SDG इंडेक्स क्या है, नीति आयोग कैसे और किन पैमानों पर तय करता है राज्यों की रैंकिंग?

SDG index 2021
अभिनय आकाश । Jun 7 2021 7:22PM

Sustainable Development Goals नाम की इस रिपोर्ट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थित पर प्रदर्शन का आकलन किया जाता है। इस बार की रिपोर्ट में केरल टॉप स्थान पर रहा। जबकि बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। झारखंड की स्थिति भी अच्छी नहीं है पर वो बिहार से ऊपर है।

नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्य इंडेक्स का तीसरा संस्करण जारी कर दिया। इसमें साल 2020-21 के लिए सतत विकास लक्ष्य के मोर्चे पर राज्य सरकारों के प्रदर्शन और उनकी ताजा रैकिंग में केरल ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है, तो बिहार ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है। उसके बाद झारखंड का नंबर आता है। एसडीजी की ताजा रैकिंग आने के बाद जेडीयू ने चुप्पी साध ली है तो बीजेपी सफाई दे रही है। वहीं विपक्ष ताजा आंकड़ों को लेकर हमलावर है। 

नीति आयोग की रिपोर्ट में क्या?

Sustainable Development Goals नाम की इस रिपोर्ट में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थित पर प्रदर्शन का आकलन किया जाता है। इस बार की रिपोर्ट में केरल टॉप स्थान पर रहा। जबकि बिहार का प्रदर्शन सबसे खराब रहा। झारखंड की स्थिति भी अच्छी नहीं है पर वो बिहार से ऊपर है। इस बार इस रिपोर्ट में 17 लक्ष्यों पर 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रदर्शन का आकलन किया गया है। केरल 2019 की रैकिंग में भी पहले स्थान पर रहा था। देश के स्तर पर एसडीजी स्कोर 2020-21 में छह अंकों के सुधार के साथ 60 से बढ़कर 66 अंक रहा है। 

17 लक्ष्य इस प्रकार हैं

  • गरीबी की पूर्णतः समाप्ति
  • भुखमरी की समाप्ति
  • अच्छा स्वास्थ्य और जीवनस्तर
  • गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
  • लैंगिक समानता
  • साफ पानी और स्वच्छता
  • सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा
  • अच्छा काम और आर्थिक विकास
  • उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा का विकास
  • असमानता में कमी
  • टिकाऊ शहरी और सामुदायिक विकास
  • जिम्मेदारी के साथ उपभोग और उत्पाद
  • जलवायु परिवर्तन
  • पानी में जीवन
  • भूमि पर जीवन
  • शांति और न्याय के लिए संस्थान
  • लक्ष्य प्राप्ति में सामूहिक साझेदार  

टॉप 5 राज्य

केरल- 75

हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु- 74

आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड- 72

सिक्कम- 71

महाराष्ट्र- 70

नीचले स्तर वाले 5 राज्य

छत्तीसगढ़, नागालैंड, ओडिशा- 61

अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, राजस्थान, उत्तर प्रदेश- 60

असम- 57

झारखंड- 56

बिहार- 52

केरल 75 अंकों के साथ शीर्ष, बिहार सबसे नीचे

रिपोर्ट के अनुसार केरल ने 75 अंक के साथ शीर्ष राज्य के रूप में अपना स्थान बरकरार रखा, जबकि 74 अंक के साथ हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु को दूसरा स्थान मिला। इस साल के सूचकांक में बिहार, झारखंड और असम सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में 79 अंक के साथ चंड़ीगढ़ शीर्ष पर रहा, जिसके बाद 68 अंक के साथ दिल्ली का स्थान रहा। वर्ष 2020-21 में अपने स्कोर को बेहतर बनाने में मिजोरम, हरियाणा और उत्तराखंड सबसे आगे रहे। उनके आंकड़े में क्रमश: 12, 10 और आठ अंक का सुधार हुआ। जहां 2019 में 65 से 99 अंक का स्कोर हासिल करने वाले सबसे आगे रहने वाले राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में 10 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश शामिल थे, वहीं इस बार इसमें 12 और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने इसमें जगह बनायी। उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, मिजोरम, पंजाब, हरियाणा, त्रिपुरा, दिल्ली, लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने 65 से 99 अंक के दायरे में स्कोर हासिल कर दौड़ में आगे रहने वाले राज्यों का स्थान प्राप्त किया।

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स्वास्थ्य क्षेत्र के लक्ष्यों के लिहाज से गुजरात और दिल्ली पहले स्थान पर

स्वास्थ्य क्षेत्र के लक्ष्यों के लिहाज से गुजरात और दिल्ली क्रमश: राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की सूची में पहले स्थान पर रहे। वहीं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में इन दोनों श्रेणियों में क्रमश: केरल और चंडीगढ़ सबसे ऊपर रहे। गरीबी नहीं लक्ष्य के तहत तमिलनाडु और दिल्ली शीर्ष पर थे। विषमताओंमें कमी के मामले में मेघालय और चंडीगढ़ ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। दोनों को 100 अंक मिले। 

क्या होते हैं एसडीजी 

ऐसे विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं की पूर्ति इस प्रकार से करता है कि भावी पीढ़ी को अपनी आवश्यकताएँ पूरी करने के लिये किसी प्रकार का समझौता न करना पड़े, इसे सतत विकास या धारणीय विकास (Sustainable development) कहा जाता है। इस सतत विकास को हासिल करने के लिये वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र में महत्त्वाकांक्षी ‘सतत विकास लक्ष्य’ प्रस्तुत किये गए। इनमें 17 Goals एवं 169 targets निर्धारित किये गए हैं जो वर्ष 2016-2030 तक के लिये लक्षित है। संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के बेहतर भविष्य के लिए इन लक्ष्यों को महत्वपूर्ण बताया तथा वर्ष 2030 तक इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए इसके क्रिन्वयम की रूपरेखा सदस्य देशों के साथ साझा की गई। 

रैकिंग कैसे निर्धारित होती है

नीति आयोग संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के आधार पर भारत की प्राथमिकताओं के अनुरूप अपना सूचकांक तैयार किया है। नीति आयोग हर साल यूएन के 232 सूचकांकों की प्रणाली पर आधारित 100 निजी सूचकांकों पर राज्यों के प्रदर्शन की समीक्षा करता है, जिनमें शामिल है-

  • प्रतियोगी (एस्पीरेंट): 0–49
  • प्रदर्शन करने वाला (परफ़ॉर्मर): 50–64
  • सबसे आगे चलने वाला (फ्रंट – रनर): 65–99
  • लक्ष्य पाने वाला (एचीवर): 100 

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 भारत में सतत विकास लक्ष्यों के बारे में राष्ट्रीय कार्रवाई

नीति आयोग के पास देश में एसडीजी को अपनाने एवं उसके पर्यवेक्षण पर निगरानी करने और राज्यों एवं केन्द्र- शासित प्रदेशों के बीच प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने का दोहरा अधिकार है। यह सूचकांक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं से जुड़े होने के साथ–साथ 2030 एजेंडा के तहत वैश्विक लक्ष्यों की व्यापक प्रकृति की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इस सूचकांक की मॉड्यूलर प्रकृति स्वास्थ्य, शिक्षा, लिंग, आर्थिक विकास, संस्थानों, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण सहित निर्धारित लक्ष्यों की विस्तृत प्रकृति पर राज्यों और केन्द्र- शासित प्रदेशों की प्रगति का आकलन करने का एक नीतिगत उपकरण और एक तैयार कसौटी बन गया है।-अभिनय आकाश

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