कार्यकर्ता सड़कों पर न उतरें, बसपा तोड़फोड़ में विश्वास नहीं करती: मायावती

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[email protected] । Dec 20 2019 1:51PM

बसपा सांसदों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को विभाजनकारी बताते हुए बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इसे वापस लेने तथा इसका विरोध करने वालों के खिलाफ कथित पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच कराने की मांग की थी।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के लखनऊ और संभल में हुई हिंसा पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कहा कि वह नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करती हैं, लेकिन हिंसा का समर्थन नहीं करतीं। मायावती ने कहा, “हमने हमेशा नागरिकता संशोधन कानून का विरोध किया है और हम शुरू से ही इसका विरोध करते रहे हैं, लेकिन अन्य दलों की तरह हम सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और हिंसा में विश्वास नहीं करते हैं।” उन्होंने कहा, “हम धरना प्रदर्शन तो करते हैं, लेकिन दूसरे दलों की तरह तोड़फोड़ में विश्वास नहीं करते। इस मामले जो पूरे देश में बवाल चल रहा है, मैं अपनी पार्टी के लोगों से यह अपील करती हूं और अनुरोध करती हूं कि वह देश में व्याप्त आपातकाल जैसे दमनकारी हालातों के मद्देनजर सड़कों पर कतई नहीं उतरे।” 

उन्होंने बसपा कार्यकर्ताओं से कहा कि वह इस कानून के विरोध में अपना लिखित ज्ञापन राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल और जिलाधिकारी आदि को डाक से भेंजें। गौरतलब है कि बसपा सांसदों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को विभाजनकारी बताते हुए बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इसे वापस लेने तथा इसका विरोध करने वालों के खिलाफ कथित पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच कराने की मांग की थी। राज्यसभा में बसपा संसदीय दल के नेता सतीश मिश्रा और लोकसभा में पार्टी के नेता दानिश अली की अगुवाई में पार्टी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा।  मुलाकात के बाद अली ने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा में बसपा के 13 सांसदों के हस्ताक्षर वाला ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंप कर यह मांग की गई है। 

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उन्होंने कहा, “हमने राष्ट्रपति को बताया कि पार्टी अध्यक्ष मायावती ने सीएए संबंधी विधेयक संसद में पेश किए जाने से पहले ही इसे देश के लिए विभाजनकारी बताते हुए आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि इसे जनता स्वीकार नहीं करेगी। इस क़ानून को लेकर आज देशव्यापी आंदोलनों के कारण उपजे हालात ने हमारी नेता की आशंका को सही साबित किया है।” अली ने कहा कि पार्टी सांसदों ने राष्ट्रपति को बताया कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को भी सीएए को विभाजनकारी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा हालात के मद्देनजर बसपा सांसदों ने राष्ट्रपति से सरकार को सीएए वापस लेने का निर्देश देने की मांग की। पार्टी ने राष्ट्रपति से दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया, उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और लखनऊ के नदवा कॉलेज सहित देश के अन्य इलाकों में इस कानून के विरोध में किए गए आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग भी की।

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