एक्शन में आलोक वर्मा, अपनी अनुपस्थिति में किये तबादले किये रद्द
उच्चतम न्यायालय ने वर्मा को छुट्टी पर भेजने के विवादास्पद सरकारी आदेश को कल रद्द कर दिया था। वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना दोनों को सरकार ने 23 अक्टूबर, 2018 की देर शाम जबरन छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिये थे।
नयी दिल्ली। जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद बुधवार को अपनी ड्यूटी पर लौटे सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने एम नागेश्वर राव द्वारा किये गये ज्यादातर तबादले रद्द कर दिये। राव (वर्मा की अनुपस्थिति में) अंतरिम निदेशक के तौर पर सीबीआई प्रमुख का प्रभार संभाले हुए थे। 1979 बैच के एजीएमयूटी काडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा बुधवार को सुबह करीब दस बजकर 40 मिनट पर सीबीआई मुख्यालय पहुंचे। उच्चतम न्यायालय ने वर्मा को छुट्टी पर भेजने के विवादास्पद सरकारी आदेश को कल रद्द कर दिया था। वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना दोनों को सरकार ने 23 अक्टूबर, 2018 की देर शाम जबरन छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिये थे।
CBI director Alok Verma withdraws transfer orders made by M Nageswara Rao who was appointed as interim CBI Director. Section 4 and 5 of transfer orders not withdrawn. pic.twitter.com/MytrkgBf4M
— ANI (@ANI) January 9, 2019
अधिकारियों के अनुसार सीबीआई मुख्यालय पहुंचने पर वर्मा का राव ने स्वागत किया। 1986 बैच के ओड़िशा काडर के आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव (तत्कालीन संयुक्त निदेशक) को 23 अक्टूबर, 2018 को देर रात को सीबीआई निदेशक के दायित्व और कार्य सौंपे गये थे। उन्हें बाद में अतिरिक्त निदेशक के रुप में प्रोन्नत किया गया था। अगली सुबह ही राव ने सात स्थानांतर आदेश जारी किये थे। उनमें अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच करने वाले अधिकारी जैसे डीएसपी ए के बस्सी, डीआईजी एम के सिन्हा, संयुक्त निदेशक ए के शर्मा भी शामिल थे।
तीन जनवरी, 2019 को उन्होंने संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों का भी तबादला किया था। वर्मा ने बुधवार को दो आदेश जारी करके राव द्वारा 24 अक्टूबर 2018 और तीन जनवरी, 2019 को किये गये सारे तबादले ‘‘वापस’’ ले लिये। अधिकारियों के अनुसार सीबीआई मुख्यालय के ग्यारहवें तल पर अपने विशाल कार्यालय में वर्मा ने शाम के लिए घोषित की गयी उच्च स्तरीय चयन समिति की बैठक से जुड़े घटनाक्रम पर भी नजर गड़ाये रखीं। वह वरिष्ठ अधिकारियों के साथ व्यस्त रहे। वह देररात तक कार्यालय में रहे। वर्मा को छुट्टी पर भेजने के दौरान सरकार ने उच्चतम न्यायालय से सीबीआई निदेशक को राजनीतिक हस्तक्षेप से मिली छूट की अनदेखी की थी। उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई निदेशक को राजनीतिक दखल से बचाने के लिए दो साल का कार्यकाल पक्का किया था।
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सरकार ने यह कहते हुए अपने कदम को सही ठहराने का प्रयास किया कि सीबीआई के दो वरिष्ठतम अधिकारियों के बीच अप्रत्याशित तकरार के बीच ऐसा करना जरुरी हो गया था। दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को सरकार की दलील खारिज कर दी थी। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को दरकिनार कर दिया था लेकिन उन्हें उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की सीवीसी जांच पूरी होने तक कोई बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से रोक दिया था। ‘बड़े नीतिगत’ फैसले की स्पष्ट परिभाषा के अभाव में एक प्रकार की अनिश्चितता बनी ही रही कि किस हद तक वर्मा के अधिकार सीमित किये जाएंगे।
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