चीन को झटका देने के लिए अमेरिका का BBB प्लान, भारत भी हो सकता है शामिल
दावा किया जा रहा है कि इस योजना के तहत दुनिया के तमाम बड़े लोकतांत्रिक विकासशील देशों को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 400 खरब डॉलर की आर्थिक और तकनीकी मदद दी जाएगी। यह योजना स्थानीय रोजगार को पैदा करने में कारगर साबित हो सकता है।
जी-7 देश के नेता चीन को झटका देने की तैयारी में हैं। अमेरिका की ओर से भारत को ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में शामिल होने का प्रस्ताव मिला है। सूत्र बता रहे हैं कि भारत कहीं न कहीं अमेरिका के इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। हाल में ही जो जी-7 की बैठक संपन्न हुई। उसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने बिल्ट बैक बेटर (BBB) प्लान का प्रस्ताव दिया है। माना जा रहा है कि जो बाइडन का यह प्रस्ताव चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट को काउंटर करने वाला है। दावा किया जा रहा है कि इस योजना के तहत दुनिया के तमाम बड़े लोकतांत्रिक विकासशील देशों को बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 400 खरब डॉलर की आर्थिक और तकनीकी मदद दी जाएगी। यह योजना स्थानीय रोजगार को पैदा करने में कारगर साबित हो सकता है।
यह भी दावा किया जा रहा है कि योजना का सबसे ज्यादा लाभ उन देशों को देने की कोशिश की जाएगी जो कोरोना वायरस संकट से पूरी तरह प्रभावित हुए हैं। वर्तमान में अमेरिका के इस प्रस्ताव पर भारत का कहना है कि वह फिलहाल इस परियोजना के बारे में अध्ययन कर रहा है और आने वाले दिनों में जो कुछ भी होगा उसके बारे में जानकारी दे दी जाएगी। विदेश मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि बिल्ट बैक बेटर को लेकर बस इतना ही कह सकता हूं कि भारत अपनी एजेंसियों के जरिए इसके प्रभाव का आकलन कराएगा और इसके बाद ही इससे जुड़ने का फैसला भी कर सकता है। फिलहाल चीन की ओर से उन देशों की आलोचना शुरू हो गई है जो इस प्रोजेक्ट के हिस्सा बनने की कवायत में है। आपको यह भी बता दें कि भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट योजना से जुड़ने से इंकार कर दिया था। भारत के तीन प्रमुख पड़ोसी देश पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका इसके हिस्सा है। इसके अलावा भारत ने इस परियोजना के तहत बन रहे china-pakistan इकोनामिक कॉरिडोर को लेकर भी ऐतराज जताया था जो जम्मू कश्मीर के एक हिस्से से गुजरता है। पाकिस्तान ने इस पर अवैध कब्जा कर रखा है।India says will study Biden's infrastructure plan that rivals China's Belt and Road Initiative
— ANI Digital (@ani_digital) June 13, 2021
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जी-7 के नेताओं ने चीन के वैश्विक अभियान के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना का अनावरण किया है लेकिन फिलहाल इस पर सहमति नहीं बन पायी है कि मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चीन को किस तरह रोका जाए। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जी-7 शिखर सम्मेलन में लोकतांत्रिक देशों पर बंधुआ मजदूरी प्रथाओं को लेकर चीन के बहिष्कार का दबाव बनाने की योजना तैयार की है। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने पत्रकारों से कहा कि सम्मेलन के दौरान ये देश विकासशील देशों में बीजिंग के प्रयासों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना की शुरुआत करेंगे। अधिकारियों ने कहा कि बाइडन चाहते हैं कि जी -7 के नेता उइगर मुसलमानों और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों से बंधुआ मजदूरी कराने के खिलाफ एक स्वर में आवाज उठाएं। बाइडन को उम्मीद है कि बंधुआ मजदूरी को लेकर शिखर सम्मेलन में चीन की आलोचना की जायेगी लेकिन कुछ यूरोपीय सहयोगी बीजिंग के साथ रिश्ते खराब करने के इच्छुक नहीं हैं। दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड के कार्बिस बे में शुक्रवार को शुरू हुआ यह सम्मेलन रविवार को संपन्न होगा। जी-7 कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका का एक समूह है। बाइडन ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से भी बात की। मैक्रों ने कहा कि कई मुद्दों पर साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। बाइडन ने जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से भी मुलाकात की।
भारत जी-7 का स्वाभाविक सहयोगी है: मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि तानाशाही, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर-जबरदस्ती से उत्पन्न विभिन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 का एक स्वाभाविक साझेदार है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, जी-7 शिखर सम्मेलन के ‘मुक्त समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्थाएं’ सत्र में मोदी ने अपने डिजिटल संबोधन में लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और स्वाधीनता के प्रति भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। मोदी ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और जेएएम (जन धन-आधार-मोबाइल) तीनों के माध्यम से भारत में सामाजिक समावेश और सशक्तीकरण पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्रांतिकारी प्रभाव को भी रेखांकित किया। विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (आर्थिक संबंध) पी हरीश ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में मुक्त समाजों में निहित संवेदनशीलताओं का जिक्र किया और प्रौद्योगिकी कंपनियों तथा सोशल मीडिया मंचों का आह्वान किया कि वे अपने उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित साइबर परिवेश सुनिश्चित करें। अतिरिक्त सचिव ने कहा, ‘‘सम्मेलन में मौजूद अन्य नेताओं ने प्रधानमंत्री के विचारों की सराहना की।’’
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