झारखंड में कोरोना वायरस से 33 बच्चे संक्रमित, तीसरी लहर से बचाव की तैयारी जारी

Jharkhand

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में झारखंड में 33 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं जिसके बाद राज्य सरकार महामारी की तीसरी लहर और बच्चों को लेकर सतर्क हो गई है। उन बच्चों की देखरेख के लिए भी प्रदेश में कदम उठाए जा रहे हैं जिनके माता-पिता की इस महामारी के कारण जान चली गई है।

रांची। कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में झारखंड में 33 बच्चे कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं जिसके बाद राज्य सरकार महामारी की तीसरी लहर और बच्चों को लेकर सतर्क हो गई है। उन बच्चों की देखरेख के लिए भी प्रदेश में कदम उठाए जा रहे हैं जिनके माता-पिता की इस महामारी के कारण जान चली गई है। झारखंड में स्वास्थ्य विभाग के विशेष कार्यपालक अधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि 25 मई से कराये जा रहे एक सघन जनस्वास्थ्य सर्वेक्षण एवं रैपिड परीक्षण (इंटेंसिव पब्लिक हेल्थ सर्वे एंड रैपिड टेस्टिंग) में 31 मई तक कुल 1,64,46,947 लोगों का स्वास्थ्य सर्वेक्षण किया गया है।

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उन्होंने बताया ‘‘इस दौरान 33 बच्चे कोविड-19 से संक्रमित पाये गये हैं। इन बच्चों में किसी की भी हालत गंभीर नहीं है। ये बच्चे घरों में ही पृथक-वास में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।’’ त्रिपाठी के अनुसार, इन 33 कोरोना बच्चों में से 25 बच्चे छह साल से 18 वर्ष के बीच की उम्र के हैं जबकि सात बच्चे एक वर्ष से कम उम्र के हैं और एक बच्चे की उम्र छह साल से कम है। उन्होंने बताया ‘‘इन बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है और अध्ययन किया जा रहा है ताकि बच्चों में महामारी के प्रभाव के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की जा सके। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कोविड-19 की तीसरी लहर आयी तो उसका सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर पड़ने की आशंका है।’’ त्रिपाठी ने यह भी बताया कि राज्य सरकार बड़े पैमाने पर टीकाकरण पर जोर दे रही है और उसे जुलाई से बड़ी संख्या में टीके भी मिलने लगेंगे। इसके अलावा, राज्य के सभी 24 जिलों में बच्चों के स्वास्थ्य और इलाज को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है।

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उन्होंने बताया ‘‘इस उद्देश्य से सभी जिलों में छह-छह चिकित्सकों एवं उनके सहयोगियों की टीम बनाकर उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से वहां के बाल चिकित्सालयों की संख्या तथा उनकी स्थिति तथा वहां उपलब्ध सुविधाओं की अद्यतन रिपोर्ट तलब की गयी है।’’ दूसरी ओर, राज्य सरकार कोविड महामारी से अभिभावकों की मौत के बाद अनाथ हुए बच्चों की देखरेख के लिए भी इंतजाम कर रही है। इसके लिए झारखंड वैधानिक सेवा प्राधिकरण (झारखंड लीगल सर्विसेज अथॉरिटी... झालसा) ने राज्य स्तर पर ‘प्रोजेक्ट शिशु सदैव त्वया सह’ शुरू किया है। झालसा के प्रशासनिक अध्यक्ष, झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह ने सोमवार को यह परियोजना आरंभ की।

पिछले माह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के निर्देश के बाद पूरे राज्य में कोरोना संक्रमण की वजह से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों का पता लगाने और उनकी उचित देखभाल सुनिश्चित करने की प्रक्रिया शुरू की गयी। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद रांची जिला प्रशासन ने भी अन्य जिलों की तरह चाइल्ड केयर हेल्पलाइन जारी की है। सूत्राों ने बताया कि जिला कल्याण पदाधिकारी की निगरानी में चलने वाली चाइल्ड केयर हेल्पलाइन में ऐसे मामलों को देखने और तत्काल सहायता करने के लिए एक टीम बनाई गई है। इस व्यवस्था के तहत, अनाथ हुए बच्चों की सूचना हेल्पलाइन नंबर पर दी जा सकती है। प्रशासन की टीम प्रभावित बच्चों को संरक्षण प्रदान करेगी। बच्चों से संबंधित विस्तृत जानकारी एकत्र करने और आवश्यकता का आंकलन करने के बाद जिला बाल कल्याण समिति अंतिम निर्णय लेगी।

राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की है कि यदि अनाथ हुए बच्चों के परिवार में कोई सदस्य उनकी देखभाल करने के लिए सहमत है, तो उन्हें इसके लिए मासिक प्रोत्साहन सहायता दी जाएगी। ऐसे मामलों में बाल कल्याण समिति के सदस्य संबंधित घर का दौरा कर देखेंगे कि बच्चा उनके साथ सुरक्षित होगा या नहीं। जिन बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, उन्हें सरकार द्वारा चलाए जा रहे बाल देखभाल केंद्र में रखा जाएगा। यह हेल्पलाइन उन बच्चों को भी अस्थायी सहायता देगी, जिनके माता-पिता अस्पताल में इलाज करा रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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