जिसके रेस्ट्रां में है बड़े नेताओं का आना-जाना, केजरीवाल ने बताया 'दिल्ली का निर्माता', संकटकाल में कालाबाजारी का बड़ा नाम बने नवनीत कालरा की कहानी

Navneet Kalra
अभिनय आकाश । Jun 5 2021 9:07PM

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन पर बढ़े इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक फार्मूला तय कर जानने की कोशिश भी कि थी कि दिल्ली या देश के किसी भी राज्य में ऑक्सीजन की वास्तविक आवश्यकता कितनी है और इसकी कितनी सप्लाई सुनिश्चित की जा सकती है।

बीमारी और मौत ये ऐसे विषय हैं जिन्होंने सिद्धार्थ को बुद्ध बना दिया था। लेकिन इस कोरोना के दौर में कुछ लोग ऐसे हैं जो बुद्ध नहीं गिद्ध बन चुके हैं।  चंद सेकेंड के लिए अगर किसी की सांसे थमने लगे तो जिंदगी की डोर जैसे टूटने लगती है और सोचिए अगर समूचे देश में ऐसे लाखों लोग हैं जो कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन के लिए संघर्ष करते दिखे। लेकिन ऑक्सीजन की कमी भ्रष्टाचारियों के लिए लूट का एक बेहद सुनहरा अवसर बन गई है। एक तरफ प्राणवायु जो कोरोना से ऑक्सीजन देने का काम करती है उसकी कमी से पूरा देश हलकान था तो दूसरी तरफ ऑक्सीजन कनसंट्रेटर की कालाबाजारी हो रही थी। दिल्ली पुलिस ने कुछ ठिकानों पर छापा मारा तो इस कालाबाजारी के तार दिल्ली के प्रसिद्ध व्यवसायी से जुड़े जिसे सूबे के मुख्यमंत्री ने कभी 'दिल्ली का निर्माता बताया था। ऐसे में आज के इस विश्लेषण में हम बात दिल्ली में बीते दिनों चले सांसों के खेल, कालाबाजारी और ऑडिट का आदेश होते ही सरप्लस ऑक्सीजन वाली थ्योरी वाले एंगल के साथ ही संकटकाल में कालाबाजारी का बड़ा नाम बने नवनीत कालरा की करेंगे।

देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली एनसीआर से भयावह खबर आई, जब दिल्ली सरकार की ओर से केंद्र सरकार को खत लिखा गया और कहा गया अस्पतालों को ऑक्सीजन मुहैया करवाएं। दिल्ली के कुछ अस्पतालों में कुछी ही घंटे की ऑक्सीजन बची है। 20 अप्रैल को हुई दिल्ली सरकार की समीक्षा बैठक में भी सबसे बड़ा मुद्दा ऑक्सीजन का ही रहा। जिसके बाद उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा ऑक्सीजन को लेकर सभी अस्पतालों से फोन आ रहे हैं। ऑक्सीजन का केन सप्लाई करने वाले लोगों को अलग-अलग राज्यों में रोक दिया जा रहा है। सोशल मीडिया पर अस्पतालों की लिस्ट शेयर करते हुए मनीष सिसोदिया ने बताया कि दिल्ली के किन अस्पतालों में कितनी ऑक्सीजन बची है। वहीं बीजेपी की तरफ से ये आरोप लगाया गया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 जनवरी 2021 को दिल्ली में 8 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति एवं फंड दिया था, लेकिन दिल्ली सरकार सोती रही। और उसने एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार पर कम ऑक्सीजन सप्लाई का आरोप लगाया। इसे लेकर दिल्ली सरकार हाईकोर्ट पहुंची और ज्यादा ऑक्सीजन की मांग की। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से किसी भी कीमत पर दिल्ली को पर्याप्त ऑक्सीजन की सप्लाई करने का आदेश दिया। आदेश का पालन न होने पर कोर्ट ने केंद्र के उच्चाधिकारियों पर अवमानना की कार्रवाई भी शुरू करने का आदेश दिया। इसके बाद केंद्र सरकार इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्रीय अधिकारियों को जेल भेजने से ऑक्सीजन की उपलब्धता नहीं सुधरेगी। इसके लिए केंद्र सरकार को मिल-जुलकर काम करना होगा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिल्ली को हर हाल में आवश्यक ऑक्सीजन देने का निर्देश दिया। सर्वोच्च न्यायलय के इस आदेश का असर भी हुआ और दिल्ली को पहली बार 6 मई को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच ऑक्सीजन पर बढ़े इस विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक फार्मूला तय कर जानने की कोशिश भी कि थी कि दिल्ली या देश के किसी भी राज्य में ऑक्सीजन की वास्तविक आवश्यकता कितनी है और इसकी कितनी सप्लाई सुनिश्चित की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी का भी गठन कर दिया। 

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अचानक ऑक्सीजन की जरूरत में आई कमी

6 मई को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऑक्सीजन की आपूर्ति, वितरण औऱ उपयोग का ऑडिट करने के लिए एक पैनल की स्थापना की बात कही गई और इसके एक हफ्ते के भीतर ही दिल्ली में ऑक्सीजन सरप्लस में हो गया। अरविंद केजरीवाल सरकार की तरफ से सरप्लस ऑक्सीजन होने की बात कहते हुए इसे जरूरतमंद राज्यों को दिए जाने की बात कह डाली। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि COVID-19 स्थिति के आकलन के बाद फिलहाल दिल्ली की ऑक्सीजन की जरूरत 582 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। हमने केंद्र सरकार से बाकी ऑक्सीजन जरूरतमंद राज्य को देने के लिए अनुरोध किया है।

रिपोर्ट में कृत्रिम मांग की बात आई सामने

केंद्र सरकार ने इसी दौरान एक कमेटी का गठन कर दिल्ली में ऑक्सीजन की मांग की असली स्थिति जानने की कोशिश की थी। पिछले पांच दिन में 64 अस्पतालों का निरीक्षण करने के बाद टीम द्वारा आज जारी हुई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की कृत्रिम मांग पैदा की थी। जबकि इसी दौरान दिल्ली सरकार के पास न तो इतनी ऑक्सीजन की मांग थी और न ही उसके पास अतिरिक्त ऑक्सीजन स्टोर करने की क्षमता ही थी।    

हालांकि इसके पीछे दलील दी गई कि दिल्ली में मामलों में आई कमी की वजह से ऑक्सीजन की मांग में भी कमी हुई। लेकिन 18 अप्रैल 2021 को केजरीवाल सरकार ने 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की माँग की थी। उस दिन, दिल्ली में 74,941 सक्रिय कोरोना वायरस के मामले थे। गुरुवार (मई 13, 2021) को जब केजरीवाल सरकार ने कहा है कि ऑक्सीजन की आवश्यकता घट कर 582 मीट्रिक टन हो गई है, दिल्ली में सक्रिय मामले 82,725 थे।

नवनीत कालरा और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर का काला धंधा

दिल्ली ऑक्सीजन को लेकर राजनीतिक उठा-पटक और जिंदगी बचाने की जद्दोजेहद जारी थी लेकिन दिल्ली पुलिस ने राष्ट्रीय राजधानी के दो रेस्तरां पर छापेमारी की कार्रवाई कर 100 ऑक्सीजन कनसंट्रेटर बरामद किए जिनका इस्तेमाल कोविड-19 मरीजों के इलाज में किया जाता है। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक 96 ऑक्सीजन कनसंट्रेटर ‘खान चाचा’ रेस्तरां से और नौ ऑक्सीजन कनसंट्रेटर ‘टाउन हॉल’ रेस्तरां से बरामद किए गए हैं। उन्होंने बताया कि दोनों रेस्तरां खान मार्केट इलाके में हैं। अधिकारियों ने बताया कि 100 ऑक्सीजन कनसंट्रेटर की बरामदगी दक्षिण दिल्ली की लोधी कॉलोनी से चार लोगों- गौरव, सतीश सेठी, विक्रांत और हितेश- की गिरफ्तारी के बाद हुई है जिनपर ऑक्सीजन कनसंट्रेटर की कालाबाजारी करने का आरोप है। उन्होंने बताया कि इन चार आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद 419 ऑक्सीजन कनसंट्रेटर जब्त किए गए हैं जिनकी कालाबाजारी की जानी थी। पुलिस ने बताया कि पूछताछ के तौर हितेश ने बताया कि कालाबाजारी के लिए इन ऑक्सीजन कनसंट्रेटर को इन रेस्तरां में जमा कर रखा गया है जिसमें बाद पुलिस ने छापेमारी की यह कार्रवाई की और इन उपकरणों को बरामद किया। पुलिस ने बताया कि इन दोनों रेस्तरां के मालिक का नाम नवनीत कालरा है और उसकी मामले में भूमिका की जांच की जा रही है। कालरा का एक और रेस्तरां है जिसपर पुलिस ने बुधवार को छापेमारी की कार्रवाई कर ऑक्सीजन कनसंट्रेटर बरामद किए थे।

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कौन है नवनीत कालरा?

नवनीत कालरा के नाम कई खाने-पीने की दुकानें हैं। इसके अलावा दयाल ऑप्टिकल्स भी नवनीत कालरा का है। इसे नवनीत के पिता दयाल दास कालरा ने शुरू किया था। नवनीत कालरा के रेस्ट्रां काफी फेमस है। यहाँ कई वीआईपी, सेलिब्रिटी और राजनेता आते हैं। कबाब एंड रोल्स के लिए मशहूर इनकी ‘खान चाचा’ दुकान के काफी चर्चे हैं। समाचार वेबसाइट ऑप इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार इसकी शुरुआत 1972 में हाजी बंदा हसन ने की थी। उन्हें लोग खान चाचा कहते थे। बाद में इसे उनके दो बेटों मोहम्मद सलीम और मोहम्मद जावेद ने आगे बढ़ाया। 2009 में इस वेंचर में नवनीत कालरा की साझेदार के तौर पर एंट्री हुई और 2016 में बिना किसी स्पष्ट कारण के ये साझेदारी टूट गई। नवनीत कालरा ने पूरे रेस्ट्रां पर कब्जा कर लिया और नाम भी खान चाचा ही रहा। कालरा के दावों के अनुसार, उसे 2012 के समझौते के बाद इस ब्रांड के सारे अधिकार सौंपे गए, लेकिन खान परिवार की मानें तो ये सारी बात जाली और मनगढ़ंत हैं। इसी कारण से इनकी साझेदारी भी टूटी और खान भाइयों ने रूल द रोल्स नाम से अपनी दुकान खोल ली। 

कालरा ने ‘सफेदपोश अपराध’ को अंजाम दिया

दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि ऑक्सीजन कनसंट्रेटर की कालाबाजारी मामले में आरोपी कारोबारी नवनीत कालरा ने ‘सफेदपोश अपराध’ (समाज में ऊंची हैसियत व सम्मान रखने वाले शख्स द्वारा किया गया अपराध) को अंजाम दिया और मृत्यु शैय्या पर लेटे मरीजों को अत्यधिक दामों पर चिकित्सा उपकरण बेचकर मुनाफा कमाया। हाल ही में एक छापे के दौरान कालरा के रेस्तरां खान चाचा, टाउन हॉल तथा नेगे एंड जू से कोविड-19 मरीजों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले 524 ऑक्सीजन कनसंट्रेटर बरामद किए गए थे। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुण कुमार गर्ग ने ऑक्सीजन कनसंट्रेटर की कथित जमाखोरी करने और उन्हें ऊंचे दामों पर बेचने के लिए 17 मई को गिरफ्तार किए गए कालरा की जमानत अर्जी पर सुनवाई की। दिल्ली पुलिस की तरफ से पैरवी कर रहे अतिरिक्त लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत को बताया, ‘‘उसकी मंशा लोगों को ठगने और मुनाफा कमाने की थी। यह सफेदपोश अपराध है। उसने मृत्यु शैय्या पर पड़े जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन कनसंट्रेटर बेचे।’’ 

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कालरा के वकील ने दी सफाई

नवनीत कालरा ने वरिष्ठ वकील विकास पहवा के जरिए अदालत को बताया कि उसकी लोगों को ठगने की आपराधिक मंशा नहीं थी और उसे मुकदमे की सुनवाई से पहले हिरासत में नहीं रखा जा सकता। सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक ने अदालत को कालरा के ऑक्सीजन कनसंट्रेटर विवरण पुस्तिका दिखाई और कहा कि ये जर्मनी से नहीं लाए गए थे जैसा कि आरोपी ने दावा कियाहै। उन्होंने कहा, ‘‘इसका ऑक्सीजन का प्रवाह 35 प्रतिशत से कम का था और उसने 27,999 की एमआरपी के बजाय 70,000 रुपये से अधिक कीमत पर इसे बेचा।’’ कालरा की इस दलील पर कि वह केवल जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहा था, इस पर लोक अभियोजक ने कहा, ‘‘वह कोई परमार्थ नहीं कर रहा था। अगर वह लागत जितने दाम पर ही इन्हें बेचता तो यह परोपकार होता लेकिन उसने मुनाफा कमाया।’’ श्रीवास्तव ने कहा कि डॉक्टरों की राय है कि ये ऑक्सीजन कनसंट्रेटर कम क्षमता के कारण कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए उपयुक्त नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘ये बेकार था और महज एक डिब्बा था। यहां तक कि हल्के और मध्यम लक्षण वाले मरीजों के लिए इनका इस्तेमाल करने से नुकसान पहुंच सकता था। इससे मौत होने की आशंका है।’’ 

नवनीत कालरा को जमानत

दिल्ली की एक अदालत ने ऑक्सीजन कनसंट्रेटर कालाबाजारी मामले में कारोबारी नवनीत कालरा को जमानत प्रदान की और कहा कि पूर्व में वह किसी आपराधिक मामले में आरोपी नहीं रहा है, ऐसे में वह साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करने, गवाहों को प्रभावित नहीं करने और पुलिस द्वारा बुलाए जाने पर जांच में शामिल होने के भी निर्देश दिए। अदालत ने कालरा को एक लाख रुपये का निजी मुचलका और एक-एक लाख रुपये के दो जमानतदार पेश करने के निर्देश दिये। 

नवनीत कालरा का पॉलिटिकल कनेक्शन 

 खान चाचा लंबे से खाने पीने की मशहूर जगहों में से एक है। इसके अलावा कालरा का टाउन हॉल भी कम फेमस नहीं है। रणदीप बजाज और नवनीत बजाज के साथ साझेदारी में चल रहे इस रेस्ट्रां में वीर संघवी, राहुल गाँधी जैसे लोग भी खाने का लुत्फ लेने आते हैं। इसके अलावा नवनीत कालरा के आम आदमी पार्टी से भी संबंध की खबर है। सोनिया और राहुल गांधी के साथ खड़े शख्स का नाम आगस्टो है। वह टाउन हाॅल रेस्त्रां के शेफ हैं।  आगस्टो कैबरेरा टाउन हाॅल रेस्त्रां के मैनेजिंग पार्टनर और काॅरपोरेट शेफ हैं।

 केजरीवाल के दिल्ली का निर्माता

अरविंद केजरीवाल का शपथ ग्रहण समारोह तो आपको याद होगा। इसमें कोई बड़ा वीआईपी गेस्ट मौजूद नहीं था बल्कि इस समारोह का हिस्सा 50 विशिष्ठ अतिथि बने थे। साल 2020 में अरविंद केजरीवाल ने दोबारा मुख्यमंत्री बनने की शपथ लेते हुए जिन विशिष्ठ लोगों को दिल्ली के निर्माता के तौर पर सम्मानित किया था, उनमें से एक नवनीत कालरा भी था।- अभिनय आकाश

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