरोइन द अफ्रीका और वहां द भारत पहुंचती है। द भारत से हेरोइन का एक रास्ता ऑस्ट्रेलिया तक जाता है। द भारत के तटीय इलाकों से हेरोइन दिल्ली और फिर यहां से नेपाल जाती है।  

 -अभिनय आकाश

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