International Criminal Court क्या है, रूस इसके ज्यूरिसडिक्शन में आता है? अरेस्ट वॉरंट का पुतिन के लिए क्या मतलब है, आइए समझते हैं

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Mar 21 2023 4:14PM

आईसीसी की वेबसाइट पर एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पुतिन के अलावा रूस के बाल अधिकार आयुक्त मारिया लावोवा-बेलोवा के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।

अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने 17 मार्च को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ यूक्रेन के कब्जे वाले क्षेत्रों से बच्चों को अवैध रूप से निर्वासित करने और रूसी संघ में स्थानांतरित करने के कथित युद्ध अपराध के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किया। अपराध 24 फरवरी, 2022 से कब्जे वाले क्षेत्र में कथित रूप से किए गए थे। आईसीसी की वेबसाइट पर एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि पुतिन के अलावा रूस के बाल अधिकार आयुक्त मारिया लावोवा-बेलोवा के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया।

गिरफ्तारी वारंट क्यों जारी किए जा रहे हैं? 

पुतिन और बेलोवा कथित तौर पर अनुच्छेद 8(2)(ए)(vii) और 8(2)(बी)(viii) के तहत यूक्रेन के रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों से बच्चों के अवैध निर्वासन और बच्चों को रूसी संघ में स्थानांतरित करने के रोम संविधि के युद्ध अपराध के लिए जिम्मेदार बताए गए हैं। आरोप में कहा गया है कि यूक्रेन के तमाम बच्चों और किशोरों को रूस ले जाने के मामले में मारिया का सीधा हाथ है। आईसीसी ने कहा कि उसके पास यह विश्वास करने के लिए उचित आधार हैं कि पुतिन रोम के अनुच्छेद 25(3)(ए) के तहत (i) सीधे दूसरों के साथ संयुक्त रूप से और/या दूसरों के माध्यम से किए गए अपराधों के लिए व्यक्तिगत आपराधिक जिम्मेदारी वहन करते हैं। क़ानून (ii) रोम संविधि के अनुच्छेद 28 (बी) के अनुसार, अपने प्रभावी अधिकार के तहत नागरिक और सैन्य अधीनस्थों पर ठीक से नियंत्रण करने में उनकी विफलता, इस तरह के कृत्यों को करने या करने की अनुमति देता है।

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आईसीसी क्या है?

आईसीसी का मुख्यालय नीदरलैंड के द हेग में है। इसकी स्थापना 1998 में "रोम संविधि" नामक एक संधि के तहत की गई थी। यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता के सबसे गंभीर अपराधों के आरोप में व्यक्तियों की जांच करता है और नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और आक्रामकता का अपराध की बात होती है वहां जरूरत पड़ने पर वारंट भी जारी किया जाता है। वर्तमान में ब्रिटेन, जापान, अफगानिस्तान और जर्मनी सहित 123 देश रोम संविधि के पक्षकार हैं। हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका ने यह कहते हुए अपनी दूरी बनाए रखी है कि आईसीसी को उन देशों के नागरिकों पर अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं करना चाहिए जो इसके पक्षकार नहीं हैं। इसी तरह, भारत और चीन ने भी सदस्यता से परहेज किया है। आईसीसी की स्थापना सबसे जघन्य अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए तभी की गई थी जब देश की अपनी कानूनी मशीनरी कार्य करने में विफल रही, जैसा कि पूर्व यूगोस्लाविया और रवांडा में हुआ था। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के विपरीत, जो देशों और अंतर-राज्यीय विवादों से निपटता है, आईसीसी व्यक्तियों पर मुकदमा चलाता है। हालाँकि, आईसीसी का अधिकार क्षेत्र 1 जुलाई, 2002 को लागू होने के बाद होने वाले अपराधों तक सीमित है। इसके अतिरिक्त, अपराध या तो उस देश में किए जाने चाहिए जिसने समझौते की पुष्टि की हो या अनुसमर्थन करने वाले देश के किसी नागरिक द्वारा। आईसीसी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा इसे संदर्भित मामलों पर भी अपने अधिकार क्षेत्र का अभ्यास कर सकता है।

क्या आईसीसी के पास रूस पर मुकदमा चलाने की शक्ति है?

यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा कि इस कदम से "ऐतिहासिक जवाबदेही" पैदा होगी। जबकि क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने इसे "अपमानजनक और अस्वीकार्य" बताया। उन्होंने यह भी कहा कि रूस के आईसीसी सदस्य नहीं होने के कारण अदालत का कोई भी निर्णय अमान्य है। हालाँकि, यह कदम एक ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है जहाँ पुतिन को हर बार यात्रा करने पर गिरफ्तारी का जोखिम उठाना पड़ सकता है। द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, यह कदम पश्चिम में मौजूदा प्रतिबंधों के साथ उनके मतभेदों को और गहरा करेगा। इसके अलावा, यदि वो आईसीसी के किसी देश की यात्रा करते है, तो उस देश को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों के अनुसार उन्हें गिरफ्तार करना पड़ सकता है। इसके अलावा, यह पहली बार है कि आईसीसी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में से एक के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। नवंबर 2022 में आईसीसी के एक अभियोजक ने युगांडा के उग्रवादी और लॉर्ड्स रेजिस्टेंस आर्मी के संस्थापक जोसेफ कोनी के खिलाफ युद्ध अपराधों के आरोपों के साथ आगे बढ़ने की मांग की थी। कोनी अपहृत बच्चों को सैनिकों में बदलने और हत्या, क्रूर व्यवहार, गुलामी, बलात्कार और अपहरण के आरोपी होने के बावजूद अभी भी भगोड़ा घोषित है और आज़ाद है।

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क्या आईसीसी के अधिकार क्षेत्र में यूक्रेन आता है?

आईसीसी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यूक्रेन ने रोम संविधि पर दस्तखत नहीं किए हैं। जिसके जरिए आईसीसी बनाया गया था। लेकिन जब 2014 में रूस ने क्रीमिया पर हमला किया था तो उस मामले में यूक्रेन ने आईसीसी का ज्यूरिडिक्शन स्वीकार किया था। इसका मतलब ये है कि मेंबर नहीं होने पर भी यूक्रेन के इलाके में हुआ वॉर क्राइम आईसीसी के न्याय क्षेत्र में माना जा सकता है। अनुच्छेद 12(3) में कहा गया है कि यदि किसी ऐसे राज्य की स्वीकृति की आवश्यकता है जो क़ानून का पक्षकार नहीं है, तो राज्य संबंधित अपराध के लिए न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार कर सकता है। बच्चों के निर्वासन सहित कथित अपराधों का विस्तृत विवरण "यूक्रेन पर स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांच आयोग" की एक रिपोर्ट में दिया गया है, जो एक संयुक्त राष्ट्र-शासित खोजी निकाय है, जिसमें कहा गया है कि कुछ कार्य मानवता के खिलाफ अपराध हो सकते हैं।

यूक्रेन पर स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांच आयोग की रिपोर्ट क्या है?

 संयुक्त राष्ट्र समर्थित जांच की एक रिपोर्ट में रूस पर यूक्रेन में नागरिकों के खिलाफ हमले कर अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में सुनियोजित तरीके से लोगों को यातना देकर और उनकी जान लेकर युद्ध अपराध करने, संभवतः मानवता के खिलाफ अपराध करने के आरोप लगाए गए हैं। यह रिपोर्ट 16 मार्च को जारी की गई। पिछले साल 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर हमले शुरू किए थे। यूक्रेन के मारियुपोल शहर में एक थिएटर पर रूसी हवाई हमले के एक साल बाद जारी संयुक्त राष्ट्र समर्थित जांच रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक सदस्य (रूस) की घोर आलोचना की गई है। मारियुपोल के जिस थिएटर पर रूस ने हवाई हमले किए थे, वहां बड़ी संख्या में लोगों ने शरण ले रखी थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन में बार-बार बुनियादी अवसंरचनाओं को निशाना बनाया गया, जिससे हजारों की संख्या में लोगों को कड़ाके की सर्दी में बिजली और किसी भी तरह की ऊष्मा के बिना रहना पड़ा। इसमें कहा गया है कि यूक्रेन के जिन हिस्सों पर रूसी बलों ने कब्जा किया, वहां के लोगों को सुनियोजित तरीके से प्रताड़ित किया गया और उन्हें मार डाला गया।  रिपोर्ट के अनुसार, जांच में यह भी पाया गया कि रूसी भूभाग में रह रहे यूक्रेनी नागरिकों के खिलाफ अपराध किए गए। इनमें यूक्रेनी बच्चों को उनके परिवारों से अलग कर देना शामिल है। इसके अलावा, एक ‘‘फिल्ट्रेशन सिस्टम’’ बनाया गया, जिसका उद्देश्य यूक्रेनी नागिरकों को अमानवीय परिस्थितियों में हिरासत में रखना और उन्हें प्रताड़ना देना था।

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