Karnataka Election 2023: 9 मई तक नहीं खत्म होगा 4 फीसदी मुस्लिम आरक्षण, जानिए क्या बोली सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को निर्देश देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा 9 मई तक मुस्लिमों के लिए 4 प्रतिशत आरक्षण खत्म करने का फैसला लागू नहीं होगा। बता दें कि बोम्मई सरकार ने अपना जवाब दाखिल किए जाने के लिए कोर्ट से समय मांगा है।

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बीच मुस्लिम आरक्षण बड़ा मुद्दा बना हुआ है। अन्य पिछड़ा वर्ग श्रेणी में मुस्लिमों को लगभग तीन दशक पहले 4 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। लेकिन राज्य सरकार ने इसे EWS कोटे से बदल दिया। जिसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। बता दें कि कर्नाटक सरकार के 4 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर होने वाली सुनवाई को 9 मई तक स्थगित कर दिया गया है। सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर-जनरल, तुषार मेहता ने आश्वासन देते हुए कहा कि नई नीति के आधार पर फिलहाल कोई भी भर्ती नहीं होगी।

सरकार ने किया फैसले का बचाव

बता दें कि राज्य में 10 मई को विधानसभा चुनाव होने हैं। कर्नाटक की राज्य सरकार ने 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण कोटा खत्म करने के फैसले का बचाव किया है। वहीं राज्य सरकार ने फैसले के खिलाफ चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में राज्य की बोम्मई सरकार ने कहा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। इसलिए चुनाव से पहले यह फैसला लिया गया था। इससे यह भी साबित नहीं होता है कि मुस्लिम आरक्षण संवैधानिक और स्वीकार्य है।

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राज्य सरकार ने दिया तर्क

कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में बोम्मई सरकार ने तर्क देते हुए कहा कि यदि पहले धर्म के आधार पर आरक्षण दिया गया है, तो यह जरूरी नहीं है कि इस असंवैधानिक आरक्षण को जारी रखा जाए। सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता को यह भी साबित करना चाहिए कि धर्म के आधार पर दिया गया यह आरक्षण संवैधानिक है। अगर यह साबित नहीं हो पाता है तो याचिकाएं जुर्माने के साथ खारिज कर दी जाएं।

क्या बोले राज्य सरकार के सॉलिसिटर

बता दें कि राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट की सुनवाई शुरू होने से पहले कहा कि वह दिन में इसका जवाब दाखिल करेंगे। उन्होंने पीठ से कहा कि वह आस ही इसका जवाब दाखिल करेंगे। लेकिन उनके सामने समस्या यह है कि वह (सॉलिसिटर जनरल) व्यक्तिगत समस्या का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समलैंगिक विवाह से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। जिसके कारण उन्हें संविधान पीठ के सामने भी दलील रखनी है। इसलिए इस मामले को किसी अन्य दिन के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

जानें पूरा मामला

याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने मेहता की इस अपील का विरोध किया। दवे ने कहा कि मेहता की अपील पर पहले ही 4 बार सुनवाई टाली जा चुकी है। इससे पहले 13 अप्रैल को कोर्ट ने राज्य सरकार के इस फैसले को त्रुटिपूर्ण बताया था। बता दें कि राज्य सरकार ने मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के लिए आरक्षण में दो-दो प्रतिशत वृद्धि की थी। 

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