उत्तराखंड के बाद अब इस राज्य में UCC लाने की तैयारी, पांच सदस्यीय समिति का हो गया गठन, 45 दिनों में आएगी रिपोर्ट

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने और कानून बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति 45 दिनों में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर सरकार निर्णय लेगी।
उत्तराखंड के बाद अब एक और बीजेपी शासित राज्य में यूसीसी यानी समान नागरिक संहिता लागू करने की तैयारी हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में समान नागरिक संहिता लागू करने की योजना है। इसके लिए एक समिति की घोषणा मंगलवार को होने की संभावना है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने और कानून बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति 45 दिनों में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर सरकार निर्णय लेगी।
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इससे पहले 27 जनवरी को उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी के मैनुअल को मंजूरी दी। इसके बाद इसे लागू करने का रास्ता साफ हुआ। उत्तराखंड के 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के प्रमुख चुनावी वादों में से ये एक था। मुख्यमंत्री आवास में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसका ऐलान किया। यह कार्यक्रम सीएम आवास के मुख्य सेवक सदन में आयोजित किया गया। सीएम धामी ने कहा कि हमने 3 साल पहले जनता से किए गए वादे को पूरा लिया। यूसीसी किसी धर्म या वर्ग के खिलाफ नहीं है। इसका उद्देश्य किसी को टारगेट करना नहीं है। सभी को समान अधिकार देना है।
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गौरतलब है कि समान नागरिक संहिता कानून का मतलब है कि एक ऐसा कानून जो विवाह, तलाक, उत्तराधिकार, गोद लेने भरण पोषण जैसे मुद्दों पर सभी धर्म से जुड़े लोगों पर समान रूप से लागू होगा। भारत में अभी एक समान आपराधिक कानून हैं। लेकिन नागरिक कानून यानी सिविल लॉ अलग अलग धार्मिक समुदायों के लिए अलग अलग हैं। इसमें हलाला, इद्दत, तलाक जैसी प्रथाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध है। जो मुस्लिम पर्सनल लॉ का हिस्सा है।
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