अमित शाह ने किया ऐलान -चंडीगढ़ के कर्मचारियों को भी केंद्रीय कर्मचारियों की तरह सुविधाएं मिलेंगी, विपक्ष कर रहा है विरोध

Amit Shah

अब चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों को भा केंद्रीय कर्मचारियों की तरह की सुविधाएं मिलेंगी। चंडीगढ़ के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र भी 58 से 60 साल हो जाएगी। इसके अलावा शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 65 साल हो जाएगी।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऐलान किया है कि 1 अप्रैल से चंडीगढ़ के सभी कर्मचारी केंद्रीय सेवा नियम के दायरे में लाए जाएंगे। इसका बहुत सरल सा मतलब ये है कि जो सुविधाएं केंद्र सरकार के कर्मचारियों को मिलती है, चंडीगढ़ के कर्मचारियों को भी वही सुविधा मिलेगी।

अमित शाह के ऐलान के साथ ही इस पर राजनीति तेज हो गई है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि चंडीगढ़ प्रशासन में केंद्र सरकार दूसरे कर्मचारियों और अधिकारियों को चरणबद्ध तरीके से लगा रही है। उन्होंने कहा ये पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966 के विरुद्ध है। मैंने कहा पंजाब सरकार चंडीगढ़ पर अपने शहीद आभी के लिए मजबूती के साथ लड़ता रहेगा।

कर्मचारियों को होगा लाभ

अमित शाह ने रविवार को ये ऐलान किया था कि अब चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों को भा केंद्रीय कर्मचारियों की तरह की सुविधाएं मिलेंगी। चंडीगढ़ के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र भी 58 से 60 साल हो जाएगी। इसके अलावा शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 65 साल हो जाएगी। महिला कर्मचारियों को चाइल्ड केयर के लिए 2 साल का अवकाश भी मिलेगा।

चंडीगढ़ को लेकर है क्या विवाद

18 सितंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन एक्ट पास हुआ। इस एक्ट के पास होने के बाद जो तीन राज्य अस्तित्व में आए वो थे हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश। अकाली दल के नेता डॉ दलजीत सिंह चीमा के अनुसार, इस एक्ट में यह प्रावधान है कि चंडीगढ़ के 60% कर्मचारी पंजाब से और 40% कर्मचारी हरियाणा से होंगे। पंजाब में AAP के साथ-साथ कांग्रेस और अकाली दल भी अमित शाह के इस फैसले का विरोध कर रही है।

कांग्रेस के नेता सुखपाल सिंह खैरा चंडीगढ़ को एक विवादित क्षेत्र मानते हैं। दरअसल पंजाब के अलावा हरियाणा की चंडीगढ़ पर अपना दावा करता है। सुखपाल सिंह खैरा केंद्र की आलोचना करते हुए कहते हैं हम चंडीगढ़ के नियंत्रण पर पंजाब के अधिकारों को हड़पने के केंद्र सरकार के फैसले की निंदा करते हैं। उनका कहना है कि केंद्र का यह फैसला संघवाद पर हमला है।

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