दुधवा में फिर शुरू हुई गैंडों की गड़ना, पुनर्वासन क्षेत्र में पाए गए 46 गैंडे

rhino
ANI Image

दुधवा में गैंडों की आबादी का पता लगाने के लिए गणना की गई है। इनकी गणना के बाद गैंडों की संख्या कुल 46 होने की जानकारी सामने आई है। भारतीय वन्यजीव संस्थान, दुधवा वन अधिकारियों और विश्व वन्यजीव कोष ने ये गणना की है।

लखीमपुर खीरी। दुधवा बाघ अभयारण्य (डीटीआर) में गैंडा पुनर्वासन क्षेत्र (आरआरए) में हाल में संपन्न हुई गणना में 46 गैंडों की मौजूदगी दर्ज की गयी है। दुधवा में गैंडों की आबादी का पता लगाने के लिए दुधवा वन अधिकारियों, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) और विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के विशेषज्ञों द्वारा 15 मार्च से 17 मार्च 2023 तक गणना की गई थी। दुधवा बाघ अभयारण्य के उप निदेशक रंगाराजू तमिलसेल्वन ने डब्ल्यूआईआई वैज्ञानिक सम्राट मंडल, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ विशेषज्ञ अमित शर्मा, रोहित रवि और दुधवा जीवविज्ञानी विपिन कपूर और अपूर्वा गुप्ता के साथ गैंडों की गणना के अभियान का नेतृत्व किया।

रंगाराजू ने बताया, ‘‘दुधवा में देखे गए 46 गैंडों में दक्षिण सोनारीपुर रेंज स्थित गैंडों के पुनर्वासन क्षेत्र नंबर एक (आरआरए-एक) में 40 गैंडे जबकि बेलरायां रेंज स्थित आरआरए-दो में छह गैंडे देखे गये।’’ डीटीआर के क्षेत्रीय निदेशक बी. प्रभाकर ने बताया, ‘‘दुधवा में गैंडों की आबादी का अनुमान विशिष्ट भौतिक विशेषताओं और प्रत्येक गैंडों की विशिष्ट पहचान के माध्यम से किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस अभियान के लिए कुल सात टीम बनाई गई थी जिनमें आरआरए-एक में पांच और आरआरए-दो में दो टीम को लगाया गया था जो गणना के लिए हाथी पर सवार होकर गैंडा क्षेत्र में गश्त करते थे।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘दुधवा गैंडों के डीएनए नमूने भी डब्ल्यूआईआई के विशेषज्ञों द्वारा आणविक विश्लेषण के लिए एकत्र किए गए थे, जिनका तीन से चार महीने तक अध्ययन किया जाएगा।’’ एक अधिकारी ने बताया कि गैंडों की गिनती हर साल की जाती है लेकिन पिछले साल जब गणना शुरू हुई तो भौगोलिक दिक्कतें सामने आ गयीं। पिछले साल दलदली जमीन होने के कारण काफी हिस्से पर गणना का कार्य पूरा नहीं हो सका था। गौरतलब है कि दुधवा में गैंडा परियोजना अप्रैल 1984 में असम के सिर्फ पांच गैंडों के साथ शुरू की गई थी। यह परियोजना महत्वपूर्ण हो गई क्योंकि गैंडों को दुधवा की तराई भूमि पर फिर से लाया गया जहां वे लगभग एक सदी पहले विलुप्त हो गए थे। हालांकि, दुधवा के अनुकूल वातावरण, स्वस्थ माहौल, समृद्ध वनस्पतियों और जीवों ने फिर से लाए गए गैंडों को इतना अनुकूल बनाया कि 2023 तक उनकी आबादी 46 हो गई। दुधवा अभयारण्य गैंडों के अलावा, रॉयल बंगाल टाइगर, हिरण, सांभर, चीतल, जंगली सूअर, जंगली हाथी, घड़ियाल, मगरमच्छ आदि की 400 से अधिक प्रजातियों का ठिकाना है और यहां पक्षियों, सरीसृपों के अलावा कई औषधीय पौधों और दुर्लभ जड़ी-बूटियों की भी उपलब्‍धता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़