कुडनकुलम में इकाई 5, 6 पर समझौते को अंतिम रूप दिया गया

भारत और रूस ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में पांचवीं और छठी इकाइयों को स्थापित करने के लिए एक सामान्य रूपरेखा समझौते और क्रेडिट प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया।

परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाते हुए भारत और रूस ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में पांचवीं और छठी इकाइयों को स्थापित करने के लिए एक सामान्य रूपरेखा समझौते और क्रेडिट प्रोटोकॉल को अंतिम रूप दिया। करार और क्रेडिट प्रोटोकॉल की औपचारिक घोषणा शनिवार को गोवा में ब्रिक्स शिखर-सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता के बाद की जा सकती है।

रूस के सूत्रों ने कहा, ‘‘रूस और भारत ने इकाई 5 और 6 के लिए ‘सामान्य रूपरेखा समझौते’ और ‘क्रेडिट प्रोटोकॉल’ को अंतिम रूप दिया है और गोवा में इसकी घोषणा करने की योजना बना रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि दोनों देश कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की इकाई 3 और 4 की नींव में पहली बार कंक्रीट डाले जाने और इकाई 2 के उद्घाटन के समारोहों की भी योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि दोनों समारोहों में पुतिन और मोदी भाग लेंगे। इसमें तमिलनाडु से कुडनकुलम संयंत्र के इंजीनियर भी वीडियो-कांफ्रेंसिंग के जरिये हिस्सा लेंगे। कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की पहली इकाई 10 अगस्त को मोदी और पुतिन ने संयुक्त रूप से राष्ट्र को समर्पित की थी। पुतिन ने वीडियो-कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मॉस्को से समारोह में भाग लिया था।

कुडनकुलम 1 का निर्माण भारत परमाणु ऊर्जा निगम और रूस के रोसातोम ने मिलकर किया है और 2013 में इसमें विद्युत उत्पादन शुरू हो गया था। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और तत्कालीन सोवियत संघ के राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव ने 1988 में परियोजना के लिए समझौते पर दस्तखत किये थे लेकिन इस पर वास्तविक जमीनी कार्य 1997 में ही शुरू हो सका। कुडनकुलम संयंत्र की इकाई 1 और 2 का निर्माण 20,962 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। संयंत्र में बनने वाली बिजली का बड़ा हिस्सा तमिलनाडु को जाता है जिसके बाद कर्नाटक, केरल और पुडुचेरी को बिजली दी जाती है। प्रत्येक इकाई में 1000 मेगावाट बिजली के उत्पादन की क्षमता है।

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